संवत 2079 में सभी गैर-कृषि जिंसों की चाल डॉलर पर केंद्रित रहने की संभावना है और उनकी कीमतें भी उसी पर केंद्रित होंगी। पिछली कुछ तिमाहियों में डॉलर की मजबूती की वजह से निवेशकों ने मुख्य तौर पर अमेरिकी मुद्रा और तेल की ओर रुख किया हैऔर अन्य जोखिम वाली परिसंपत्तियों की बिकवाली की है। बढ़ती ब्याज दरों के साथ साथ मुद्रास्फीति का दबाव इसका एक मुख्य कारण था। इन बदलावों को जिंसों के लिए हमेशा से अच्छा नहीं समझा जाता रहा है। सोने को डॉलर में तेजी के समय में मुद्रास्फीति के खिलाफ हेजिंग का मुख्य विकल्प समझा जाता है। हाल में समाप्त संवत में, डॉलर सूचकांक 19.3 प्रतिशत तक चढ़ा, लेकिन रुपये में डॉलर के मुकाबले10 प्रतिशत की गिरावट आई। लेकिन इस 10 प्रतिशत की गिरावट से भी आयातित जिंसों की कीमतों ने मुद्रास्फीति दबाव पैदा किया। तेल और कोयले को छोड़कर अन्य प्रमुख जिंसों में संवत 2078 में तेजी दर्ज की गई। यह तेजी काफी हद तक रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से मुद्रास्फीति में तेजी आने के बाद डॉलर की मजबूती की वजह से दर्ज की गई थी। जिंसों में संवत 2078 में 6 से 50 प्रतिशत के बीच गिरावट आई। दिलचस्प बात यह है कि पूर्ववर्ती संवत वर्ष 2077 में सोने और चांदी को छोड़कर ज्यादातर जिंसों ने 28 प्रतिशत से 120 प्रतिशत का मजबूत प्रतिफल दिया था। इसकी वजह से, दो साल में सोने, चांदी और लौह अयस्क को छोड़कर कई प्रमुख जिंसें अभी भी ऊंचाई पर बनी हुई हैं, जबकि इस्पात में मामूली नरमी आई है। जहां कच्चे तेल और कृषि जिंसों की कीमतें यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद चढ़ी हैं, वहीं इससे बड़ा मुद्रास्फीति झटका लगा और केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरें बढ़ानी शुरू कर दीं। कच्चा तेल अभी भी पिछले कुछ महीनों में भारी गिरावट के बावजूद 12 प्रतिशत महंगा बना हुअ है। कोयला भी कुछ कारणों से श्रेष्ठ प्रदर्शक रहा है। कॉमट्रेंड्ज रिस्क मैनेजमेंट सर्विसेज के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी ज्ञानशेखर त्यागराजन ने कहा, ‘फेडरल रिजर्व द्वारा मुद्रास्फीति को काबू में पाने के लिए की जा रही सख्ती के बाद से जिंसों में काफी उतार-चढ़ाव बना हुआ है। मुद्रास्फीति 40 साल के ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है, जिससे फेड को दर वृद्धि का सहारा लेना पड़ा है। सराफा, ऊर्जा और धातु जैसी गैर-कृषि जिंसों में बड़ा बदलाव आया है।’ मुद्रास्फीति दर बढ़ने से सोने में चमक आती है, लेकिन यह ब्याज दर बढ़ने और डॉलर में मजबूती आने के बाद गिरा है। संवत 2078 में, अंतरराष्ट्रीय सोने की कीमतें 6 प्रतिशत और चांदी की कीमतें 17 प्रतिशत नीचे आईं। हालांकि पिछले 6 महीनों में सोने में 15 प्रतिशत से ज्यादा की कमजोरी आई है। अमेरिका स्थित एल्गोरिदम ट्रेडिंग विश्लेषक एवं अरोड़ा रिपोर्ट के लेखक निगम अरोड़ा ने कहा, ‘सोने से दो समस्याएं जुड़ी रहीं। पहला है डॉलर, जिसमें सोने की कीमत जुड़ी हुई है। इस वजह से, जब डॉलर चढ़ता है, सोना नीचे आता है। डॉलर बहुत मजबूत रहा है। डॉलर के लिए संभावनाएं मजबूत बनी हुई हैं।’ उनके अनुसार, सोने से जुड़ी दूसरी समस्या यह है कि इस धातु ने ब्याज दर बढ़ने की स्थिति में बेहतर प्रदर्शन नहीं किया है। निवेशक फेड फंड वायदा पर नजर बनाए रखना चाहेंगे। मई फेड फंड वायदा की दर 5 प्रतिशत तक पहुंच गई है। सोने का प्रदर्शन फेड फंड दरों पर निर्भर करेगा। जहां तक कच्चे तेल का सवाल है, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने देश के प्रमुख पेट्रोलियम भंडार से बड़ी तादाद में तेल जारी किए जाने की घोषणा की है।
