वित्त मंत्रालय ने बुधवार को आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत 1,500 करोड़ रुपये तक कर्ज लेने की सुविधा दे दी है, जिससे नकदी के संकट से जूझ रही विमान कंपनियों को मदद मिल सके। अब तक विमान कंपनियों ईसीएलजीएस के तहत 400 करोड़ रुपये तक कर्ज ले सकती थीं। केंद्र सरकार ने 2020 में ईसीएलजीएस पेश किया था, जिससे कोरोनावायरस महामारी से प्रभावित विमानन क्षेत्र को गिरवीं रहित और सरकार की गारंटी के तहत कर्ज मिल सके। वित्त मंत्रालय के बुधवार के फैसले से स्पाइसजेट जैसी वित्तीय संकट में फंसी कंपनियों को फायदा होगा, जो कामकाज चलाने के लिए केंद्र से मदद की उम्मीद कर रही थीं। पिछले महीने विमानन कंपनियों ने ईसीएलजीएस के तहत करीब 225 करोड़ रुपये कर्ज लिया था। नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘यह सकारात्मक कदम है। इससे विमानन कंपनियों को कार्यशील पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी और वे कठिन दौर में परिचालन के लिए धन का इंतजाम कर सकेंगी। मैंने इस सिलसिले में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक महीने पहले पत्र लिखा था कि ईसीएलजीएस के तहत विमानन कंपनियों के लिए उधारी की सीमा बढ़ाई जाए। मैं उनके फैसले के लिए धन्यवाद देता हूं।’ नागरिक उड्डयन मंत्रालय का हस्तक्षेप तब हुआ, जब विमानन कंपनियों ईंधन की बढ़ी कीमत और कमजोर होते रुपये की दोहरी चुनौती का सामना कर रही हैं। यात्रियों की मांग बढ़ी है, वहीं अधिक परिचालन लागत के कारण विमानन कंपनियों को घाटा हो रहा है। इस संबंध में बुधवार को जारी बयान के अनुसार, वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने यह मानते हुए कि देश के आर्थिक विकास के लिए एक कुशल और मजबूत नागरिक उड्डयन क्षेत्र महत्त्वपूर्ण है, विमानन कंपनियों के लिए अधिकतम ऋण राशि की पात्रता बढ़ाने के लिए मंगलवार को ईसीएलजीएस में संशोधन किया। संशोधित ईसीएलजीएस 3.0 के अनुसार, एयरलाइन कंपनियों की पात्रता उनकी निधि-आधारित या गैर-निधि-आधारित ऋण का 100 प्रतिशत या 1,500 करोड़ रुपये, जो भी कम हो, के आधार पर तय होंगी। वहीं 30 अगस्त 2022 को जारी ईसीएलजीएस के परिचालन दिशानिर्देशों के तहत निर्धारित अन्य सभी मानदंड, नियम और शर्तें पहले की तरह ही लागू रहेंगी। बयान के अनुसार, ‘संशोधनों का उद्देश्य विमानन कंपनियों को वर्तमान नकदी प्रवाह की समस्याओं से निपटने के लिए उचित ब्याज दरों पर आवश्यक गिरवी-मुक्त नकदी की सुविधा देना है।’इससे पहले मार्च 2022 में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा केंद्रीय बजट 2022-23 में की गई घोषणा को लागू करने के लिए ईसीएलजीएस की अवधि मार्च 2023 कर दी गई थी।
