अगले तीन वर्षों में हम दोगुना कारोबार कर सकते हैं | सवाल-जवाब : एस सी गुप्ता, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया | | मनोजीत साहा / August 27, 2009 | | | | |
यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को 50,000 करोड रुपये के कारोबार तक का सफर करने में 50 वर्ष लगे और 2006 में बैंक ने इस लक्ष्य को प्राप्त किया।
इससे उत्साहित हो कर तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अगले 50,000 करोड़ के कारोबार का लक्ष्य अगले पांच वर्षों के लिए तय किया। पूर्व वित्त मंत्री द्वारा तय लक्ष्य को उम्मीद से पहले पूरा करते हुए बैंक ने इस महीने ही एक लाख करोड रुपये के कारोबार का लक्ष्य पूरा कर लिया है।
यूनाइटेड बैंक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक एस सी गुप्ता ने मनोजीत साहा को बताया कि बैंक आईपीओ के जरिये 450 से 500 करोड़ रुपये जुटाना चाहता है और तरजीही शेयरों के जरिये सरकार से 550 करोड रुपये और जुटाने की उम्मीद है। पेश है बातचीत के अंश:
आपका आईपीओ फिलहाल किस अवस्था में है?
31 दिसंबर को हम पूंजी आधार से 1,266 करोड रुपये रिजर्व खाते में डाल रहे हैं। 50 करोड़ रुपये के अंकित मूल्य के शेयर निर्गम के लिए हमने सरकार की अनुमति मांगी है। अनुमान है कि सरकार जल्द ही इसे मंजूरी दे देगी। साल 2010 के जनवर-फरवरी महीने में हम पूंजी बाजार में उतर सकते हैं।
31 मार्च 2009 को हमारी बुक वैल्यू 14 रुपये थी और वर्तमान में यह लगभग 104 रुपये होगी। इसी के अनुसार निवेश बैंकर प्रीमियम तय करेंगे और अभी हम निवेश बैंकरों के चयन की प्रक्रिया में हैं। कम से कम 80-90 ररुपये के प्रीमियम पर हम 400 से 500 करोड़ रुपये जुटाने में सक्षम होंगे।
इस बार के पूंजी प्रवाह के बाद आप बैंक की वृध्दि को कब तक जारी रखने की उम्मीद करते हैं?
हमें पहले ही सरकार से पर्पेचुअल गैर-संचयी तरजीही शेयरों के रूप में 250 करोड़ रुपये प्राप्त हो चुके हैं तथा इस वित्त वर्ष में और 550 करोड़ रुपये प्राप्त होने की उम्मीद है। इन्हें, और आईपीओ से प्राप्त होने वाली राशि को मिला कर अगर 2012 नहीं तो मार्च 2011 तक सब ठीक रहेगा। टियर-2 पूंजी जुटाने की भी काफी गुंजाइश है। फिलहाल हमारी पूंजी पर्याप्तता अनुपात ठीकहै। 30 जून को यह 12.18 फीसदी था।
बैंक के लिए आपके मन में दीर्घावधि की क्या योजनाएं हैं?
अगस्त में हमने 1,00,000 करोड रुपये के कारोबार का लक्ष्य पूरा किया है जो मार्च के अंत में 95,400 करोड़ रुपये था। मार्च और जून के बीच हमने कारोबार में क्रमिक रूप से 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की है। इसी अवधि में ऋण वृध्दि लगभग 9 प्रतिशत की थी।
चालू वित्त वर्ष के अंत तक हम 1,25,000 करोड़ रुपये का कारोबार कर लेंगे ऐसी उम्मीद है और मार्च 2012 तक हम कुल 1,60,000 रुपये से 1,70,000 करोड़ रुपये का कारोबार कर चुके होंगे। बढ़ोतरी के साथ-साथ हमने ऋण की गुणवत्ता से समझौता नहीं करने का प्रयास किया है और गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां नियंत्रण में हैं। न केवल ऋण वृध्दि बल्कि ऋण पर नजर रखने पर भी हम काफी ध्यान दे रहे हैं।
लेकिन गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों का स्तर 1.7 प्रतिशत का है जो बैंकिंग उद्योग में सबसे अधिक है?
परिसंपत्तियां फिसल कर सीधे गैर-निष्पादित वर्ग में आ गईं क्योंकि पहले पहले इनका पुनर्गठन नहीं किया गया था। अगर किसी उधार लेने वाले ने डिफॉल्ट किया तो इस दिशा में कुछ खास नहीं किया गया। हम शुध्द गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं है बल्कि हमें चिंता सकल एनपीए की है।
शुध्द एनपीए आंकड़े लाभ से किए जाने वाने प्रावधानों की क्षमता को प्रदर्शित करते हैं। हमें खुशी होगी अगर मार्च 2009 के सकल एनपीए (1,200 करोड रुपये) के आंकड़े को हम पार नहीं करते हैं। चालू वित्त के अंत तक शुध्द एनपीए के मामले में हम मार्च 2009 के स्तर (1.48 प्रतिशत) का लक्ष्य करते हैं।
क्या ऐसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनियों (एआरसी) को खराब ऋण बेचने की आपकी कोई योजना है?
हम पहले ही एआरसी को 100 करोड़ रुपये का खराब ऋण बेच चुके हैं। अगर सही कीमत मिलती है तो हम और 100 करोड़ रुपये का खराब ऋण बेच सकते हैं।
बैंक का नेट इंट्रेस्ट मार्जिन इस सेक्टर में सबसे कम है। इसमें सुधार करने की आपकी क्या योजना है?
हमारा नेट इंट्रेस्ट मार्जिन (एनआईएम) दवाब में है और हम इसमें सुधार की कोशिशें कर रहे हैं। एनआईएम लगभग 2 प्रतिशत है और हम चाहते हैं कि मार्च के अंत तक यह 2.2 प्रतिशत से अधिक हो जाए। हमारे चालू और बचत खातों (कासा) की जमाओं में भी कमी आई है।
कासा हमारी स्वाभाविक मजबूती है क्योंकि हमारी 65 प्रतिशत शाखाएं ग्रामीण और अर्ध्द शहरी क्षेत्रों में हैं। साल 2009-10 में हम उम्मीद करते हैं कि कुल जमाओं में कासा का स्तर 34 से 35 प्रतिशत बना रहेगा।
यूबीआई की उपस्थिति मुख्यत: देश के पूर्वी और उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में है। क्या देश के अन्य हिस्सों में शाखाओं के विस्तार की कोई योजना है?
हम इस वर्ष 123 शाखाएं खोल रहे हैं जिसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक से अनुमति मिल चुकी है। देश के अन्य हिस्सों में बड़ी संख्या में शाखाएं खोली जाएंगी।
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