एक साल के एकीकरण के बाद संवत 2079 में भारतीय बाजारों का प्रदर्शन बेहतर रहने की उम्मीद है। इक्विटी रणनीतिकारों का मानना है कि देसी बाजार एक अंक में रिटर्न दे सकते हैं, जो इस पर निर्भर करेगा कि वैश्विक माहौल कैसा रहता है और जोखिम लेने की इच्छा कौन सी करवट लेती है। इक्विटी बाजार पूरी तरह से जोखिम से बाहर नहीं है क्योंकि वैश्विक मंदी का डर बढ़ रहा है, केंद्रीय बैंक महंगाई पर लगाम कसने के लिए सख्त रुख अपना रहे हैं और भूराजनीतिक तनाव भी बरकरार है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि ज्यादातर जोखिम साल के दूसरे हिस्से में घट सकते हैं जब महंगाई की स्थिति बेहतर होगी औ्र केंद्रीय बैंक एक बार फिर मौद्रिक नीति को सहज बनाना शुरू कर देगा। साथ ही आर्थिक व आय की रफ्तार दोबारा पटरी पर लौट आएगी। कोटक महिंद्रा म्युचुअल फंड के अध्यक्ष (समूह) व प्रबंध निदेशक नीलेश शाह ने कहा, संवत 2079 दीवाली की तरह हो सकता है - उत्सव मनाए जा सकते हैं। अनुशासित निवेशक इस बाजार में कमाई कर सकता है, बशर्ते वह गिरावट में खरीदारी कर सकता हो। दूसरी तरह के निवेशकों को उतारचढ़ाव का प्रबंधन करने में मुश्किलों का सामना करना होगा। उनका मानना है कि पूंजीगत सामान और विनिर्माण क्षेत्र संवत 2079 में बेहतर प्रदर्शन करेंगे। बेंचमार्क निफ्टी ने संवत 2078 की समाप्ति 17,576 पर की। सेंसेक्स 59,307 पर बंद हुआ और इसने मामूली ही सही, नकारात्मक रिटर्न दर्ज किया। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि बाजार तब तक ट्रेडिंग रेंज में बने रहने के अलावा कुछ समय और एकीकृत होंगे, जब तक कि प्रमुख अवरोध नरम नहीं होते। अमिष शाह की अगुआई में बोफा के रणनीतिकारों ने एक नोट में कहा है, कच्चे तेल की कीमतें, वैश्विक वृद्धि की सुस्त रफ्तार और मुद्रा में गिरावट के चलते अल्पावधि में आर्थिक जोखिम देखने को मिल सकती है मसलन चालू खाते के घाटे में बढ़ोतरी और राजकोषीय घाटे का लक्ष्य ज्यादा रह सकता है। अगर कच्चा तेल और मुद्रा अपनी करामात दिखाते हैं तो यह भारत के आर्थिक हालात को कमजोर कर सकता है और हम पूंजीगत खर्च को लेकर भी जोखिम देख सकते हैं। इसे देखते हुए हमारा मानना है कि आय में और कटौती की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, हमने निफ्टी का ट्रेडिंग दायरा 17,000-19,500 से घटाकर 16,500-18,500 कर दिया है और आधार लक्ष्य पहले के 18,500 से घटाकर 17,500 कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक मंदी की स्थिति में देसी अर्थव्यवस्था की सुदृढ़ता और कंपनियों की आय बाजार की चाल तय करेगी। एवेंडस कैपिटल ऑल्टरनेट स्ट्रैटजीज के मुख्य कार्याधिकारी एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, जब केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ाना बंद करेंगे तो निवेशक देखेंगे कि कहां वृद्धि हो सकती है। इसी जगह पर भारत समेत उभरते बाजार अलग दिखेंगे। मुझे उम्मीद है कि निफ्टी 10 से 12 फीसदी रिटर्न देगा। कुछ क्षेत्र व कंपनियां होंगी, जिनका प्रदर्शन बेहतर होगा। भूराजनीतिक तनाव सबसे बड़ा अवरोध रह सकता है। हमें देखने होगा कि रूस-यूक्रेन का तनाव कौन सी करवट लेता है। चीन-ताइवान एक और सुर्खियां बन सकती है। संवत 2078 में देसी बाजारों ने ज्यादातर वैश्विक बाजारों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया, जिसमें देश की मजबूत नकदी का अहम योगदान रहा। देसी निवेश उस स्थिति में अहम रहेगा अगर वैश्विक अवरोध कायम रहते हैं और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक निवेश निकासी जारी रखते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि देसी बाजारों में एफपीआई का निवेश सुधरेगा जब मुद्रा बाजार स्थिर हो जाएगा। वेलेंटिस एडवाइजर्स के संस्थापक ज्योतिवर्धन जयपुरिया ने कहा, अगले साल की शुरुआत से दरों में बढ़ोतरी का चक्र धीमा होना शुरू हो जाएगा और साल के मध्य तक यह शायद समाप्त हो जाएगा। अगले कैलेंडर वर्ष के आखिर तक हम ब्याज दरों में कटौती की शुरुआत भी देख सकते हैं। हम शायद अमेरिका व यूरोप में मंदी का दौर देख सकते हैं, इसके परिणामस्वरूप आय में नरमी आएगी। जब डॉलर की ताकत सर्वोच्च स्तर पर पहुंचेगी तब हम उभरते बाजारों में निवेश में सुधार देखेंगे। अहम अवरोध कच्चे तेल की कीमतों में होने वाला बदलाव होगा। हमने चालू खाते के घाटे में बढ़ोतरी देखी है और विदेशी मुद्रा भंडार घटा है।
