उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई अक्टूबर में घटकर 6.77 फीसदी रह गई, जो सितंबर में 7.41 फीसदी थी। माना जा रहा है कि महंगाई आगे भी कम ही होगी, इसलिए डेट फंड में निवेश करने वालों को अपनी निवेश की नीति इसी अनुमान के हिसाब से दुरुस्त करनी चाहिए।रिजर्व बैंक से उम्मीदविशेषज्ञ मान रहे हैं कि महंगाई अपने चरम को छूकर लौट आई है। खुदरा महंगाई अगले छह महीने में शायद और भी नीचे जाएगी। ऐक्सिस म्युचुअल फंड में को-हेड (फिक्स्ड इनकम) देवांग शाह कहते हैं, 'हमें लगता है कि रिजर्व बैंक दिसंबर में तकरीबन 35 आधार अंक की दर बढ़ोतरी कर सकता है और फरवरी में 25 आधार अंक का इजाफा होगा। इस तरह रीपो दर शायद 6.5 फीसदी तक पहुंच जाएगी और उसके बाद केंद्रीय बैंक शांत बैठ जाएगा।' दर की बढ़ोतरी रुकने के पीछे तुक समझाते हुए शाह कहते हैं, 'हालांकि महंगाई अभी नीचे जाती दिख रही है मगर यह 4 फीसदी के आरबीआई के सहज दायरे से अब भी ऊपर है। ऐसा नहीं लगता कि खुदरा महंगाई निकट भविष्य में गिरकर 4 फीसदी रह जाएगी। हमारे हिसाब से खुदरा महंगाई वित्त वर्ष 2023-24 में 5 और 5.5 फीसदी के बीच रहेगी। हमें नहीं लगता कि महंगाई के इस स्तर पर रीपो दर 6.5 फीसदी के ऊपर की जाएगी।'आकर्षक प्रतिफल विशेषज्ञों का कहना है कि दरों में बढ़ोतरी का बड़ा दौर गुजर चुका है। अगर वैश्विक वित्त व्यवस्था पर असर करने वाली कोई बड़ी घटना नहीं होती है तो बॉन्ड प्रतिफल मौजूदा स्तर से ज्यादा ऊपर नहीं जाएगा। निवेशकों को अगले तीन महीने में ज्यादातर रकम डेट फंडों में लगानी चाहिए क्योंकि कई श्रेणियों में परिपक्वता पर शुद्ध प्रतिफल (वाईटीएम) आकर्षक हो गया है और थोड़ा बढ़ भी सकता है। डेट फंडों में तीन साल से ज्यादा निवेश किया जाए तो ये सावधि (एफडी) से बेहतर साबित होते हैं क्योंकि कर के मामले में इन्हें राहत मिलती है।निवेश अवधि के हिसाब से चुने फंडकिस श्रेणी का डेट फंड लेना है, इसका फैसला यह देखकर करें कि आपको कितने समय के लिए निवेश करना है और आप कितना जोखिम उठा सकते हैं। शाह समझाते हैं, अगर निवेशक को एक साल से भी कम समय के लिए रकम लगानी है तो वह अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड और मनी मार्केट फंड चुन सकता है।' प्राइमइन्वेस्टर डॉट इन की सह संस्थापक विद्या बाला की राय है, 'जो एक साल से ज्यादा मगर पांच साल से कम मियाद के लिए रकम लगाना चाहते हैं वे शॉर्ट ड्यूरेशन फंड और कॉरपोरेट बॉन्ड फंड चुन सकते हैं।'वह तय परिपक्वता वाले यानी टारगेट मैच्योरिटी फंड में भी निवेश करने की सलाह देती हैं क्योंकि उनकी परिपक्वता की तारीख निवेशक की निवेश अवधि के हिसाब से होती है। विद्या समझाती हैं, 'अगर आप इन फंडों में परिपक्वता तक रकम लगाए रहते हैं तो आपको निवेश के समय के शुद्ध वाईटीएम के लगभग बराबर प्रतिफल मिलेगा। 2027 में परिपक्व होने वाले टारगेट मैच्योरिटी फंड अभी बहुत आकर्षक हैं।'धैर्य रखना जरूरीलंबी अवधि के फंडों में वे निवेशक ही रकम लगाएं, जिनके पास अभी अच्छा खासा समय है। विद्या कहती हैं, 'अगर आप 10 साल के लिए पोर्टफोलियो तैयार कर रहे हैं तो 10 साल की अवधि के गिल्ट फंडों में निवेश करना अभी अच्छा रहेगा। बस एक बात का ध्यान रहे कि थोड़े बहुत समय के लिए तकलीफ झेलने को तैयार रहना होगा क्योंकि जब भी प्रतिफल बढ़ेगा, मार्क टु मार्केट घाटा होगा।' मगर लंबी अवधि के फंडों में केवल एकाध साल के लिए निवेश सही नहीं होगा। कॉरपोरेट ट्रेनर (डेट मार्केट) और लेखक जयदीप सेन कहते हैं, 'फरवरी के बाद रिजर्व बैंक से दर कटौती की उम्मीद नहीं है। हां, उसके बाद लंबे अरसे तक दरों में बदलाव नहीं होगा। इसलिए निवेशकों को अगले छह महीने या एक साल के भीतर दर कटौती का फायदा शायद ही मिले।'क्रेडिट रिस्क फंड से तौबाकंपनियों के लिए क्रेडिट की तस्वीर बेहतर हुई है। लेकिन क्रेडिट रिस्क फंड में निवेश करने से पहले उनके शुद्ध वाईटीएम की तुलना कॉरपोरेट बॉन्ड फंड और बैंक तथा पीएसयू फंड के शुद्ध वाईटीएम से जरूर कर लें। क्रेडिट रिस्क फंड एएए, एए और ए रेटिंग वाले बॉन्ड में निवेश करते हैं मगर कॉरपोरेट बॉन्ड फंड, बैंक और पीएसयू फंड केवल एएए रेटिंग वाले बॉन्ड में ही रकम लगाते हैं। सेन की सलाह है, 'अगर क्रेडिट रिस्क फंड का शुद्ध प्रतिफल कॉरपोरेट बॉन्ड फंड, बैंक तथा पीएसयू फंड के शुद्ध प्रतिफल से बहुत ज्यादा नहीं हो तब तक क्रेडिट रिस्क फंड से परहेज ही करना चाहिए। प्रतिफल में अंतर 75 से 100 आधार अंक हो तभी क्रेडिट रिस्क फंड पर दांव खेलें।' फिलहाल क्रेडिट रिस्क फंड के डायरेक्ट प्लान में औसत शुद्ध वाईटीएम 6.97 फीसदी है।
