पिछले सप्ताह सरकार द्वारा घोषित रेडियो के तीसरे चरण के दिशानिर्देशों से विलय और अधिग्रहण का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। इस क्षेत्र के विशेषज्ञों और रेडियो प्रसारकों ने यह संभावना जताई है। अब छोटी कंपनियों को बाजार से निकलने का विकल्प चुनना पड़ सकता है क्योंकि सरकार ने चैनल होल्डिंग पर 15 फीसदी की सीमा हटा दी है, जो विकास को रोक रही थी। देश में एफएम स्टेशन का रेडियो सिटी ब्रांड चलाने वाले जागरण प्रकाशन की म्यूजिक ब्रॉडकास्ट लिमिटेड (एमबीएल) के मुख्य कार्याधिकारी अशित कुकियन ने कहा ‘कोविड-19 और संबंधित अन्य प्रतिबंधों के कारण पिछले दो साल में रेडियो क्षेत्र महामारी से पहले के अपने 3,100 करोड़ रुपये के बाजार से सिकुड़कर आधा रह गया था।’ उन्होंने कहा कि बाजार अब सुधारने लगा है। बाजार का विकास करने वाले दिशानिर्देशों का हमेशा स्वागत है। कोविड-19 से पहले अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस ब्रॉडकास्ट नेटवर्क (आरबीएनएल), जो बिग एफएम चलाती है, ने अपना रेडियो कारोबार एमबीएल को 1,050 करोड़ रुपये में बेचने का फैसला किया था। हालांकि पिछले साल यह सौदा रद्द कर दिया गया था क्योंकि कंपनियों को सौदा आगे बढ़ने के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय से मंजूरी नहीं मिली थी। उद्योग के सूत्रों का कहना है कि आरबीएनएल अब अपना रेडियो कारोबार बेचने की योजना फिर शुरू कर सकती है क्योंकि बाजार खुलने लगा है। आरबीएनएल के अधिकारी टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो पाए। लेकिन इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली शीर्ष संस्था एसोसिएशन ऑफ रेडियो ऑपरेटर्स फॉर इंडिया (एआरओआई) की अध्यक्ष अनुराधा प्रसाद ने कहा कि एक करोड़ रुपये मूल्य वाली कंपनियों को श्रेणी ‘सी’और ‘डी’ शहरों के लिए बोली प्रक्रिया में भागीदारी करने की अनुमति देने के सरकार के कदम से बाजार का विस्तार होगा। उन्होंने 15 साल की लाइसेंस अवधि के दौरान एक ही प्रबंधन समूह के भीतर एफएम रेडियो की मंजूरी के पुनर्गठन के लिए तीन साल की अवधि को हटाने पर भी प्रकाश डाला, जिससे उद्योग में विलय एवं अधिग्रहण की गतिविधि का मार्ग प्रशस्त होता है। वह वे कहती हैं कि रेडियो क्षेत्र में विज्ञापन की मात्रा का 47 से 50 फीसदी हिस्सा गैर-महानगरों से मिलता है।
