भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) दूरसंचार विधेयक के तहत ओवर द टॉप (ओटीटी) संचार सेवा प्रदाताओं के लिए नियम तैयार करने के पक्ष में नहीं है। सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ट्राई ने दूरसंचार विधेयक के मसौदे पर परामर्श के दौरान दूरसंचार विभाग को भी अपने नजरिये से अवगत करा दिया है। सरकार ने पिछले महीने आम हितधारकों की टिप्पणी के लिए दूरसंचार विधेयक का मसौदा जारी किया था। मसौदे में दूरसंचार सेवाओं की परिभाषा में विस्तार करते हुए ओटीटी सेवाओं को भी शामिल किया गया है। इसमें व्हाट्सऐप, सिग्नल, ज़ूम, स्काइपे, गूगल एवं टेलीग्राम जैसी ओटीटी सेवा प्रदाता शामिल हैं जो वॉइस या वीडियो कॉलिंग एवं मेसेजिंग सेवाएं मुहैया कराती हैं। दूरसंचार सेवाओं की परिभाषा में संशोधन एयरटेल और रिलायंस जियो जैसे दूरसंचार सेवा प्रदाताओं द्वारा सभी के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने संबंधी लंबी मांग के मद्देनजर किया गया है। दूरसंचार ऑपरेटरों का कहना है कि ओटीटी संचार और उपग्रह आधारित सेवाओं के तहत लाइसेंस या स्पेक्ट्रम के बिना वॉइस व वीडियो कॉल एवं मेसेजिंग सेवाओं की पेशकश की जाती है। मसौदा विधेयक के तहत इंटरनेट आधारित सेवाएं प्रदान करने वाले ओटीटी प्लेटफॉर्म भी दूरसंचार कंपनियों के साथ समान नियमों के दायरे में होंगे। ऐसे में ओटीटी सेवा प्रदाताओं को भी अपना परिचालन जारी रखने के लिए लाइसेंस लेने की आवश्यकता होगी। साथ ही लाइसेंस प्राप्त कंपनी के तौर पर उसे अपना राजस्व भी सरकार के साथ साझा करना पड़ सकता है। सूत्रों ने कहा कि ट्राई ने इस मुद्दे पर अपने पिछले रुख को दोहराते हुए कहा है कि ओटीटी सेवाओं के लिए किसी नियामकीय दखल की आवश्यकता नहीं है और उसे बाजार पर छोड़ देना चाहिए। सितंबर 2020 में उसने ऐसा कहा था। ट्राई ने जोर देकर कहा था कि सेवाओं के विभिन्न पहलुओं के लिए एक व्यापक नियामीय ढांचा तैयार करने के लिए यह समय उपयुक्त नहीं है। ऐसा ओटीटी सेवाओं के संदर्भ में कहा गया था जो उस समय मौजूद कानून के दायरे में नहीं थे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमने सुझाव दिया था कि इस मुद्दे पर बाद में फिर से विचार करने का प्रयास किया जा सकता है, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय क्षेत्राधिकार में अधिक स्पष्टता के बाद। यह इस बात पर आधारित था कि अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) वैश्विक स्तर पर इस मुद्दे का अध्ययन कैसे कर रहा है। उसके बाद आईटीयू ने इस क्षेत्र के नियमन के लिए अब तक कोई बड़ा सुझाव नहीं दिया है।' एक अन्य अधिकारी ने कहा कि ट्राई ने ओटीटी के लिए नीति निर्माण में मुद्दा आधारित दृष्टिकोण अपनाने की वकालत की है। उन्होंने कहा, 'इस मुद्दे पर आधारित पिछली चर्चा दो भिन्न पहलुओं पर आधारित थी और ट्राई उनमें से प्रत्येक पर खास सुझाव दे रहा है। ताजा सुझाव में भी उसी मॉडल को अपनाया गया है।' एक पहलू ओटीटी सेवा प्रदाताओं और पारंपरिक दूरसंचार कंपनियों पर उनके प्रभाव से संबंधित है। इसके तहत दोनों में समानताओं, नियामकीय भिन्नता, सभी के लिए समान अवसर आदि पर गौर किया गया है। जबकि दूसरा पहलू ओटीटी सेवाओं में आर्थिक एवं सुरक्षा संबंधी जटिलताओं पर केंद्रित है। मसौदा विधेयक पर सुझाव भेजने की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर है।
