पूंजी बाजार नियामक सेबी ने दूरसंचार ऑपरेटर वोडाफोन आइडिया पर 1.92 अरब डॉलर का बकाया इक्विटी में बदलने के सरकारी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। गुरुवार को दो वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने यह जानकारी दी। पिछले साल भारत सरकार ने कर्ज में फंसी दूरसंचार कंपनियों के लिए राहत पैकेज को मंजूरी दी थी, जिसके तहत उन्हें बकाया समायोजित सकल राजस्व पर ब्याज को इक्विटी में बदलने की इजाजत दी गई थी। इस पैकेज को भारती एयरटेल व रिलायंस जियो समेत देश की तीन अग्रणी दूरसंचार कंपनियों में शामिल वोडाफोन आइडिया के लिए राहत के तौर पर देखा गया, जो दिवालिया होने के कगार पर पहुंच चुकी थी। बाजार नियामक सेबी ने सरकारी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और अब सरकार इस कंपनी की वित्तीय निवेशक होगी। एक अधिकारी ने रॉयटर्स से कहा, मंजूरी की जानकारी दूरसंचार मंत्रालय को दे दी गई है। बकाए को इक्विटी में बदलने के बाद वोडाफोन में सरकार की हिस्सेदारी 30 फीसदी से ज्यादा हो सकती है, जो उसे कंपनी के सबसे बड़े शेयरधारकों ब्रिटेन के वोडाफोन समूह व आदित्य बिड़ला समूह में शमिल कर देगा। अधिकारी ने कहा, इसके अलावा सेबी ने वोडाफोन आइडिया में सरकारी हिस्सेदारी को पब्लिक फ्लोट के तौर पर वर्गीकृत करने का अनुरोध भी मंजूर कर लिया है। बाजार नियामक सेबी का दिशानिर्देश बताता है कि 10 फीसदी तक की हिस्सेदारी को ही सार्वजनिक शेयरधारिता के तौर पर वर्गीकृत किया जा सकता है। इस संबंध में वित्त व दूरसंचार मंत्रालयों, सेबी और वोडाफोन आइडिया से तत्काल टिप्पणी नहीं मिल पाई। एक अधिकारी ने कहा, जब दूरसंचार ऑपरेटर की स्थिति में सुधार हो जाएगा तब सरकार अपनी हिस्सेदारी बेचेगी।
