कोरोना महामारी और उससे उपजे संकट के कारण पूरी दुनिया में मंदी आ सकती है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक दुनिया ग्लोबल मंदी की ओर बढ़ रही है। दुनिया के अधिकतर देशों के विकास दर में कमी का अनुमान है। वहीं अधिकतर देशों के सरकारी बैंक महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दर में वृद्धि कर रहे हैं। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक दुनिया की अधिकतर अर्थव्यवस्था पहले से ही या तो मंदी की चपेट में है या फिर इसकी ओर बढ़ रही है लेकिन पहले आए मंदी के अपेक्षाकृत बेरोजगारी दर कम है।कम समय के लिए आ सकती है मंदी अर्थशास्त्रियों के मुताबिक मंदी की अवधि कम होगी लेकिन महंगाई का असर लंबे समय तक बना रह सकता है। महंगाई पर लगाम कसने के लिए अधिकतर केन्द्रीय बैंक द्वारा ब्याज दर में वृद्दि की गई है लेकिन महंगाई में कमी देखने को नहीं मिल रही है। दुनिया के अधिकतर केन्द्रीय बैंकों में ब्याज दर दो तिहाई से अधिक है लेकिन महंगाई अभी भी अनुमान से बहुत अधिक है। बीते 18 महीनों में महंगाई अनुमान से काफी अधिक रही है। इस बीच वैश्विक इक्विटी और बॉन्ड बाजार अव्यवस्थित हैं जबकि अमेरिकी मुद्रा ब्याज दरों की उम्मीद के आधार पर विदेशी मुद्रा के मुकाबले शीर्ष पर है।क्या है सर्वे में ? इस सर्वे में दुनिया के 257 अर्थशास्त्रियों ने भाग लिया। इनमें से 179 अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अगले साल बेरोजगारी में वृद्दि की संभावना थोड़ी कम है। मंदी होगी लेकिन वह काफी कम समय के लिए होगी। साल 2023 में वैश्विक विकास दर 2.9 प्रतिशत से घटकर 2.3 प्रतिशत पर आने का अनुमान है और 2024 में यह 3 प्रतिशत के आस-पास बनी रहेगी। हालांकि कुछ अर्थशास्त्रियों की राय इससे भिन्न भी है।
