सितंबर में इक्विटी बाजारों में आए उतारचढ़ाव से म्युचुअल फंड निवेशक बेपरवाह रहे और सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी के जरिये म्युचुअल फंड योजनाओं में रिकॉर्ड निवेश किया। सितंबर में मासिक आधार पर एसआईपी निवेश 2 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 12,980 करोड़ रुपये रहा। यह जानकारी एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों से मिली। इक्विटी योजनाओं में शुद्ध निवेश मासिक आधार पर 130 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 14,100 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इनमें लगातार तीन महीने गिरावट आई थी और अगस्त में यह 10 महीने के निचले स्तर 6,100 करोड़ रुपये पर आ गया था।इक्विटी योजनाओं में निवेश पिछले महीने बाजार के लाल निशान में रहने के बावजूद बढ़ा। पिछले महीने निफ्टी में तीन फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज हुई थी। उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि इक्विटी योजनाओं में निवेश भारतीय बाजार को लेकर निवेशकों के भरोसे को प्रदर्शित करता है। एम्फी के सीईओ एन एस वेंकटेश ने कहा, दुनिया भर में मंदी के डर के बीच भारत शानदार गंतव्य बना हुआ है। यह समय भारतीय इक्विटी में निवेश के लिहाज से सही है और निवेशक ऐसा करते दिख रहे हैं। मोतीलाल ओसवाल एएमसी के चीफ बिजनेस अफसर अखिल चतुर्वेदी ने कहा, दो महीने तक औसत से नीचे निवेश के बाद इक्विटी में निवेश बढ़ना बाजार के लिए बेहतर है। भारतीय निवेशकों ने एक बार फिर देसी अर्थव्यवस्था व बाजारों पर भरोसा जताया है जबकि बाजार में उतारचढ़ाव देखने को मिला और वैश्विक स्तर पर रुख नकारात्मक है। हालांकि डेट फंडों से 65,000 करोड़ रुपये की निकासी देखने को मिली। सितंबर में ज्यादातर योजनाएं लाल निशान में रही और अकेले लिक्विड फंडों से 60,000 करोड़ रुपये की निकासी हुई।एम्फी के सीईओ ने इस निकासी की वजह कंपनियों की तरफ से अग्रिम कर भुगतान के लिए हुई निकासी को बताया। उन्होंने कहा, डेट योजनाओं से निकासी समझा जा सकता है क्योंकि कंपनियां अग्रिम कर के भुगतान के लिए हर तिमाही के आखिर में रकम निकालती हैं। इसके अतिरिक्त ब्याज दरों में बढ़ोतरी ने भी लॉन्ग ड्यूरेशन फंडों पर भी असर डाला, जिससे निकासी हुई। इक्विटी योजनाओं में शुद्ध संग्रह और इंडेक्स फंडों व ईटीएफ में 13,600 करोड़ रुपये की शुद्ध आवक से उद्योग का एयूएम मासिक आधार पर 0.8 फीसदी बढ़कर 39.9 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। वित्त वर्ष 23 के पहले छह महीने में एसआईपी में निवेश को देखें तो उद्योग पिछले वित्त वर्ष के रिकॉर्ड एसआईपी निवेश के पार जा सकता है। वित्त वर्ष 2023 के पहले छह महीने में म्युचुअल फंडों को एसआईपी के जरिये 79,000 करोड़ रुपये मिले जबकि पूरे वित्त वर्ष 2022 में कुल 1.25 लाख करोड़ रुपये आए थे। वित्त वर्ष 2022 की शुरुआत से ही एसआईपी में निवेश की रफ्तार बनी हुई है। अप्रैल 2021 में 8,600 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था, जो मार्च 2022 में बढ़कर 12,300 करोड़ रुपये पर पहुंच गया और इसमें बढ़ोतरी जारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि समय के साथ निवेशक परिपक्व हुए हैं और अब वे इक्विटी म्युचुअल फंड को लंबी अवधि में परिसंपत्ति सृजन के तौर पर देखते हैं। डिजिटलीकरण के कारण निवेश में आसानी, उच्च रिटर्न वाले विकल्प का अभाव और औपचारिक क्षेत्र में आय बढ़ोतरी ने भी भूमिका निभाई है।
