रेल मंत्रालय ने टेक्नोलॉजी फर्म ओरेकल की भारतीय इकाई पर लगे आरोपों की जांच शुरू कर दी है। कंपनी पर रेलवे के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) के अधिकारियों को 2016 से 2019 के बीच करीब 4,00,000 डॉलर रिश्वत देने का आरोप है।अमेरिका के प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग (एसईसी) ने ओरेकल के ऊपर 230 लाख डॉलर का जुर्माना लगाया था। कंपनी ने संयुक्त अरब अमीरात, भारत और तुर्की के अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए कोष बनाया था और एसईसी ने विदेशी भ्रष्टाचार गतिविधि अधिनयम (एफसीपीए) के उल्लंघन करने के कारण कंपनी पर जुर्माना लगाया था। अमेरिका के नियामक ने 27 सितंबर के आदेश में कहा कि ओरेकल इंडिया के कर्मचारियों ने एक अत्यधिक छूट योजना चलाई थी, जो रेल मंत्रालय की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी के 2019 के एक लेन-देन से जुड़ी थी। मंत्रालय ने कहा कि ओरेकल मामले में एसईसी के आदेश को देखते हुए रेलवे ने स्वतः संज्ञान में लिया है और इसकी जांच शुरू कर दी है। बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में रेलवे के अधिकारी ने पुष्ट किया कि, ‘यह भारतीय रेल की आंतरिक जांच है। इस समय किसी अन्य प्रवर्तन एजेंसी को इस काम में नहीं लगाया गया है।’ बहरहाल अधिकारी ने सरकारी कंपनी का नाम बताने से मना किया, जो विवादों में आई है। रेल मंत्रालय के तहत 12 सार्वजनिक क्षेत्र के उफक्रम हैं। मंत्रालय के अधिकारियों ने यह पुष्ट नहीं किया है कि कौन सी इकाई इस मामले में शामिल है। बिजनेस स्टैंडर्ड ने डेडीकेटेट फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसीआईएल) के सूत्रों से संपर्क साधा तो उन्होंने कहा कि कंपनी का ओरेकल इंडिया के साथ कोई कॉन्ट्रैक्ट उस अवधि के बीच (2016 से 2019) या उसके बाद का नहीं है।एसईसी के आदेश के एक हिस्से में कहा गया है, ‘एसओसी के अधिकारियों को भुगतान करने के लिए कुल लगभग 330,000 डॉलर दिया गया वहीं सेल्स के कर्मचारियों द्वारा नियंत्रित एक इकाई को 62,000 डॉलर का भुगतान किया गया।’
