महंगाई के ऊंचे स्तर से जल्द राहत मिलने की संभावना नहीं है क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक अगले दो साल में महंगाई घटकर 4 फीसदी पर आने की उम्मीद कर रहा है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, मैंने पहले भी कहा है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई अगले दो साल में 4 फीसदी पर आने की उम्मीद है। अभी भी हमारा यही अनुमान है। लेकिन काफी अनिश्चितताएं समय-समय पर उभरती रहती हैं। आज की मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई ने रीपो दरों में 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी का फैसला लिया और अब रीपो दर 5.9 फीसदी हो गई है। आरबीआई अधिनियम के मुताबिक, केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का महंगाई लक्ष्य 4 फीसदी का है, जिसमें 2 फीसदी घटबढ़ हो सकती है। इसे आरबीआई की नाकामी के तौर पर देखा जाता है अगर लगातार तीन तिमाही तक औसत महंगाई 2 से 6 फीसदी के दायरे से ऊपर टिकी रहती है। जनवरी-मार्च और अप्रैल-जून के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई 6 फीसदी से ऊपर रही जबकि जुलाई-सितंबर तिमाही में भी ऐसा ही देखने को मिल सकता है। अगर आरबीआई महंगाई को लेकर लक्ष्य पूरा नहीं कर पाता है तो उसे सरकार को पत्र लिखकर इसके नाकाम होने के कारणों और स्थिति सुधारने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी देनी होती है। इसके अतिरिक्त आरबीआई को समयसीमा बतानी होगी, जो उसे महंगाई को 4 फीसदी पर लाने के लिए चाहिए। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार को लिखा गया आरबीआई का पत्र सार्वजनिक किया जाएगा, गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, आरबीआई व सरकार के बीच यह विशेषाधिकार प्राप्त संवाद होता है। ऐसे में हम नहीं कह सकते कि इसे सार्वजनिक किया जाएगा या नहीं। हम इसे सार्वजनिक नहीं करेंगे क्योंकि यह विशेषाधिकार प्राप्त संवाद होता है। यह मानते हुए कि कच्चे तेल के भारतीय बास्केट की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल होगी, आरबीआई ने 2022-23 के लिए महंगाई का अनुमान 6.7 फीसदी पर बरकरार रखा है। साथ ही दूसरी तिमाही के लिए 7.1 फीसदी का अनुमान, तीसरी तिमाही के लिए 6.5 फीसदी और चौथी तिमाही के लिए 5.8 फीसदी का अनुमान है। 2023-24 की पहली तिमाही के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई 5 फीसदी रहने का अनुमान है।
