बाजार में कमजोर प्रदर्शन का असर पिछले एक महीने के दौरान प्रमुख सूचकांकों में दर्ज की गई तेजी पर पड़ा है। अक्टूबर के निचले स्तरों से निफ्टी और सेंसेक्स 8 प्रतिशत से ज्यादा चढ़े और सेंसेक्स अपना सर्वाधिक ऊंचा स्तर दर्ज करने में भी कामयाब रहा है। तुलनात्मक तौर पर निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 सूचकांकों में इस अवधि के दौरान अधिकतम 2 प्रतिशत की तेजी आई। ताजा गिरावट के बाद, निफ्टी के लिए एक महीने का प्रतिफल 3.3 प्रतिशत, निफ्टी मिडकैप 100 के लिए 1 प्रतिशत से कम और निफ्टी स्मॉलकैप सूचकांक 100 के लिए -0.2 प्रतिशत रहा। बाजार कारोबारियों का कहना है कि तेजी के परिवेश में प्रमुख सूचकांकों में लार्ज-कैप के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करने की संभावना रहती है। हालांकि बाजार में कारोबारियों की दिलचस्पी के अभाव से निवेशकों में सतर्कता बरते जाने और भरोसे की कमी का पता चलता है। आईडीबीआई कैपिटल के शोध प्रमुख ए के प्रभाकर ने कहा, 'पूरे महीने के लिए बाजार धारणा कुछ हद तक नकारात्मक रही है। बाजार में तेजी कुछ खास शेयरों तक केंद्रित है। प्रमुख सूचकांक में भी, तेजी कुछ क्षेत्रों और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे दिग्गजों पर आधारित है। हेल्थकेयर और धातु शेयरों में तेजी नहीं आई है। निवेशक चुनाव से पहले अनिश्चितता की वजह से कुछ हद तक आशंकित बने हुए हैं।' पिछले सप्ताह, सेंसेक्स ने नई ऊंचाई को छुआ था और निफ्टी 18 अक्टूबर 2021 को बनाए गए अपने 18,477 के स्तरों से महज 40 अंक दूर रह गया। तुलनात्मक तौर पर, निफ्टी मिडकैप 100 इसी अवधि में बनाए गए 32,885 के ऊंचे स्तरों से 6 प्रतिशत नीचे है। निफ्टी स्मॉलकैप 100 मौजूदा समय में 17 जनवरी 2022 को बनाए गए अपने 11,981 के ऊंचे स्तरों से 20 प्रतिशत नीचे है। विश्लेषकों का कहना है कि प्रमुख बाजार के कमजोर प्रदर्शन का कारण इन सूचकांकों की क्षेत्रीय संरचना और ताजा वित्तीय प्रदर्शन से जुड़ा हो सकता है। इक्विनोमिक्स के संस्थापक जी चोकालिंगम का मानना है, 'कई छोटी कंपनियों का सितंबर तिमाही परिणाम उम्मीद के अनुरूप नहीं था। फार्मा और रसायन क्षेत्र की कई कंपनियां लार्ज-कैप के मुकाबले मुख्य तौर पर मिडकैप और स्मॉलकैप में हैं। इन क्षेत्रों के कमजोर प्रदर्शन से प्रमुख सूचकांकों के खराब प्रदर्शन को बढ़ावा मिला है। मिडकैप और स्मॉलकैप खंड में बीएफएसआई शेयरों की संख्या काफी कम है, जबकि सूचकांकों में उनकी उपस्थिति मजबूत है। बैंकिंग और वित्तीय शेयरों में तेजी की वजह से प्रमुख सूचकांकों को मदद मिली है।'
