नागपुर में अपने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सालाना विजयादशमी संबोधन में, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मुख्य रूप से जनसंख्या नियंत्रण, "आत्मनिर्भर भारत" और सनातन धर्म के मुद्दों पर अपने विचार रखे। यहां तक कि जब आरएसएस प्रमुख ने देश के कई मौजूदा मुद्दों पर भी अपने विचारों को रखा। इसी के साथ उन्होंने उन मुद्दों पर भी चर्चा की जिसके बारे में वे पिछले कई भाषणों में जिक्र करते आए हैं। आरएसएस का प्रमुख होने के नाते भागवत के भाषण संघ की विचारधारा और संघ के सबसे अहम मुद्दों को दर्शाते हैं। आइए एक नजर डालते हैं मोहन भागवत के बीते 5 सालों के दशहरे के भाषणों पर- 2021कोरोना प्रतिबंधों के चलते पिछले साल नागपुर में एक साल बाद दशहरे पर कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस मौके पर भागवत ने मुख्य रूप से रूस, तुर्की, चीन और पाकिस्तान सरकार द्वारा तालिबान के समर्थन को लेकर भारत के इन देशों से लंबित वार्ता पर फोकस किया। बीते साल भी उन्होंने देश में जनसंख्या असंतुलन के बारे में जिक्र करते हुए अगले पांच दशकों के लिए जनसंख्या नीति पर जोर दिया।साथ ही उन्होंने कोरोना के खिलाफ आयुर्वेद को प्रभावी बताते हुए उसकी प्रशंसा। कोरोना के प्रभाव के चलते भागवत ने स्कूलों और कॉलेजों से ऑनलाइन कक्षाओं पर जोर दिया और सेलुलर तकनीकी के उपयोग को बढ़ावा देने का आग्रह किया। हालाँकि, उन्होंने ओटीटी प्लेटफार्मों पर अधिक नियामक नियंत्रण का प्रस्ताव भी रखा।2020कोरोना महामारी के चलते साल 2020 में भागवत ने आरआरएस सदस्यों की एक छोटी सभा को संबोधित किया और चीन प्रमुख मुद्दा रहा। उन्होंने चीन को हराने के लिए अन्य पड़ोसियों के साथ संबंधों को मजबूत करने के पर भी जोर दिया। वहीं लद्दाख में चीन की घुसपैठ की जोरदार निंदा की। उन्होंने कोरोना के चलते "प्राचीन कृषि प्रथाओं" को बढ़ावा देने और नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई नई शिक्षा नीति की जमकर सराहना की। अंत में, उन्होंने आरएसएस की विचारधारा को दोहराते हुए अपने भाषण में कहा कि हिंदुत्व एक धार्मिक रुख नहीं है, बल्कि एक सांस्कृतिक "जीवन का तरीका" है। 2019महामारी की चपेट में आने से एक साल पहले, और 2019 के चुनावों में भाजपा की एक और जीत हासिल करने के कुछ ही महीने बाद, भागवत ने अनुच्छेद 370 को संशोधित करने के मोदी सरकार के कदम की प्रशंसा की और दावा किया कि चुनावी जीत मोदी में भारत के भरोसे का संकेत है। उन्होंने चंद्रयान-2 मिशन के लिए इसरो की भी सराहना की। 2019 में भागवत के भाषण में हिंदू राष्ट्र का जिक्र करना उल्लेखनीय है। मंच से भागवत ने देश को हिंदू राष्ट्र बताया और कहा था कि केवल "भारतीय पूर्वजों" के वंशजों का देश में स्वागत है। इसी तर्क को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने एक ऐसी शिक्षा प्रणाली का प्रचार किया जो स्वाभाषा (हमारी भाषा), स्व भूषण (हमारी पोशाक), स्व संस्कृति (हमारी संस्कृति), और स्व पूर्वज (हमारे पूर्वजों) पर केंद्रित है। 2018 साल 2018 के भाषण में, आरएसएस प्रमुख ने विदेश नीति में कठोरता लाने पर जोर दिया। पाकिस्तान और चीन के खिलाफ सख्त तेवर दिखाते हुए भागवत ने भारत से अनुरोध किया कि कूटनीतिक में हाथ मोड़ने के लिए न झुके, इसके बजाय सीमा पर लगातार हमलों के लिए खुद को तैयार रखें। उन्होंने राफेल डील विवाद का भी जिक्र किया। अपने भाषण में समाज के कमजोर वर्गों में "संदेह, वैराग्य, नासमझी, विद्रोह, घृणा और हिंसा के बीज बोने और उगाने वालों की जमकर आलोचना की। अंत में, भागवत ने अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू करने के लिए कानूनों को तेजी से लागू करने पर जोर दिया और दोहराया कि सबरीमाला मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला गुमराह करने वाला था। 2017साल 2017 में, अपने भाषण में भागवत ने दावा किया कि कई मुसलमान गौ रक्षक (गोरक्षक) भी थे और उन्होंने तर्क दिया कि ग्रामीण कृषि अर्थव्यवस्था की रक्षा के लिए गायों की रक्षा करना आवश्यक है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि रोहिंग्या नौकरियों पर दबाव डालेंगे और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बनकर उभरेंगे। उन्होंने ये भी दावा किया कि रोहिंग्याओं और "जिहादियों" के बीच संबंध पनप रहे थे। अन्य मुद्दों के अलावा, भागवत ने आग्रह किया कि कश्मीर के लिए संवैधानिक संशोधनों की तत्काल आवश्यकता है और भारत के अर्थशास्त्रियों - विशेष रूप से नीति आयोग में काम करने वालों को "विकास के राष्ट्र-विशिष्ट अद्वितीय मॉडल" के साथ आना चाहिए।
