वर्ष के निचले स्तर से आए मजबूत बदलाव के साथ इक्विटी बाजारों ने अपने 52 सप्ताह के ऊंचे स्तरों को फिर से छुआ है। जुलाई के बाद से सेंसेक्स और निफ्टी-50 में करीब 17 प्रतिशत की तेजी आई है। सेंसेक्स ने एक साल के बाद बुधवार को 62,000 का आंकड़ा पार किया और वह अपने ऊंचे स्तरों से कुछ अंक दूर था। हालांकि सोमवार को इसमें गिरावट आई। विश्लेषकों का कहना है कि मुद्रास्फीति में नरमी के संकेतों के साथ बाजार ने ब्याज दर वृद्धि की चिंताओं को पीछे छोड़ दिया है और निवेशक अब घरेलू इक्विटी में मजबूत विदेशी प्रवाह की उम्मीद कर रहे हैं। विश्लेषक अब बाजार में तेजी आने का अनुमान जता रहे हैं।आनंद राठी एडवायजर्स में पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं के फंड प्रबंधक मयूर शाह का मानना है कि प्रमुख सूचकांक अगले दो तीन महीनों में नई ऊंचाई छुएंगे और उन्होंने निवेशकों को एफएमसीजी तथा फार्मा जैसे रक्षात्मक दांव से दूर रहने और अपना पैसा अच्छा प्रतिफल हासिल करने के लिए वित्तीय क्षेत्र (बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों आदि) में लगाने की सलाह दी है। शाह का कहना है, 'वैश्विक बाजारों में मुद्रास्फीति थमने से अब हमें ब्याज दर वृद्धि चक्र अगले दो-तीन महीनों में तेज होने की संभावना है। जहां घरेलू वृहद बुनियादी आधार मजबूत बना हुआ है, वहीं निवेशक वैश्विक स्तर पर डेट से इक्विटी की ओर रुख करने की संभावना तलाश रहे हैं। भारत भी विदेशी इक्विटी की अच्छी भागीदारी आकर्षित करेगा, और कॉरपोरेट मार्जिन से जुड़ी चिंताएं जनवरी-मार्च तिमाही तक काफी हद तक दूर हो जाएंगी।' रक्षात्मक श्रेणी में बीएसई एफएमसीजी सूचकांक जुलाई से 16 प्रतिशत चढ़ा है, जबकि बीएसई हेल्थकेयर सूचकांक 9 प्रतिशत की तेजी के साथ कमजोर रहा है। आंकड़े से पता चलता है कि इस बीच, बैंक और पूंजीगत वस्तु क्षेत्रों में अच्छी तेजी दर्ज की गई। बीएसई बैंकेक्स और बीएसई कैपिटल गुड्स सूचकांकों में जुलाई से अब तक 26 प्रतिशत और 28 प्रतिशत की तेजी आई है, जबकि बीएसई के सेंसेक्स में 17 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई है।आईडीबीआई कैपिटल के शोध प्रमुख ए के प्रभाकर का मानना है कि यह महत्वपूर्ण है कि निवेशक ज्यादा प्रतिफल हासिल करने के लिए अपने पोर्टफोलियो में बदलाव लाएं। उनका कहना है, 'रक्षात्मक शेयरों के लिए निवेश घटाना और क्विक-सर्विस रेस्टोरेंट और होटल जैसे अन्य घरेलू अर्थव्यवस्था-केंद्रित क्षेत्रों पर दांव बढ़ाना अच्छी रणनीति होगी। कच्चे माल की कीमतों में तेजी और ग्रामीण मांग पर दबाव के बीच हम फार्मा और एफएमसीजी पर ज्यादा उत्साहित नहीं हैं।'नीलसनआईक्यू के आंकड़े से पता चलता है कि जुलाई-सितंबर तिमाही में एफएमसीजी कंपनियों की ग्रामीण बिक्री में 3.6 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आई, जबकि अप्रैल-जून तिमाही में यह गिरावट 2.4 प्रतिशत थी। इसलिए, कुल बिक्री 0.9 प्रतिशत गिरी, जबकि पहली तिमाही में 0.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।
