सक्रियता से प्रबंधित लार्जकैप म्युचुअल फंडों की करीब 80 फीसदी योजनाएं पिछले एक साल से बेंचमार्क इंडेक्स के रिटर्न को पीछे छोड़ने के लिए संघर्ष कर रही हैं। लार्जकैप योजनाएं निफ्टी व सेंसेक्स को व्यापक पैमाने पर बेंचमार्क के तौर पर इस्तेमाल करती हैं और इन दोनों ने अक्टूबर 2021 में अब तक के सर्वोच्च स्तर को छुआ था। तब से वैश्विक केंद्रीय बैंकों की तरफ से महामारी बाद प्रोत्साहन पैकेज की वापसी के बीच इनमें काफी उतारचढ़ाव देखने को मिला है। पिछले एक साल में बेंचमार्क निफ्टी ने 21 फीसदी की घटबढ़ दर्ज की है - 18 अक्टूबर को 18,477 अंकों की सर्वकालिक ऊंचाई पर पहुंचा था जबकि 17 जून को 15,294 को निचले स्तर को छुआ था।फंड प्रबंधन उद्योग के एक आला अधिकारी ने कहा, किसी फंड मैनेजर के प्रदर्शन को मापने के लिहाज से एक साल की अवधि काफी छोटी होती है। काफी उतारचढ़ाव वाली अवधि इस तरह की होती है जब सक्रिय फंडों या उनके मैनेजरों की क्षमता की परख की जाती है। इस लिहाज से अगर एक साल के प्रदर्शन पर नजर डाली जाए तो लार्जकैप फंड मैनेजरों की राह आसान नहीं रही है।हालांकि सभी लार्जकैप फंडों का प्रदर्शन खराब नहीं रहा है। इस श्रेणी में अग्रणी प्रदर्शन और सबसे खराब प्रदर्शन करने वालों के बीच अंतर काफी ज्यादा है। उदाहरण के लिए लार्जकैप श्रेणी में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली योजनाओं का एक साल का रिटर्न 8.3 फीसदी रहा है जबकि बेंचमार्क में 0.3 फीसदी की गिरावट आई है। दूसरी ओर, सबसे खराब प्रदर्शन वाली योजना ने 6.6 फीसदी का ऋणात्मक रिटर्न दिया है। स्मॉलकैप की बात करें तो कहानी पूरी तरह अलग है। इस श्रेणी में 88 फीसदी योजनाओं ने रिटर्न के मामले में बेंचमार्क को मात दी है। इस बीच, करीब 70 फीसदी ऐक्टिव मल्टीकैप व मिडकैप फंडों ने भी बेंचमार्क को मात देने में कामयाबी पाई है।बाजार पर नजर रखने वालों ने कहा कि लार्जकैप में बड़ी संस्थागत कंपनियों (एफपीआई समेत) की दिलचस्पी होती है। इसके परिणामस्वरूप मिडकैप के मुकाबले बहुत ज्यादा बढ़त की संभावना नहीं होती। लार्जकैप योजनाओं का बेंचमार्क रिटर्न की तरह रिटर्न अर्जित करने में संघर्ष करना नया नहीं है। एसऐंडपी एसपीआईवीए रिपोर्ट के मुताबिक, 82 फीसदी सक्रिय लार्जकैप योजनाओं ने 31 दिसंबर, 2021 को समाप्त पांच साल की अवधि में बेंचमार्क के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया है। इस ट्रेंड के कारण ही एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों व इंडेक्स फंडों की लोकप्रियता में इजाफा किया है। पिछले एक साल में इंडेक्स फंडों व ईटीएफ की औसत प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां 37 फीसदी उछलकर करीब 6 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई जबकि मार्केट टु मार्केट में लाभ मामूली रहा। जब इंडेक्स के रिटर्न को मात देने की बात आती है तो थिमेटक या सेक्टोरल फंडों ने अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन किया है। उदाहरण के लिए उपभोग या लाभांश प्रतिफल पर आधारित सभी योजनाओं ने बेंचमार्क को पीछे छोड़ने में कामयाबी पाई है। सेक्टोरल फंडों में उपभोग, बुनियादी ढांचा और पीएसयू सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वालों में हैं। उपभोग एकमात्र श्रेणी रही जहां औसत रिटर्न दो अंकों में यानी 20 फीसदी रहा। इन्फ्रा यानी बुनियादी ढांचा फंडों ने औसतन 8.3 फीसदी रिटर्न दिया जबकि पीएसयू फंडों ने 7.9 फीसदी रिटर्न दिया। दूसरी ओर, आईटी फंडों को सितंबर 2022 में समाप्त एक साल की अवधि में सबसे ज्यादा झटका लगा। उसका औसत रिटर्न 16 फीसदी ऋणात्मक रहा। परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां पैसिव फंडों को लोकप्रिय बनाने के लिए भी काफी कोशिश कर रही हैं। उन्होंने वित्त वर्ष 22 में 83 इंडेक्स फंड व ईटीएफ पेशकिया और इस वित्त वर्ष में ऐसी 31 योजनाएं पेश कर चुकी हैं। इससे अग्रणी 10 फंड हाउस के कुल एयूएम में पैसिव फंडों की हिस्सेदारी दोगुनी हो गई। इन फंडों के कुल एयूएम में पैसिव फंडों की हिस्सेदारी 14 फीसदी हो गई, जो तीन साल पहले महज 7 फीसदी थी।
