सरकार ने 29 सितंबर को छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज की दरें 10 से 30 आधार अंक बढ़ाने का ऐलान किया। इसके साथ ही दो साल की जमा पर ब्याज की दर बढ़कर 5.7 फीसदी हो गई। इसी तरह तीन साल की जमा पर 5.8 फीसदी, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (एससीएसएस) पर 7.6 फीसदी, मासिक आय खाते पर 6.7 फीसदी तथा किसान विकास पत्र पर 7 फीसदी ब्याज दर हो गई है। मगर लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) पर ब्याज दर पहले की ही तरह 7.1 फीसदी, सुकन्या समृद्धि योजना पर 7.6 फीसदी तथा राष्ट्रीय बचत पत्र पर 6.8 फीसदी हैं यानी इनमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। फिनस्कॉलर्ज वेल्थ मैनेजर्स की सह संस्थापक एवं प्रिंसिलपल एडवाइजर तथा सेबी में पंजीकृत निवेश सलाहकार रेणु माहेश्वरी कहती हैं, 'जब ब्याज दर बढ़ रही हैं और स्थिर आय वाली सभी योजनाओं पर प्रतिफल भी बढ़ रहे हैं तब दरों में इस बढ़ोतरी से छोटी बचत की इन योजनाओं का आकर्षण बदला नहीं है।' छोटी बचत की तीन योजनाएं सबसे ज्यादा आकर्षक हैं - पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि योजना और वरिष्ठ नागरिक बचत योजना। पीपीएफ पीपीएफ की सबसे अच्छी बात यह है कि निवेशकों को इस पर किसी भी समय कर नहीं देना पड़ता यानी न तो इस पर मिलने वाले ब्याज पर किसी तरह का कर वसूला जाता है और न ही पीपीएफ की अवधि पूरी होने पर मिलने वाली एकमुश्त रकम पर कर लगता है। साथ ही इसमें आप जो निवेश करते हैं, उस पर कर छूट भी मिलती है। सेबी में पंजीकृत निवेश सलाहकार और पर्सनलफाइनैंस डॉट कॉम के संस्थापक दीपेश राघव बताते हैं, 'यदि कोई व्यक्ति 30 फीसदी कर कटौती के दायरे में आता है तो पीपीएफ पर मिलने वाला 7.1 फीसदी का करमुक्त प्रतिफल उसके लिए कर कटौती से पहले करीब 10 फीसदी प्रतिफल के बराबर है। नहीं के बराबर जोखिम वाली योजना के लिहाज से यह बेहद शानदार प्रतिफल है।' सेबी में पंजीकृत वित्तीय योजनाकार और अरविंद राव ऐंड असोसिएट्स के संस्थापक अरविंद ए राव कहते हैं, 'रिटायरमेंट के लिहाज से बचत करने के लिए यह एकदम आदर्श योजना है। जिनके पास खुद का रोजगार है और कर्मचारी भविष्य निधि जैसा फायदा जिन्हें नहीं मिलना है, उनके लिए तो यह और भी जरूरी है।' राघव कहते हैं कि सुकन्या समृद्धि योजना और वरिष्ठ नागरिक बचत योजना में भी काफी अच्छा प्रतिफल होता है मगर दिक्कत यह है कि ये दोनों योजनाएं हर किसी के लिए नहीं हैं। जिनके केवल बेटे हैं, उन्हें सुकन्या समृद्धि का फायदा नहीं मिल सकता और वरिष्ठ नागरिक बचत योजना केवल बुजुर्गों के लिए है। इसके उलट पीपीएफ में कोई भी निवेश कर सकता है। पीपीएफ में एक ही कमी है। आप इसमें सालाना 1.5 लाख रुपये से अधिक निवेश नहीं कर सकते। साथ ही आपको लंबे अरसे के लिए निवेश भी करना पड़ता है। राव कहते हैं, 'मगर रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी के लिए बचत करनी हो तो लंबे वक्त के लिए पैसा फंसाना ही आपके लिए अच्छा है।' सुकन्या समृद्धि योजना पीपीएफ की ही तरह सुकन्या समृद्धि योजना भी कर मुक्त है मगर यह पीपीएफ से भी ज्यादा प्रतिफल देती है। माहेश्वरी कहती हैं, 'जिनके बेटी है, उनके लिए यह बहुत अच्छी बचत योजना है।' मगर इस योजना में शर्त यही है कि आपको अपनी बेटी की उम्र 10 साल होने से पहले ही उसका खाता खुलवाना पड़ेगा। साथ ही लंबे अरसे के लिए पैसा फंसाने को भी आपको तैयार रहना पड़ेगा। जब आपकी बेटी दसवीं कक्षा उत्तीर्ण कर लेती है तब आप इस खाते में जमा कुल रकम का 50 फीसदी निकाल सकते हैं। खाता खुलवाने के 21 साल बाद परिपक्व हो जाता है और उसके आगे इसे नहीं चलाया जा सकता। यदि कोई व्यक्ति अपनी बेटी को साथ लेकर विदेश में बसने जा रहा है तो सुकन्या समृद्धि खाता फौरन बंद कराना पड़ेगा। राघव बताते हैं, 'यदि ऐसा नहीं किया गया और इस बात का पता सरकार को चला तो आपको बचत खाते की ब्याज दर के बराबर दर से ही प्रतिफल मिलेगा।' वरिष्ठ नागरिक बचत योजना इस योजना में ब्याज हर तिमाही दिया जाता है। राव कहते हैं, 'इस तरह बुजुर्गों की लगातार नकदी की जरूरत इससे पूरी हो सकती है।' इसकी ब्याज दर भी पांच साल तक बदलती नहीं है। मगर पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि के उलट इस योजना में कर वसूला जाता है। निवेशक जिस कर स्लैब में आता है, उसी के अनुरूप कर इस योजना में मिलने वाले ब्याज पर भी काट लिया जाता है। इसीलिए यदि वरिष्ठ नागरिक ऊंचे आयकर स्लैब में आते हैं तो कर के बाद उन्हें मिलने वाला प्रतिफल कम हो जाता है। साथ ही एक बुजुर्ग इसमें 15 लाख रुपये से अधिक निवेश नहीं कर सकता। अच्छी बात यह है कि सुकन्या समृद्धि और पीपीएफ की तरह इसमें भी धारा 80सी के तहत कर रियायत का फायदा मिलता है। दूसरे आकर्षक विकल्प पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि के अलावा अन्य सभी लघु बचत योजनाओं में प्रतिफल पर कर वसूला ही जाता है। वरिष्ठ नागरिक बचत योजना में पूरे 15 लाख रुपये लगाने के बाद बुजुर्ग प्रधानमंत्री वय वंदना योजना के बारे में सोच सकते हैं। यह भी सरकारी योजना है, 7.4 फीसदी ब्याज देती है (जिस पर कर कटता है) और 10 साल तक निवेश करना होता है। अगर आप वरिष्ठ नागरिक की श्रेणी में नहीं आए हैं तो भारतीय रिजर्व बैंक के फ्लोटिंग रेड बॉन्ड्स का सहारा ले सकते हैं। इनमें 7.15 फीसदी का करयोग्य ब्याज मिलता है और 7 साल के लिए निवेश करना पड़ता है। सरकारी योजनाओं को छोड़ दें तो निवेशक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की सावधि जमा (एफडी) चुन सकते हैं, जिन पर मिलने वाली ब्याज की दर भविष्य में बढ़नी ही है क्योंकि कर्ज लेने वाले बहुत बढ़ रहे हैं। राघव इसका एक और अच्छा पहलू बताते हैं। वह कहते हैं, 'अगर बैंक एफडी से वक्त से पहले निकासी कर ली यानी एफडी तोड़ ली तो वरिष्ठ नागरिक बचत योजना से कम जुर्माना देना होगा।' डेट फंडों में परिपक्वता पर मिलने वाला प्रतिफल काफी बढ़ गया है। इसलिए वे भी खासे आकर्षक हो गए हैं। अगर आप इनमें तीन साल से अधिक समय के लिए निवेश करते हैं तो इंडेक्सेशन के बाद लगने वाला कर इस महंगाई के दौर में कम रह सकता है। निश्चित समय के लिए टारगेट मैच्योरिटी फंड में निवेश पर भी विचार किया जा सकता है क्योंकि उनमें क्रेडिट का जोखिम कम होता है। अगर उनमें परिपक्वता तक निवेश बनाए रखा गया तो ब्याज दर से जुड़े जोखिम भी कम हो जाते हैं।
