विश्लेषकों का मानना है कि इस्पात उत्पादों और कच्चे माल पर निर्यात शुल्क हटाए जाने से इस क्षेत्र की कंपनियों की आय पर तुरंत सकारात्मक असर नहीं पड़ सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि खराब वैश्विक हालात से इन कंपनियों पर दबाव पड़ सकता है। न्यूवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के आशिष केजरीवाल और ज्योति सिंह का कहना है, 'वैश्विक स्थिति अब मई 2022 के मुकाबले ज्यादा खराब है। मई 2022 में निर्यात शुल्क लगाया गया था। एचआरसी (हॉट-रॉल्ड कॉइल) निर्यात अभी भी घरेलू इस्पात उत्पादों के लिए उपयोगी नहीं है, इसलिए निर्यात कमजोर बने रहने की संभावना है।' विश्लेषकों के अनुसार, विदेशों में कम कीमतों से इस्पात उत्पादकों को निर्यात बढ़ाने में मदद मिली है, जिससे भारत अक्टूबर में 18 महीनों में पहली बार शुद्ध निर्यातक बन गया। साथ ही, भारतीय निर्यात वित्त वर्ष 2023 में इस साल अब तक 55 प्रतिशत कमजोर हुआ है। घरेलू कीमतें अब 6-7 प्रतिशत ऊपर हैं, जबकि निर्यात कीमतें घरेलू कीमतों के मुकाबले 25 प्रतिशत कम हैं। कीमतों में कम को देखते हुए विश्लेषकों को शुल्क हटने के बाद निर्यात बढ़ने की संभावना नहीं है, और इससे इस्पात उत्पादकों को किसी तरह का अल्पावधि लाभ नहीं मिलेगा। वैश्विक ब्रोकरेज फर्म सिटी का भी कहना है कि इस्पात पर निर्यात शुल्क हटाने का निर्णय सकारात्मक है और इससे सुधार को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन अल्पावधि में घरेलू कीमतों को ज्यादा मदद नहीं मिलेगी। पिछले 6 महीनों में घरेलू इस्पात कीमतें 25 प्रतिशत तक गिरी हैं, जबकि वैश्विक कीमतों में 30-35 प्रतिशत की कमजोरी आई। इस कमजोरी की मुख्य वजह कोविड संबंधित नीति में बदलाव के बीच चीन में कमजोर मांग और पश्चिमी दुनिया में समस्याएं थीं।कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज में सुमंगल नेवतिया का कहना है, 'एनएमडीसी ने मुख्य तौर पर निर्यात शुल्क वृद्धि की वजह से वित्त वर्ष 2023 में अब तक लौह अयस्क कीमतों में 46 प्रतिशत तक की कटौती की है।' सरकार ने 18 नवंबर को 58 प्रतिशत से कम ग्रेड वाले लौह अयस्क पर निर्यात शुल्क हटाकर शून्य (जो शुरू में 50 प्रतिशत था) कर दिया, जबकि 58 प्रतिशत से ज्यादा ग्रेड वाले लौह अयस्क पर निर्यात शुल्क घटाकर 30 प्रतिशत कर दिया गया है। वहीं पैलेट्स् श्रेणी के अयस्क पर निर्यात शुल्क भी हटाकर शून्य किया गया है, जबकि पिग आयरन, हॉट-रॉल्ड/कोल्ड-रॉल्ड अलॉय और 60एमएम मोटाई के नॉन-अलॉय फ्लैट इस्पात उत्पादों पर भी निर्यात शुल्क हटा दिया गया है। इसके अलावा, कुकिंग कोयला, पीसीआई, कोक, और सेमी कोक पर आयात शुल्क फिर से लगा दिया है।जेएम फाइनैंशियल का कहना है कि निर्यात शुल्क हटाए जाने से कम आधार, तैयार इस्पात के माल में तेजी और एशियाई देशों के मुकाबले भारत की प्रतिस्पर्धी क्षमता में सुधार को देखते हुए दीर्घावधि में निर्यात को बढ़ावा मिलने की संभावना है।आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज को श्याम मेटालिक्स जैसी डीआरआई-आईएफ कंपनियों, गोदावरी पावर ऐंड इस्पात और जिंदल सॉ जैसे पैलेट निर्यातकों, और जिंदल स्टेनलेस जैसी स्टेनलेस इस्पात कंपनियों को मदद मिलने की उम्मीद है।
