एफबीटी से राहत तो मैट से बढ़ी आफत | कॉर्पोरेट | | बीएस संवाददाता / मुंबई July 07, 2009 | | | | |
भारतीय उद्योग जगत फ्रिंज बेनिफिट टैक्स (एफबीटी) से निजाद पाकार काफी खुश नजर आ राह है।
माना जा रहा है कि एफबीटी हटने के बाद एक साल में कंपनियां कुल मिलाकर 2,000 करोड़ रुपये तक की बचत कर सकेंगी। जहां एक तरफ बजट में प्रभार से दूर हटने का प्रस्ताव है, वहीं दूसरी तरफ खाते में दर्ज लाभों पर न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने के प्रस्ताव, 17 प्रतिशत सरचार्ज के साथ, ने कॉर्पोरेट जगत को निराश कर दिया है।
मैट से नाराज
मैट में इजाफे के बाद उम्मीद है कि सरकार मौजूदा वर्ष में 3,000 करोड़ रुपये का राजकोष जमा कर लेगी। हालांकि कंपनियों के पास कर उधारी को आगे बढ़ाने के लिए और तीन वर्ष हैं, क्योंकि इस अवधि को सात साल से बढ़ाकर 10 साल कर दिया गया है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज, भारती एयरटेल, एनटीपीसी, टीसीएस, रिलायंस कम्युनिकेशंस और इन्फोसिस टेक्नोलॉजिज पर वित्त वर्ष 2009-10 में लगभग 100 करोड़ से 500 करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त कर बोझ पड़ेगा। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने वित्त वर्ष 2008-09 में 2,074 करोड़ रुपये कर का भुगतान किया था। अब अगर कंपनी पिछले वित्त वर्ष का मुनाफा बरकरार रखती है तो उसे 529 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर भुगतान करना होगा।
महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के वित्त निदेशक भारत दोशी का कहना है कि निवेश के दौर से गुजरने वाली कंपनियां आमतौर पर मैट का भुगतान करती हैं, इसलिए कर में इजाफा कंपनियों के लिए थोड़ा निराशाजनक है। इससे उनका उत्साह कम होगा।
लार्सन ऐंड टुब्रो के समूह मुख्य वित्त अधिकारी वाई एम देवस्थली का कहना है कि मैट में इजाफा बहुत बड़ा मुद्दा नहीं है, लेकिन इससे कुछ बुनियादी ढांचागत परियोजना पर हो सकता है रोक लग जाए।
अशोक लीलैंड के प्रबंध निदेशक आर शेषशायी का मानना है कि यह इजाफा उचित है। उनका कहना है, 'हमेशा हर उद्योग पर किसी न किसी तरह के दबाव बनाए रखने वाला कर होता है और यह सही है कि सरकार को रिटर्न मिल रहा है।'
उत्पाद और सीमा शुल्क पर सहमति
कॉर्पोरेट जगत ने इस बात की भी राहत महसूस की है कि कॉर्पोरेट कर या प्रभाव में किसी तरह का कोई इजाफा नहीं किया गया है। जहां बजट में कॉर्पोरेट जगत के लिए बहुत से तोहफे तो नहीं मिले हैं, वहीं भारतीय उद्योग उत्पाद और सीमा शुल्क के ढांचे में किसी तरह के फेर-बदल पर तर्क-विर्तक नहीं कर रहा, क्योंकि बजट 2009-10 में इन शुल्कों में कुछ नहीं किया गया।
डाबर इंडिया के उपाध्यक्ष अमित बर्मन के मुताबिक यह अच्छा प्रयास है। उनका कहना है, 'यह अच्छा प्रयास है कि उत्पाद शुल्क में कोई इजाफा नहीं किया गया और इसका फायदा मांग को और बढ़ाने में होगा, जिसमें वृध्दि के आसार दिखाई दे रहे हैं।'
जीएसटी में राहत
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में अगले साल अप्रैल तक कोई फेर-बदल नहीं किया जाएगा। जीएसटी की दरों में इजाफा न होना भी विनिर्माताओं और सेवा प्रदाताओं के लिए राहत की चैन है। दोशी का कहना है, 'यह अच्छा है कि सरकार अपनी समयाअवधि के साथ बनी हुई है। अब राज्य सरकार के साथ आसानी से बात की जा सकती है।'
किसे, कितना लाभ
जहां भारत फोर्ज के अध्यक्ष बाबा कल्याणी ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी व्यय को लेकर खुश हैं, वहीं बजट में निर्यातकों के लिए कुछ भी प्रयास नहीं किए जाने की वजह से निराश भी हैं। जहां तक विशेष उद्योगों को लाभ मिलने की बात है, आईटी को धारा 10 (अ) और 10 (ब) में विस्तार से लाभ मिलेगा।
कंपनियां अब मार्च 2011 तक कर हॉलिडे का फायदा उठा सकती हैं। हालांकि ज्यादातर सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क के लिए कर छूट खत्म हो जाएगी। खनिज तेलों के वाणिज्यिक उत्पादन या रिफाइनिंग से होने वाले मुनाफे के संबंध में धारा 80 (आईबी) (9) में कर हॉलिडे को बढ़ा कर अब प्राकृतिक गैसों को भी इसमें शामिल किया गया है।
भारतीय उद्योग को ग्रामीण विकास योजना और बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं में सरकारी निवेश से भी लाभ होगा। आईआईएफसीएल ने इस मामले में 1,00,000 करोड़ रुपये का वित्त मुहैया कराया है। अमित बर्मन का कहना है कि इन योजनाओं के लिए अधिक आवंटन से मांग में इजाफा होगा।
एफएमसीजी और डयूरेबल उत्पादों के निर्माताओं ने वित्त मंत्री के आयकर छूट सीमा को बढ़ाकर और 10 प्रतिशत सरचार्ज को हटाने के प्रयास का स्वागत किया है। इससे लोगों के पास व्यय योग्य पैसा बढ़ेगा। उनका कहना है कि अब तक सरकार की ओर से दिए गए 70,000 करोड़ रुपये के वित्त राहत पैकेज से मांग बढ़ाने में मदद मिली है।
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