फर्स्ट ग्लोबल इंडिया की संस्थापक, चेयरपर्सन और प्रबंध निदेशक देविना मेहरा ने पुनीत वाधवा को दिए साक्षात्कार में बताया कि आखिर उन्हें क्यों लगता है कि वैश्विक बाजारों में उतारचढ़ाव के बीच भारत उम्दा प्रदर्शन करेगा। पेश हैं बातचीत के अंश...क्या आपको लगता है कि भारत समेत वैश्विक इक्विटी बाजारों में तेजी आएगी क्योंकि जून में मंदी वाले बाजार की तेजी आई थी?मैं साल की शुरुआत से ही कह रही हूं कि इस साल भारत का प्रदर्शन उम्दा रहेगा और मुद्रा में गिरावट के बावजूद ऐसा देखने को मिला है। मुझे इसके जारी रहने की उम्मीद है। भारत मजबूत बाजारों में से एक बना रहेगा। जून के मध्य में मैंने कहा था कि यह समय बाजारों में निवेश का है, अन्यथा ऐसे उछाल वाले बाजार में मौका गंवाने का जोखिम वास्तविकता बन जाएगी। भारतीय बाजार दो महीने में 18 फीसदी चढ़ गए। भारत में आई तेजी शायद ही मंदी वाले बाजार उत्तीर्ण होती है। यहां उतारचढ़ाव तो रहेगा लेकिन बड़ी गिरावट की संभावना नहीं है। वैश्विक स्तर पर देखें तो यूरोप में गिरावट जारी रहेगी, जिसकी वजह ऊर्जा के मसले पर अनिश्चितता है। अमेरिका का प्रदर्शन पिछले दशक की तरह शायद उम्दा नहीं रहेगा, लेकिन ठीक-ठाक स्थिरता देखने को मिलेगी। क्या एक परिसंपत्ति वर्ग के लिहाज से इक्विटी में जोखिम-प्रतिफल अनुकूल है?हां, मुझे अभी भी इक्विटी पसंद है क्योंकि ऐसी गिरावट के बाद इक्विटी बाजारों का जोखिम-प्रतिफल सबसे ज्यादा अनुकूल है। वैश्विक लिहाज से पिछले आंकड़े बताते हैं कि जब भी बाजार में इतनी गिरावट आती है तो फिर उसके बाद तेजी की संभावना भी होती है। कुल मिलाकर यह असामान्य वक्त में से एक रहा है जब सभी परिसंपत्ति वर्गों व सभी देशों (जिंस से जुड़े कुछ बाजारों को छोड़कर) में साल के पहले नौ महीने में गिरावट देखने को मिली है। ब्याज दरों में सख्ती के बाद फिक्स्ड इनकम भी वैश्विक स्तर पर बेहतर नहीं रहा है और फिक्स्ड इनकम से जुड़े सभी सूचकांकों में खासी गिरावट आई है। जिंस ने अपनी बढ़त गंवा दी है और तेल अंतत: जनवरी के स्तर पर आ रहा है। इस साल अमेरिकी डॉलर सबसे अच्छा रहा है, जो अन्य मुद्राओं के मुकाबले औसतन 19 फीसदी चढ़ा है और अभी भी कमजोरी के संकेत नहीं दे रहा है। क्या आप 12 महीने के लिहाज से लार्ज, मिड या स्मॉल कैप को प्राथमिकता देंगी?भारत में मुझे लगता है कि मिड व स्मॉलकैप का रिटर्न लार्जकैप से बेहतर रहेगा, हालांकि लार्जकैप ज्यादा स्थिर व कम उतारचढ़ाव वाला होगा। इसके बावजूद हमारी पीएमएस योजनाओं में हमने जोखिम प्रबंधन मानक के तहत स्मॉलकैप में निवेश सीमित रखा है क्योंकि इनमें नकदी तेजी से गायब हो सकती है। साल 2022 हालांकि 2021 की तरह की तेजी का बाजार नहीं होगा। यह साल क्षेत्र व कंपनियों का चयन सावधानी से करने वाला साल है।अल्पावधि के लिहाज से क्या आपको लगता है कि बाजारों के लिए जोखिम बढ़ रहा है? हम अमेरिका के निचले स्तर के करीब हैं, हालांकि कुछ यूरोपीय व उभरते बाजारों की गति अलग हो सकती है। इक्विटी बाजारों में हालांकि उतारचढ़ाव रहेगा और वैश्विक बाजारों को स्थिर होने में एक और तिमाही लग सकती है। भारत के लिए मुझे लगता है कि बुरे दिन पीछे रह गए हैं। दुनिया भर में हुए हर तरह के अध्ययन से पता चलता है कि भविष्य के रिटर्न के लिए कोंट्रा इंडिकेटर सेंटिमेंट है। जब सेंटिमेंट कमजोर होता है तो अगली अवधि में रिटर्न औसत से ज्यादा होता है और जब सेंटिमेंट ऊंचा होता है (जो 2021 में था) तब अगली अवधि का रिटर्न औसत से नीचे होता है।बढ़ते ब्याज और महंगाई के माहौल में फर्स्ट ग्लोबल की निवेश रणनीति क्या रही है? हमें वास्तविकता की जानकारी है कि इस साल ब्याज दरों में बढ़ोतरी होगी और खास तौर से पश्चिम में, जहां दरें शून्य के पास आ गई थीं। दुर्भाग्य से वैश्विक स्तर पर सभी परिसंपत्ति वर्ग व हर इलाके में इस साल गिरावट हुई है, जो लंबी अवधि के लिए रणनीति की खातिर कम गुंजाइश छोड़ती है। जैसा कि मैं साल की शुरुआत से कहती आ रही हूं कि भारत उम्दा प्रदर्शन करने वाला दिख रहा है। यहां तक कि अपने वैश्विक फंडों में भी सबसे ज्यादा भारांक भारत को ही दिया गया है। अगले कुछ महीनों व तिमाहियों में मुझे उम्मीद है कि भारत वैश्विक स्तर पर उम्दा प्रदर्शन करने वाला होगा। मुझे यहां से बड़ी गिरावट नहीं दिख रही है, हालांकि उतारचढ़ाव बना रह सकता है।इनपुट लागत को देखते हुए क्या अगली कुछ तिमाहियों में आय की डाउनग्रेडिंग होगी? आने वाले समय के लिए मैं मार्जिन में सिकुड़न को बहुत बड़े जोखिम के तौर पर नहीं देख रही। वास्तव में आप मार्जिन में कुछ विस्तार देख सकते हैं, कम से कम पिछली दो तिमाहियों के मुकाबले। पूंजीगत सामान व बैंकिंग जैसे क्षेत्र बेहतर परिणाम दे रहे हैं। पिछले दो साल के सुस्त मांग के मुकाबले हालांकि सुधार दिखेगा। अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र अलग-अलग रफ्तार से आगे बढ़ रहे हैं और अभी भी क्रीमी लेयर से नीचे काफी नागरिक हैं, जो परेशान करने वाले हैं। हालांकि इस मोर्चे पर भी स्थिति सुधर रही है।
