प्रदर्शन के मामले में डेट फंडों का संघर्ष शायद समाप्त होने वाला है। पिछले कुछ वर्षों से कम रिटर्न देने के बाद डेट फंड अंतत: ऐसे मोड़ पर है जहां वह महंगाई को पीछे छोड़ सकता है और बैंक की सावधि जमाओं से थोड़ा ज्यादा रिटर्न दे सकता है। कम रिटर्न की वजह निवेश पर कम ब्याज अर्जित किया जाना है। ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण अल्पावधि वाले डेट फंडों मसलन लिक्विड फंडों की परिपक्वता पर प्रतिफल (वाईटीएम) 6 से 7 फीसदी पर पहुंच गया और लंबी अवधि वाले फंडों मसलन कॉरपोरेट बॉन्ड फंडों के मामले में 7 से 8 फीसदी हो गया। अगर फंड प्रबंधन के खर्च को ध्यान में रखा जाए तो लंबी अवधि वाली प्रतिभूतियों का वाईटीएम 6.5 फीसदी से ऊपर रहा है, जो अग्रणी बैंकों की तरफ से सावधि जमाओं पर दिए जा रहे ब्याज के मुकाबले थोड़ा ज्यादा है। अभी भारतीय स्टेट बैंक 1 से 2 साल की जमाओं पर 5.6 फीसदी और 2 से 3 साल वाली सावधि जमाओं पर 5.65 फीसदी ब्याज की पेशकश कर रहा है।भविष्य में डेट फंड के रिटर्न के लिहाज से वाईटीएम अच्छा संकेतक है, लेकिन यह सावधि जमाओं पर मिलने वाले ब्याज की तरह गारंटी नहीं देता। ट्रस्ट एमएफ के सीईओ संदीप बागला ने कहा, डेट फंडों का रिटर्न कई चीजों पर निर्भर करता है मसलन ब्याज दरों में बदलाव से लेकर नकदी तक। लेकिन इसके बावजूद अल्पावधि वाले डेट फंडों का रिटर्न ज्यादातर समय वाईटीएम के मुताबिक ही रहा है। उदाहरण के लिए मनी मार्केट फंडों का वाईटीएम अभी 6.85 फीसदी है। अगर हम मार्क टु मार्केट प्रभाव को ध्यान में रखते हैं तब भी निवेशकों को 6.75 फीसदी से 6.85 फीसदी तक मिल सकते हैं। अल्पावधि वाले फंडों मसलन लिक्विड फंडों व ओवरनाइट फंडों के मामले में स्थिति और बेहतर है जहां रिटर्न की तुलना बचत खाते पर मिलने वाले रिटर्न से की जाती है। ये डेट फंड अभी करीब 6 फीसदी रिटर्न दे रहे हैं जबकि अग्रणी बैंक बचत खाते पर 3 से 3.5 फीसदी की पेशकश कर रहे हैं। भविष्य में डेट फंडों के रिटर्न में सुधार की संभावना सावधि जमाओं की खुदरा रकम वापस डेट फंडों (फिक्स्ड इनकम वाली योजनाओं) की ओर लाना शुरू कर दिया है। म्युचुअल फंड वितरक रंजीत दानी ने कहा कि ये फंड उनकी सिफारिश वाली सूची में लौट आए हैं। इस वितरक ने अपने क्लाइंटों की रकम डेट फंडों से बैंक एफडी में शिफ्ट की थी। दानी ने कहा, अल्पावधि से मध्यम अवधि वाली प्रतिभूतियों में लगाई जाने वाली ज्यादातर क्लाइंटों की रकम अभी लिक्विड फंडों में है, जो कुछ महीने पहले बैंक एफडी में थी। हम लंबी अवधि वाली डेट योजनाओं में रकम शिफ्ट करने से पहले ब्याज दरों में और बढ़ोतरी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। कुछ का मानना है कि वाईटीएम शायद ही और बढ़ेगा क्योंकि भविष्य में दर बढ़ोतरी को पहले ही समाहित किया जा चुका है। कमजोर प्रदर्शन व ब्याज दरों को लेकर जोखिम के कारण पिछले एक साल में बड़ी निवेश निकासी के बाद वाईटीएम में बढ़ोतरी डेट फंडों के लिए राहत लेकर आया है। खुदरा निवेशकों के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय डेट फंड मसलन कॉरपोरेट बॉन्ड फंडों ने अप्रैल 2021 के बाद से कुल 18 महीनों में से 16 महीनों में शुद्ध निकासी का सामना किया है। इस अवधि में शुद्ध निकासी 56,000 करोड़ रुपये रही, जिसके कारण कॉरपोरेट बॉन्ड फंडों की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां 28 फीसदी घट गई। विश्लेषकों का मानना है कि ज्यादातर डेट फंडों की श्रेणियों में वाईटीएम अपने सर्वोच्च स्तर पर शायद पहुंच चुका है और जोखिम न उठाने वाले निवेशक इस मौके का इस्तेमाल लंबी अवधि के लिए डेट फंडों में निवेश में कर सकते हैं। साल 2028 में परिपक्व होने वाले टार्गेट मैच्योरिटी फंडों का वाईटीएम अभी 7.4 फीसदी है। चूंकि ऐसे पैसिव डेट फंडों का खर्च अनुपात कम है, ऐसे में निवेशक सालाना 7.2 फीसदी रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं, अगर वे परिपक्वता तक निवेशित रहते हैं।
