बाजार में तेजी और नए निवेशकों द्वारा लगातार दिलचस्पी दिखाए जाने के बीच इक्विटी कारोबार की मात्रा जून के निचले स्तरों से काफी बढ़ी है। कैश मार्केट सेगमेंट (एनएसई और बीएसई दोनों) के लिए औसत दैनिक कारोबार (एडीटीवी) सितंबर में 66,914 करोड़ रुपये पर दर्ज किया गया, जो मासिक आधार पर 4.3 प्रतिशत और जून के निचले स्तरों से 41 प्रतिशत तक अधिक था। हालांकि कैश सेगमेंट के लिए एडीटीवी अभी भी अप्रैल के 73,245 करोड़ रुपये के आंकड़े से नीचे बना हुआ है। इस बीच, डेरिवेटिव सेगमेंट ने नए कारोबार की मात्रा में सर्वाधिक ऊंचा स्तर दर्ज किया, क्योंकि इसे ऑप्शन खंड से मदद मिली। वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) सेगमेंट (एनएसई और बीएसई दोनों) के लिए एडीटीवी सितंबर में 15.3 लाख करोड़ रुपये पर दर्ज किया गया, जो मासिक आधार पर 12 प्रतिशत और जून के स्तरों से 37 प्रतिशत अधिक है। उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि जून के निचले स्तरों से बाजार में अच्छी तेजी आने के बाद छोटे निवेशक एक बार फिर से सक्रिय हुए हैं। रिटेल दिलचस्पी का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि डीमैट खातों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। अगस्त में, देश में कुल डीमैट खातों की संख्या 22 लाख नए खातों के साथ पहली बार 10 करोड़ के आंकड़े पर पहुंची थी। सितंबर में अन्य 21.1 लाख खाते खुले, जिसके साथ ही यह संख्या बढ़कर 10.261 करोड़ पर पहुंच गई। इक्विनोमिक्स के संस्थापक जी चोकालिंगम का कहना है, 'उतार-चढ़ाव के बावजूद, सितंबर में लाखों नए निवेशक आए और उन्होंने खासकर स्मॉल-कैप और मिड-कैप सेगमेंट में बढ़-चढ़कर निवेश किया था। भले ही सूचकांक ने सितंबर में कमजोर प्रतिफल दर्ज किया, लेकिन शुरुआती गिरावट एक समान बनी रही। अक्टूबर और नवंबर में कारोबार में सुधार आएगा। अमेरिका में दर वृद्धि चरम पर पहुंचने की संभावना है। तेल एवं जिंस कीमतों में नरमी आ रही है, और मुद्रास्फीति में गिरावट आने का अनुमान है। सभी डाउनग्रेड के बावजूद, भारत 7 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर दर्ज करेगा और अपने वैश्विक प्रतिस्पर्धियों को मात देगा।' फेडरल रिजर्व द्वारा मौद्रिक सख्ती अपनाए जाने से सितंबर में, बाजारों में उतार-चढ़ाव बढ़ गया था। निफ्टी-50 सूचकांक में 3.74 प्रतिशत की गिरावट आई, निफ्टी मिडकैप 100 सूचकांक 2.6 प्रतिशत कमजोर हुआ और निफ्टी स्मॉलकैप 100 सूचकांक में 1.9 प्रतिशत की कमजोरी आई। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) प्रवाह भी तीन महीने में पहली बार धीमा पड़ गया। एफपीआई ने सितंबर में 13,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के शेयर बेचे। हालांकि घरेलू बाजार में गिरावट उसके वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले काफी कम थी। उदाहरण के लिए, पिछले महीने अमेरिका का डाउ जोंस सूचकांक 9 प्रतिशत गिरा। हालांकि इसमें अच्छा सुधार भी देखा गया और सप्ताह के पहले दो दिनों के दौरान इसमें 5.5 प्रतिशत की तेजी आई। अमेरिका में धारणा में आए बदलाव से घरेलू इक्विटी और कारोबारी मात्रा को भी मदद मिलने की संभावना है। येस सिक्योरिटीज के मुख्य कार्याधिकारी ई प्रशांत प्रभाकरन ने कहा, 'गिरावट के झटकों के बावजूद, दीर्घावधि के लिहाज से तेजी की धारणा बनी हुई है और हम बाजार में कुछ सुधार दर्ज करेंगे। भारतीय रिटेल के लिए ट्रेडिंग हमेशा तेजी पर आधारित रही है।'
