महामारी के बाद से देश में भूखंडों की मांग में खासी तेजी देखी जा रही है क्योंकि लोग भीड़-भाड़ से दूर रहने के लिए अपने हिसाब से आशियाना बनाना चाहते हैं, जिसमें सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध हों। विशेषज्ञों का भी कहना है कि भविष्य में अपार्टमेंट की तुलना में भूखंड से बेहतर रिटर्न मिल सकता है। भूखंडों की बढ़ रही मांग महामारी के मद्देनजर स्वतंत्र मकानों और भूखंडों की मांग काफी बढ़ गई है, क्योंकि कोरोना के दौरान लोगों ने यह महसूस किया कि एकांतवास और खुला-खुला घर होना बहुत जरूरी है। एनारॉक समूह के अध्यक्ष अनुज पुरी के अनुसार, ‘कोविड-19 ने लंबे समय के निवेश के रूप में जमीन की मांग और बढ़ा दी है। बेंगलूरु, चेन्नई, हैदराबाद और गुरुग्राम जैसे शहरों में भूखंडों में निवेश इस रुझान की पुष्टि करता है।’ अधिक स्थान की मांग ने भी इसमें मुख्य भूमिका निभाई है। हाउसिंग डॉट कॉम, मकान डॉट कॉम और प्रॉपटाइगर डॉट कॉम समूह के मुख्य वित्त अधिकारी विकास वधावन कहते हैं, ‘घर और दफ्तर दोनों जगह से काम यानी काम के हाइब्रिड मॉडल ने बड़े घरों और भूखंड की मांग को बढ़ावा दिया है।’ पहले ज्यादा मार्जिन के लिए डेवलपर अपार्टमेंट बनाने पर जोर देते थे। लेकिन हाल के समय डेवलपर भी भूखंडों को विकसित करने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। एनारॉक के पुरी कहते हैं, ‘ग्राहकों की बढ़ती मांग को देखते हुए कई बड़े और स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध डेवलपर भी अब भूखंड विकसित कर रहे हैं।’ निवेश पर ज्यादा रिटर्न की संभावना अपार्टमेंट की तुलना में भूखंड में निवेश से ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना होती है। इसकी वजह यह है कि भूखंड की उपलब्धता सीमित होती है जबकि मांग लगातार बनी हुई है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के रियल एसटेट कंसल्टेंसी होमेंट्स के संस्थापक प्रदीप मिश्र कहते हैं, ‘भूखंड कभी पुराने नहीं होते हैं। रिहायशी इलाकों में खाली भूखंडों की कमी है, जिसकी वजह से इनके दाम में भी इजाफा हुआ है। दूसरी ओर अपार्टमेंट में टूट-फूट के कारण समय के साथ उनके मूल्य में ह्रास होता है।’ महामारी की शुरुआत के बाद से भूखंडों की मांग तेजी से बढ़ी है लेकिन आपूर्ति अपेक्षाकृत कम रही। वधावन कहते हैं, ‘मांग और आपूर्ति की असमानता के कारण बड़े शहरों में 2018 से 2021 के बीच भूखंडों की कीमतों में 13 से 21 फीसदी की सालाना वृद्धि हुई है।’ इसके साथ ही अपार्टमेंट के कुछ जोखिम भूखंड के मामलों में कम हो जाते हैं। वधावान कहते हैं, ‘तय समय पर डिलिवरी नहीं करना, वादा किए गए मानकों पर निर्माण की गुणवत्ता नहीं होना जैसे जोखिम भूखंड में नहीं रहते हैं।’ भूखंडों में डेवलपर्स को केवल बुनियादी ढांचा देना रहता है इसलिए वे इसकी आपूर्ति 6 से 12 महीने में कर सकते हैं। भू-माफिया से रहें सावधान भूखंड खरीदते वक्त सबसे बड़ा जोखिम उसके लीगल टाइटल यानी वैध मालिकाना हक से जुड़ा होता है। साथ ही दूसरा बड़ा जोखिम भू-माफिया का होता है। मिश्र कहते हैं ‘अगर भूखंड गेटेड कम्युनिटी में नहीं है, सूनसान इलाके में है और आप वहां हमेशा नहीं जाते और उसकी चारदीवारी नहीं की है और न ही किसी गार्ड को तैनात किया है तो इस पर भू-माफिया का कब्जा होने का खतरा रहता है।’ अपार्टमेंट की तुलना में स्वतंत्र घरों को लेकर एक अहम समस्या सुरक्षा की चिंता (चोरी या डकैती) भी है। भूखंड भी बाजार चक्र के अधीन हैं। 2013 और 2018-19 के दौरान मांग नरम होने से देश भर में भूखंडों की कीमतें लगभग स्थिर थीं। मालिकाना हक का सत्यापन जमीन में निवेश करते समय सबसे बड़ी चुनौती मालिकाना हक से जुड़ी होती है। पुरी कहते हैं, ‘भूखंड खरीदते वक्त मालिकाना हक को लेकर मुकदमेबाजी की आशंका रहती है। इसलिए मालिकाना हक सत्यापित करने के लिए पेशेवर की मदद जरूर लें।’ उन्होंने कहा कि खरीदार को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि सभी जरूरी मंजूरियां और प्रमाणपत्र जैसे मालिकाना हक, कब्जा प्रमाण पत्र, संपत्ति कर की रसीद आदि सही तरीके से उपलब्ध हों। शहर के मास्टर प्लान में आवासीय या व्यावसायिक भूखंड में भूमि उपयोग क्षेत्र सत्यापित होना चाहिए। डेवलपर की परियोजना में भूखंड खरीदने के दौरान भी इन चीजों की जांच करना जरूरी होता है। बाहरी इलाकों में भूखंड खरीदते वक्त मुख्य सड़क से इसके संपर्क और आसपास के बुनियादी ढांचे पर गौर जरूर करना चाहिए। निवेशकों को यह याद रखना चाहिए कि प्रमुख बुनियादी ढांचा के पूरा होने पर इलाके में जमीन की कीमतों भारी वृद्धि हो सकती है। भूखंड खरीदने के लिए पैसे का प्रबंध आवास ऋण की तुलना में जमीन खरीदने के लिए कर्ज आम तौर पर अधिक ब्याज पर मिलता है। बैंक बाजार डॉट कॉम के मुख्य कार्याधिकारी आदिल शेट्टी कहते हैं, ‘छोटी अवधि के इन ऋणों की अधिक ब्याज दर के कारण मासिक किस्त अधिक रहती है।’ आवास ऋण आम तौर पर 20 से 30 साल की अवधि का होता है, जबकि भूखंड के लिए अमूमन 15 वर्ष से अधिक के लिए कर्ज नहीं मिलता है। इतना ही नहीं, भूखंड की कीमत का अधिकतम 70 फीसदी तक ही कर्ज मिल पाता है जबकि आवास ऋण के मामलों में यह 80-85 फीसदी तक हो सकता है।
