मजबूत बुनियाद के बदौलत आगे बढ़ती जा रही है हिंडाल्को इंडस्ट्रीज | मुल्क में एल्युमिनियम की सबसे बड़ी उत्पादक, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज के शेयरों में फिर से इजाफा देखने को मिला है। इसके शेयर न्यूनतम स्तर पर 230 फीसदी चढ़ चुके है। वैसे, विश्लेषकों की मानें तो इस शेयर में इजाफे के दिन पूरे हो चुके हैं। | | जितेंद्र कुमार गुप्ता / September 28, 2009 | | | | |
इस साल फरवरी में एलएमई (लंदन मेटल एक्सचेंज) में एल्युमिनियम की कीमत गिरकर 1,250 डॉलर प्रति टन के गर्त में आ गई थी। लेकिन अब यह 48 फीसदी के इजाफे के साथ बुलंदी पर आ गया है।
इसी वजह से मुल्क में एल्युमिनियम की सबसे बड़ी उत्पादक, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज के शेयरों में फिर से इजाफा देखने को मिल रहा है। इस अवधि में कंपनी के शेयर उसके न्यूनतम से 230 फीसदी चढ़ चुके हैं।
हालांकि, इसमें सिर्फ धातुओं की बढ़ती कीमत ही नहीं, बल्कि कंपनी की पैसे जुटाने की योजना और उसकी अमेरिका में स्थित सहयोगी कंपनी, नोवेलिस की मुनाफा कमाने की बढ़ती ताकत का भी पूरा योगदान है। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि कंपनी के शेयरों में इजाफे के दिन पूरे हो चुके हैं।
उनके मुताबिक अब यह शेयर काफी महंगा हो चुका है। साथ ही, कंपनी के खातों में काफी कर्ज भी चढ़ा हुआ है। ऊपर से पैसे जुटाने की योजना से उसकी इक्विटी पर और असर पड़ सकता है।
बड़ी बात
तांबे और एल्युमिनियम के कारोबार में हिंडाल्को देश में सबसे बड़ी कंपनी है। इसके अपने एकीकृत कारोबार से काफी फायदा होता है, जिससे इसकी लागत काफी कम हो जाती है। हालांकि, इसकी कुल कमाई का 74 फीसदी हिस्सा एल्युमिनियम से आता है।
हाल के दिनों में इस वजह से कंपनी की कमाई और मुनाफे पर काफी असर पड़ा है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कंपनी की कमाई 16 फीसदी फिसलकर 3,899 करोड़ रुपये रह गई। इसकी सबसे बड़ी वजह थी अंतरराष्ट्रीय बाजार में एल्युमिनियम और तांबे की कीमत 40-50 फीसदी कम होना।
हालांकि, इस बाद भी कंपनी ने मोटा मुनाफा कमाया। दरअसल, वह दुनिया की सबसे किफायती एल्युमिनियम उत्पादकों में से एक है। हिंडाल्को एक टन एल्युमिनियम के उत्पादन पर 1,400 डॉलर खर्च करती है।
वहीं, यह धातु इस वक्त बाजार में 1,850 डॉलर प्रति टन के भाव पर कारोबार कर रहा है। साथ ही, कंपनी की कुल कमाई का 54 फीसदी हिस्सा मूल्य वर्ध्दित उत्पादों से आता है, जहां कमाई मोटी होती है। इसी वजह से कंपनी ने मोटा मुनाफा कमाया।
कैसी है हालत?
एल्युमिनियम के कारोबार में हिंडाल्को अपनी सहयोगी कंपनी, नोवेलिस के जरिये अंतरराष्ट्रीय बाजार में मौजूद है। नोवेलिस ऑटोमोटिव, ट्रांसपोर्टेशन, पैकेजिंग, कंस्ट्रक्शन और प्रिंटिग इंडस्ट्रीज के लिए उच्च क्वालिटी का एल्युमिनियम शीट का उत्पादन करती है।
हाल के दिनों में एलएमई में धातु की गिरती कीमत और अमेरिका व यूरोप में तेजी से गिरती मांग से नोवेलिस के प्रदर्शन पर जबरदस्त असर पड़ा। इसका असर हिंडाल्को के प्रदर्शन पर भी पड़ा क्योंकि उसकी कुल कमाई का 70 फीसदी तो नोवेलिस के रास्ता ही आता है।
बीते साल हिंडाल्को का शुध्द लाभ 2,230 करोड़ रुपये का रहा, लेकिन इस साल यह कम होकर 485 करोड़ रुपये रह गई। वजह है, नोवेलिस का कमजोर प्रदर्शन। इस साल हालत सुधरने की उम्मीद के बावजूद विश्लेषकों के मानें तो नोवेलिस से ज्यादा आशाएं रखना गलत होगा।
हालांकि, कंपनी का प्रति टन परिचलन मुनाफा बीते वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही के 83 डॉलर प्रति टन से चढ़कर 180 डॉलर प्रति टन के स्तर पर आ चुका है। इसलिए इसकी हालत ज्यादा पतली भी नहीं रहेगी।
परिचालन मुनाफे में इजाफे की बड़ी वजह लागत में कटौती, कुछ क्षमता में कटौती और अच्छे उत्पाद। कुल मिलाकर कमाई के मामले में एल्युमिनियम के कारोबार में इजाफा देखने को मिल सकता है।
वजह रहेगी, मुल्क में बढ़ती क्षमता और नोवेलिस की कमाई में हाल के दिनों में इजाफा। हालांकि, एलएमई में एल्युमिनियम की कीमत अब भी बीते साल की तुलना में कम स्तर पर बनी हुई, इसलिए कमाई भी कम रहने की संभावना है।
अस्थिर भविष्य
तांबे के कारोबार में विश्लेषकों को कमाई बीते साल के स्तर पर ही रहने की संभावना नजर आ रही है। वजह है, कमजोर मांग। कंपनी को तांबे कारोबार से 26 फीसदी कमाई मिलती है।
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