भारतीय उद्योग जगत के प्रमुखों को उम्मीद है कि सरकार रुपये की गिरावट थामने के लिए तत्काल कदम उठाएगी। इस साल अभी तक डॉलर के मुकाबले रुपये में 9.2 फीसदी की नरमी आ चुकी है, जिससे कंपनियों के कारोबार पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। रुपये में गिरावट और कारोबार पर इसके असर के बारे में बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में मुख्य कार्याधिकारियों (सीईओ) ने यह राय जाहिर की। सर्वेक्षण में शामिल 15 सीईओ में से तकरीबन 67 फीसदी ने कहा कि रुपये में गिरावट से उनके कामकाज पर असर पड़ा रहा है क्योंकि कच्चे माल की लागत बढ़ गई है। केईसी इंटरनैशनल के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक विमल केजरीवाल ने कहा, ‘सरकार को गैर-जरूरी वस्तुओं के आयात पर बंदिश लगानी चाहिए और विदेशी निवेश के नियमों में ढील देनी चाहिए।’ अन्य सीईओ बोले कि भारतीय रिजर्व बैंक आगे चलकर संतुलित तरीके से डॉलर की बिकवाली करेगा। एक सीईओ ने नाम नहीं छापे जाने की शर्त पर कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि सरकार गैर-जरूरी चीजों जैसे सौंदर्य प्रसाधन, सोना और इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों पर निकट अवधि में ज्यादा आयात शुल्क लगा सकती है।’ दक्षिण भारत की एक विनिर्माण फर्म के सीईओ ने कहा, ‘रुपये में स्थिरता लाने के लिए आरबीआई के पास कई उपाय हैं। रुपये में द्विपक्षीय सौदों का निपटान भी एक विकल्प हो सकता है।’ सीईओ ने सुझाव दिया कि सरकार को मेक इन इंडिया के लिए विदेशी विनिर्माताओं को आंमत्रित करने के अलावा गैर-सूचीबद्ध शेयरों में भी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना चाहिए। अन्य सीईओ का कहना था कि निर्यातकों और विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाले अन्य क्षेत्रों को अतिरिक्त प्रोत्साहन देने के साथ ही सरकार को विशेष डॉलर प्रवाह योजना लानी चाहिए जैसे अप्रवासी निवेशकों के लिए बॉन्ड और बॉन्ड के विदेशी खरीदारों के लिए कराधान में रियायत देना। वैश्विक अनिश्चितता को देखते हुए अधिकतर सीईओ (80 फीसदी) ने कहा कि वे निकट भविष्य में विदेशी बाजार से पूंजी जुटाने की योजना बना रहे हैं। सर्वेक्षण में शामिल 27 फीसदी सीईओ ने कहा कि रुपये में गिरावट के मद्देनजर डॉलर मद में लिए कर्ज की पर्याप्त हेजिंग की गई है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार भारतीय कंपनियों द्वारा लिए गए कर्ज का करीब 45 फीसदी पहले से ही सुरक्षित है। फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर 75 आधार अंक बढ़ाए जाने तथा दरों में और बढ़ोतरी के संकेत के बाद से रुपये में तेज गिरावट आई है। करीब 75 फीसदी सीईओ ने कहा कि बिगड़ते वैश्विक आर्थिक हालात और रुपये की चाल से उनके उत्पादों की मांग प्रभावित हो सकती है, जबकि 40 फीसदी ने कहा कि मांग या उनकी विस्तार योजना पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। एक अन्य सीईओ ने कहा कि आरबीआई शुक्रवार को रीपो दर में 50 आधार अंक और वृद्धि कर सकता है लेकिन घरेलू मांग में तेजी बनी रहेगी। सरकार को राजकोषीय घाटा काबू में करने के लिए कदम उठाने चाहिए। (देव चटर्जी के साथ सोहिनी दास, ईशिता आयान दत्त, प्रतिज्ञा यादव, शाइन जैकब, विनय उमरजी और शिवानी शिंदे)
