रबी के बोआई सीजन में तेजी आने से पहले केंद्र सरकार ने आज निर्धारित फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि की है। फसल विपणन वर्ष 2023-24 के लिए गेहूं, सरसों और मसूर के एमएसपी में करीब 5.46 से 9 फीसदी तक का इजाफा किया गया है जो विपणन सीजन 2020-21 के बाद सबसे अच्छी वृद्धि है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि से कृषि क्षेत्र अधिक ऊर्जावान होगा। ताजा बढ़ोतरी के बाद गेहूं का नया एमएसपी 2,125 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 2,025 रुपये प्रति क्विंटल हो जाएगा। हालांकि गेहूं की खरीद अगले साल के लिए घोषित एमएसपी से कहीं अधिक कीमत पर हो रही है। ऐेसे में यह देखना बाकी है कि अगले साल भी यही स्थिति बरकरार रही तो किसानों को अपनी उपज आधिकारिक खरीद एजेंसियों को बेचने के लिए कहां तक प्रोत्साहित किया जाता है। इस साल सरकारी एमएसपी के मुकाबले बाजार मूल्य काफी अधिक है। ऐसे में किसानों ने अपनी उपज निजी खरीदारों को बेचने का निर्णय लिया। इससे आधिकारिक खरीद में लगभग 57 फीसदी की गिरावट आई जो पिछले साल 4.33 करोड़ टन के मुकाबले लगभग 1.9 करोड़ टन रही। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनबवीस ने कहा, 'किसानों को उचित पारिश्रमिक प्रदान करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए एमएसपी बढ़ाए गए हैं। हालांकि इस साल सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहेगी कि गेहूं की खरीद लक्ष्य के अनुरूप हो क्योंकि गरीबों के लिए प्रधानमंत्री खाद्य योजना के तहत आवंटन के कारण सितंबर तक स्टॉक में उल्लेखनीय कमी आई है।' उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि मुद्रास्फीति की चिंता अभी भी बनी हुई है क्योंकि गेहूं के लिए अधिक कीमतों की पेशकश से बाजार की कीमतों में भी वृद्धि हो सकती है। आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने अन्य फसलों के अलावा सरसों के एमएसपी को करीब 8 फीसदी बढ़ाकर 5,450 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। इसी प्रकार मसूर के एमएसपी को भी 9 फीसदी से अधिक बढ़ाकर 6,000 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। सरसों के एमएसपी में की गई बढ़ोतरी सरकार की उस नीति के अनुरूप है जिसके तहत किसानों को अनाज के बजाय अधिक मूल्य वाले तिलहन एवं दलहन को उपजाने के लिए प्रोत्साहित करने की बात कही गई है। तिलहन और दलहन के लिए देश आयात पर अत्यधिक निर्भर है। गेहूं के मामले में सरकार ने कहा कि एमएसपी उत्पादन की लागत से अधिक है जो सरसों के मामले में भी लगभग 100 फीसदी अधिक है। ऐसा इस तथ्य के बावजूद हुआ कि बदले हुए नियमों के अनुसार एमएसपी अनिवार्य रूप से ए2 प्लस एफएल लागत से 50 फीसदी अधिक निर्धारित किया गया है। सबनवीस ने कहा, ‘सितंबर में गेहूं/आटा की मुद्रास्फीति 17.4 फीसदी थी जबकि मसूर के लिए 6.6 फीसदी थी। चने के मामले में यह 1 फीसदी से कम थी इसलिए एमएसपी में कम वृद्धि की गई है। सरसों के लिए एमएसपी में 7.9 फीसदी की वृद्धि की गई है जिससे किसान अपनी उपज बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित होंगे। ऐसे में खाद्य तेलों के लिए आयात पर निर्भरता को कम करने में मदद मिलेगी।’ पिछले महीने नवरात्रि त्योहार के साथ ही उत्तर भारतीय बाजारों में गेहूं की कीमतों में नए सिरे से तेजी दिखने लगी थी क्योंकि आटा कारोबारियों के बीच स्टॉक भरने के लिए होड़ मच गई थी। व्यापार और बाजार के सूत्रों ने कहा कि दिल्ली के थोक बाजारों में गेहूं की कीमतों में 1 सितंबर से लगभग 100 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है। इसमें करीब 75 फीसदी की वृद्धि 24 सितंबर के बाद हुई है।खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा है कि पिछले कुछ हफ्तों के दौरान गेहूं की कीमतों में हुई वृद्धि ‘सामान्य’ है।
