विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि हिन्द प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा एवं स्थिरता के लिये ऑस्ट्रेलिया, भारत का अहम साझेदार है और दोनों के साथ मिलकर काम करने से क्षेत्र की स्वतंत्रता, स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित होगी।ऑस्ट्रेलिया की दो दिवसीय यात्रा पर आए जयशंकर ने भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने अपना कुछ समय ऑस्ट्रेलिया की सेना के साथ बिताया। जयशंकर ने कहा, ‘‘हिन्द प्रशांत में सुरक्षा और स्थिरता के लिहाज से आज वे हमारे लिये काफी अहम साझेदार हैं ।हमारे संबंधों में ये बड़ा बदलाव इस तथ्य से स्पष्ट है कि दोनों देश क्वाड ढांचे में सदस्य हैं और विभिन्न प्रकार से मिलकर काम कर रहे हैं ताकि इस क्षेत्र की स्वतंत्रता, स्थिरता और समृद्धि बरकरार रखी जा सके।’’उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने पिछले वर्ष भी देखा है कि कुछ ही सप्ताह के भीतर हमने कितनी प्रगति की है। हमने ऑस्ट्रेलिया में दो महत्वपूर्ण सैन्य अभ्यास किये जिसमें भारतीय सेना ने हिस्सा लिया।’’ जयशंकर ने कहा कि धारणा, प्रत्येक देश की एक दूसरे को लेकर प्रासंगिकता तथा क्षेत्र की बेहतरी में योगदान देने के लिये दो देशों की साझा क्षमता, आज संबंधों को लेकर महत्वपूर्ण कारक बन गए हैं । ज्ञात हो कि अमेरिका, भारत और दुनिया की कई अन्य शक्तियां हिन्द प्रशांत को स्वतंत्र, मुक्त और समृद्ध बनाए रखने की जरूरत को रेखांकित कर रही हैं। यह इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता की पृष्ठभूमि में हो रहा है। चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के लगभग सम्पूर्ण क्षेत्र पर अपना दावा करता है।हालांकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रूनेई, मलेशिया, वियतनाम भी इसके हिस्सों पर दावा करते है। चीन ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान स्थापित किया है। जयशंकर ने कहा, ‘‘दोनों देशों ने कई अर्थों में हमारे संबंधों की ताकत को पहचाना है और इसे कफी गंभीर रूप में लेना शुरू किया है। ’’विदेश मंत्री ने भारत ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग एवं कारोबार समझौता के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘‘ पूरा विश्वास है कि इस वर्ष के अंत तक या अगले वर्ष के प्रारंभ तक हम एक नया आर्थिक ढांचा पेश करने की स्थिति में होंगे। यह हमारे सहयोग को पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ाने में सहायक होगा। ’’ उन्होंने कहा कि वह द्विपक्षीय संबंधों की व्यापक संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं, खास तौर पर शिक्षा के क्षेत्र में ।जयशंकर ने कहा, ‘‘ आस्ट्रेलिया ने शैक्षणिक केंद्र के रूप में वैश्विक छवि बनाई है । काफी संख्या में भारतीय छात्र यहां पर आते हैं और हमारा मानना है कि शिक्षा ऐसा क्षेत्र हो सकता है जहां भारत और आस्ट्रेलिया आगे बढ़ सकते हैं । ’’ विदेश मंत्री ने कहा कि वह ऐसा इसलिये कह रहे हैं क्योंकि भारत में हमने अपनी शिक्षा नीति में महत्वपूर्ण बदलाव किये हैं और कई कारणों से भारत आज अधिक अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ को इच्छुक है।उन्होंने कहा कि ऐसा हम इसलिये चाहते हैं क्योंकि हम अपने छात्रों को अधिक सक्षम बनाना चाहते हैं, हम चाहते हैं कि छात्र दुनिया को बेहतर ढंग से समझ सकें और वैश्विक कार्य स्थल के लिये अपने आप को तैयार कर सकें।अपनी यात्रा के दौरान जयशंकर ने विदेश मंत्री पेनी वांग, आस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस और शिक्षा मंत्री जेसन क्लारे के साथ बैठक की । उन्होंने कारोबार से कारोबार के आधार पर आस्ट्रेलिया के उद्योगों के साथ काम करने की उम्मीद जतायी जिसमें महत्वनपूर्ण खनिजों के खनन से जुड़ा क्षेत्र खास तौर पर शामिल है। जयशंकर ने कहा, ‘‘ यह दुनिया सेमीकंडक्टर की है।आप सभी जानते हैं कि महत्वपूण खनिजों की क्या अहमियत है।’’ उन्होंने कहा कि यूक्रेन संघर्ष के बाद ऊर्जा संकट से हमारे लिये एक सबक स्वच्छ एवं हरित ऊर्जा अपनाने में तेजी लाना है और इसमें आस्ट्रेलिया काफी आगे रहा है..इसलिये यह भी ऐसा क्षेत्र है जहां हम आस्ट्रेलिया के साथ कई संभावनाएं देखते हैं
