जापान, अमेरिका, यूरोप और पश्चिम एशियाई देशों में भारतीय आम का निर्यात बढ़ रहा है, लेकिन रूस में इसकी खुशबू नहीं फैल पा रही यानी इसका आयात करने वालें देशों की लिस्ट से इस साल रूस का नाम गायब हो गया है।
दरअसल कीटाणुनाशक दवा पाए जाने के बाद रूस ने भारत से कई कृषि जिसों के आयात पर पाबंदी लगा दी है और इसका असर आम के निर्यात पर पड़ रहा है। कुछ महीने पहले भारत से भेजे गए तिल में कीटाणुनाशक पाए गए थे और तभी से रूस ने पाबंदी लगा रखी है। पाबंदी के चलते आम के मुख्य उत्पादक राज्य गुजरात ने निर्यात के कई ऑर्डर खो दिए हैं। हालांकि अमेरिका और दूसरे देशों में भारतीय आम की काफी मांग है, लिहाजा निर्यातकों को थोड़ी राहत मिली है।
एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रॉडक्ट्स एक्सपोर्ट डिवेलपमेंट अथॉरिटी (एपीडा) के एक सीनियर अफसर ने बताया कि हमने रूसी अधिकारियों से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है। उन्होंने कहा कि रूसी खरीदार ने माल भेजने से मना किया है, लिहाजा सारे ऑर्डर रद्द हो गए हैं। बलसाड़ के एक निर्यातक नीरव देसाई ने कहा - हालांकि थोड़ी मात्रा में भारतीय आम रूस भेजे जाते हैं, लेकिन वहां काफी आम भेजे जाने की गुंजाइश है।
नीरव ने 2007-08 में 20 टन आम रूस भेजा था। एपीडा के आंकड़ों के मुताबिक, 2006-07 में रूस को 4.94 टन आम का निर्यात हुआ था, जिसकी कुल कीमत 8.12 लाख रुपये है। इस बीच, अमेरिकी बाजार में बड़ी मात्रा में खपत होने वाले भारतीय खाद्य पदार्थ अब वहां रिजेक्ट किए जाने लगे हैं।
ऑपरेशनल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव सिस्टम फॉर इंपोर्ट सपोर्ट के आंकड़े के मुताबिक जनवरी में भारतीय खाद्य पदार्थों को रिजेक्ट किए जाने का 115 मामला सामने आया है। ब्रेवरेज एंड हल्दीराम ऐसे प्रॉडक्ट हैं जो पिछले तीन महीने में वहां की रिजेक्शन लिस्ट में शामिल हुए हैं।