बाजार नियामक सेबी ने अनधिकृत मुद्रा संग्रह के जाल में फंसने से निवेशकों को सतर्क किया है, जिसे वैसी इकाइयां अंजाम दे रही हैं जो पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सेवाएं प्रदान करने का दावा कर रही हैं। बाजार नियामक ने पाया है कि कुछ इकाइयां निवेशकों से छोटी-छोटी रकम जुटा रही हैं और उन्हें ज्यादा रिटर्न का आश्वासन दे रही हैं। यहां तक कि पंजीकृत पोर्टफोलियो मैनेजरों को भी सेबी ने निवेश पर निश्चित रिटर्न वाली योजना पेश करने की इजाजत नहीं दी है। इसके अतिरिक्त, पोर्टफोलियो मैनेजरों को किसी क्लाइंट से 50 लाख रुपये से कम फंड या प्रतिभूतियां स्वीकार करने की इजाजत नहीं है। नियामक ने कहा, कुछ इकाइयों के नाम सेबी के पास पंजीकृत इंटरमीडियरीज जैसे हैं, जो आम लोगों को गुमराह कर रहे हैं जबकि सही मायने में रकम जुटाई जा रही है। सेबी ने निवेशकों को सतर्क करते हुए कहा है कि ऐसी योजना के जरिए जुटाई जा रही है रकम का इस्तेमाल पोंजी योजनाओं में हो सकता है, यानी प्रतिभूतियों में वास्तविक निवेश नहीं किया जाएगा। 31 अगस्त को सेबी के पास पंजीकृत पोर्टफोलियो मैनेजरों की तरफ से प्रबंधित परिसंपत्तियां 25.62 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई, जो एक साल पहले 20.16 लाख करोड़ रुपये थी। बाजार नियामक के पास पोर्टफोलियो मैनेजरों के तौर पर 382 इंटरमीडियरीज ने पंजीकरण कराया है। पोर्टफोलियो मैनेजरों को पीएमएस रेग्युलेशन के तहत सेबी के पास पंजीकरण कराना होता है। हालिया परिपत्र में नियामक ने पोर्टफोलियो मैनेजरों को 1 अप्रैल, 2023 से लिखित नीति सामने रखने को कहा है, जिसमें क्लाइंटों के फंड व प्रतिभूतियों के प्रबंधन से जुड़ी विशिष्ट गतिविधियों, विभिन्न टीम की भूमिकाओं व जवाबदेही, अनुपालन, जोखिम प्रबंधन, ऑर्डर प्लेसमेंट, ट्रेड एलोकेशन आदि की जानकारी देने को कहा गया है।
