चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में अब तक जितनी कंपनियों ने अपने तिमाही नतीजों की घोषणा की है, उससे संकेत मिलता है कि कंपनियों के मुनाफे में नरमी आई है। इसके साथ ही महामारी के बाद उद्योग जगत की आय एवं मुनाफे में जिस तरह की तेजी देखी जा रही थी, वह दौर भी अब खत्म हो गया है। हालांकि ऊंची मुद्रास्फीति, उच्च उधारी मांग और मुद्रा में अवमूल्यन की वजह से कंपनियों की आय वृद्धि दो अंक में बनी हुई है। बिज़नेस स्टैंडर्ड के नमूने में शामिल 441 कंपनियों के समेकित शुद्ध मुनाफे में चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सालाना आधार पर 5.8 फीसदी का इजाफा हुआ है, जो पिछली नौ तिमाहियों में सबसे कम वृद्धि है। पहली तिमाही में इन कंपनियों के समेकित मुनाफे में 27.4 फीसदी और पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 21.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। अब तक तिमाही के नतीजे जारी करने वाली इन कंपनियों का समेकित शुद्ध मुनाफा 1.2 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पहली तिमाही में 1.24 लाख करोड़ रुपये से 4.5 फीसदी कम है। हालांकि भारतीय उद्योग जगत की आय दो अंक में बढ़ी है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में नमूने में शामिल कंपनियों की एकीकृत आय सालाना आधार पर 23.7 फीसदी बढ़कर 12.13 लाख करोड़ रुपये रही। पहली तिमाही में इन कंपनियों की समेकित आय 26.5 फीसदी और पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 24.2 फीसदी बढ़ी थी। बैंक और वित्तीय कंपनियों का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा है और चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में समेकित मुनाफे में बढ़ोतरी में इन कंपनियों का योगदान सबसे अधिक रहा। हमारे नमूने में शामिल 18 बैंकों का समेकित शुद्ध मुनाफा सालाना आधार पर 60.1 फीसदी बढ़कर 37,672 करोड़ रुपये रहा। इसी तरह बीमा, परिसंपत्ति प्रबंधन और स्टॉक ब्रोकिंग सहित वित्तीय कंपनियों का समेकित मुनाफा पिछले साल की समान तिमाही के मुकाबले 13.8 फीसदी बढ़कर 11,806 करोड़ रुपये रहा। हालांकि गैर-वित्तीय कंपनियों के लिए जुलाई-सितंबर तिमाही चुनौतियों से भरी रही। बैंक, वित्तीय, बीमा एवं स्टॉक ब्रोकिंग को छोड़कर अन्य कंपनियों का समेकित शुद्ध मुनाफा सालाना आधार पर 11.4 फीसदी घटकर 70,358 करोड़ रुपये रहा जो आठ तिमाही में सबसे कम है। पिछली नौ तिमाहियों में गैर-वित्तीय कंपनियों की समेकित कमाई में पहली बार गिरावट आई है। खनन, धातु, सीमेंट, तेल एवं गैस तथा कंज्यूमर ड्यूरेबल्स कंपनियों का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर रहा और कम बिक्री तथा उच्च परिचालन लागत की वजह से इस क्षेत्र की कंपनियों के शुद्ध मुनाफे में गिरावट आई और कई को तो नुकसान तक उठाना पड़ा है। उदाहरण के तौर पर जेएसडब्ल्यू स्टील को चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 915 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। घाटे में रहने वाली अन्य कंपनियों में मंगलूर रिफाइनरीज ऐंड पेट्रोकेमिकल्स, टाटा स्टील लॉन्ग, जेएसडब्ल्यू इस्पात स्पेशल प्रोडक्ट्स और फिनोलैक्स इंडस्ट्रीज प्रमुख हैं। रुपये में नरमी के बीच आईटी सेवा निर्यातकों जैसे कि टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इन्फोसिस और एचसीएल टेक्नोलॉजीज के परिचालन मार्जिन में सुधार हुआ और आय तथा मुनाफा बढ़ाने में मदद मिली। आईटी कंपनियों की समेकित आय दूसरी तिमाही में 20.2 फीसदी बढ़ी और मार्जिन में 20 फीसदी का सुधार देखा गया। विश्लेषकों का कहना है कि वित्त वर्ष 2023 की दूसरी छमाही में कंपनियों की आय और मुनाफा वृद्धि में नरमी बनी रह सकती है।
