गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव होने हैं। इन राज्यों की राजनीतिक स्थिति के बारे में बता रही हैं आदिति फडणीस राज्य में पिछला विधानसभा चुनाव 9 दिसंबर, 2017 को 89 निर्वाचन क्षेत्रों में और 93 निर्वाचन क्षेत्रों में 14 दिसंबर, 2017 को हुआ था। विजय रूपाणी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार बनी। वर्ष 2021 में रूपाणी की जगह पहली बार विधायक बने भूपेंद्र पटेल ने ली थी, हालांकि स्थानीय राजनीति में उन्होंने लंबी पारी खेली थी। क्षेत्र की तस्वीर व्यापक तौर पर गुजरात को चार क्षेत्रों में बांटा गया है। कच्छ, भौगोलिक दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य है लेकिन यहां जनसंख्या का घनत्व सबसे कम है। वहीं सौराष्ट्र में राजकोट और जामनगर (54 सीट) जैसे महत्त्वपूर्ण वाणिज्यिक केंद्र हैं। उत्तर गुजरात (53 सीट) में प्रशासनिक राजधानी गांधीनगर और मेहसाणा जैसे शहर हैं जो दुग्ध सहकारी समितियों का केंद्र है। दक्षिण गुजरात (35 सीट) में वाणिज्यिक केंद्र सूरत है जबकि मध्य गुजरात (40 सीट) में पूर्ववर्ती राजधानी और राज्य का सबसे बड़ा शहर अहमदाबाद मौजूद है। पिछले चुनाव में भाजपा ने उत्तर गुजरात में शानदार प्रदर्शन करते हुए 50 प्रतिशत से अधिक वोट हिस्सेदारी हासिल की थी। सौराष्ट्र और कच्छ में कांग्रेस को सीटों का फायदा हुआ और भाजपा की सीटों की संख्या में काफी कमी आई। वर्ष 2012 में भाजपा ने 54 में से 35 सीट जीती थीं लेकिन 2017 में वह सिर्फ 23 सीट ही जीत सकी थी। दक्षिण गुजरात में भाजपा का प्रदर्शन मामूली रूप से नकारात्मक था। वर्ष 2012 की तुलना में 2017 में इसकी तीन सीट घट गईं थीं। कांग्रेस ने अपनी सीटों की संख्या में थोड़ा सुधार किया है। उत्तर गुजरात में दोनों दलों ने वर्ष 2012 की तरह ही समान सीट जीतीं थीं। मुस्लिम बहुल मध्य गुजरात में भाजपा ने अपनी सीटों की संख्या में पांच सीट की बढ़त हासिल की जबकि कांग्रेस को इतनी ही सीट गंवानी पड़ी। वर्ष 2017 में महज 29 सीट पर चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी (आप) को इस बार वोटों में सेंध लगाने वाला बताया जा रहा है। इस साल के चुनाव से बड़े मुद्दे इस चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी और ग्रामीण संकट को कम करने का तरीका है और इसके बाद स्वास्थ्य प्रबंधन और बुनियादी ढांचे की बारी आती है। यह राजनीतिक दलों द्वारा उठाए गए कदमों और उनके वादे में भी दिखता है। भाजपा ने यह स्वीकार किया है कि सवर्ण जाति (पटेल) के आरक्षण वाले आंदोलन के केंद्र में रोजगार से जुड़ी असुरक्षा थी जो वर्ष 2017 में भाजपा को महंगी पड़ी क्योंकि पार्टी सत्ता में तो आ गई लेकिन इसने अब तक के सबसे कम अंतर वाले बहुमत के साथ सरकार बनाई थी। राज्य की भाजपा सरकार ने वर्ष 2019 में तुरंत केंद्र सरकार की यह घोषणा स्वीकार कर ली कि 10 प्रतिशत नौकरियां आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित की जाएंगी चाहे वे किसी भी जाति के क्यों न हों। आम आदमी पार्टी (आप) ने 3,000 रुपये प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता और अधिक सरकारी नौकरियों का वादा किया है। कांग्रेस ने इस बात को ध्यान में रखा है कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की आबादी 50 प्रतिशत से अधिक है और इसी वजह से पार्टी ने विशेष रूप से इन समुदायों के लिए कल्याणकारी उपायों का प्रस्ताव दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार को कोविड-19 महामारी से निपटने के खराब तरीकों के लिए उच्च न्यायालय ने बार-बार फटकार लगाई गई थी। मतदाताओं के लिए, स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को बेहतर करने का वादा प्राथमिकता में है। हिमाचल प्रदेश पिछला विधानसभा चुनाव 9 नवंबर, 2017 को हुआ था और यहां एक ही दौर के मतदान कराए गए थे। भाजपा की राज्य भर में जीत के बावजूद, मुख्यमंत्री पद के प्रमुख उम्मीदवार माने जा रहे पीके धूमल अपना चुनाव हार गए। सत्ता के लिए चली खींचतान के बाद केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने जयराम ठाकुर को मुख्यमंत्री के तौर पर नामित किया था। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी हिमाचल प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं। क्षेत्र की तस्वीर हिमाचल प्रदेश में ऊपरी और निचले हिमाचल क्षेत्र आते हैं। शिमला, सिरमौर, मंडी, कुल्लू, लाहौल एवं स्पीति, सोलन, किन्नौर और चंबा जिलों के कुछ हिस्से ऊपरी हिमाचल का हिस्सा हैं। कांगड़ा, हमीरपुर, बिलासपुर, ऊना और मंडी जिले के निचले क्षेत्र, निचले हिमाचल का हिस्सा हैं। कांगड़ा सत्ता की सीट मानी जाती है: 68 विधानसभा सीट में से कांगड़ा की 15 सीट हैं। कांगड़ा ने ही हिमाचल को अपना पहला गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री दिया था जब भाजपा ने 1977 में शांता कुमार के नेतृत्व में सरकार बनाई थी। अब मंडी से ताल्लुक रखने वाले जयराम ठाकुर के जरिये भाजपा ने निचले हिमाचल में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। चुनाव से पहले बड़े मुद्दे भ्रष्टाचार (राज्य सरकार ने कुछ हफ्ते पहले उजागर हुए पुलिस भर्ती पेपर लीक घोटाले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल या एसआईटी का गठन किया है), बेरोजगारी और मुफ्त उपहारों के रूप में आमदनी से जुड़ी मदद देने को लेकर गर्मागर्म बहस जारी है। जोरदार तरीके से प्रचार कर रही आम आदमी पार्टी (आप) ने प्रत्येक घर के लिए हर महीने 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली, प्रति परिवार 20,000 लीटर तक मुफ्त पानी, बेहतर सरकारी स्कूलों और स्वास्थ्य केंद्रों की पेशकश की है। भाजपा ने 125 यूनिट बिजली मुफ्त और महिलाओं के लिए आधे किराये पर यात्रा की सुविधा देने की घोषणा की है। कांग्रेस सामान को ठंडा रखने के लिए इकाइयां लगाना चाहती हैं और इसके लिए जरूरी खर्च को कम करने के लिए दूध के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और शराब पर उपकर सहित कई कल्याणकारी उपायों की पेशकश कर रही है।
