नवरात्र उत्सव के आगमन के साथ उत्तर भारत बाजार में गेहूं कीमतें फिर से बढ़ने लगी हैं, क्योंकि आटा उत्पादकों ने अपने घटते भंडार को फिर से भरने की कवायद शुरू कर दी है। आटा (गेहूं आटा) और मैदा, सूजी जैसे गेहूं के अन्य उत्पादों की मांग त्योहारी महीने में बढ़ जाती है क्योंकि इसका बहुतायत उपयोग सभी घरों में विभिन्न प्रकार के पकवान बनाने के लिए किया जाता है। व्यापार और बाजार के सूत्रों ने बताया कि दिल्ली के थोक बाजारों में 1 सितंबर से गेहूं की कीमत करीब 40 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ी है जिसमें 24 से 26 सितंबर के बीच लगभग 75 फीसदी बढ़ी है। दिल्ली के लॉरेंस रोड बाजार में 26 सितंबर को गेहूं की कीमत 2520-2540 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास थी जबकि 1 सितंबर को 2480-2500 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास थी। इसी तरह मध्य प्रदेश के मुख्य बाजार जैसे इंदौर, मंदसौर, डबरा, ग्वालियर और सिवनी जिलों में कुछ महीने तक स्थिर रहने पर गेहूं की कीमतें फिर से बढ़ने लगी हैं। व्यापारियों ने कहा कि यूपी में भी पिछले कुछ दिनों से गेहूं की कीमतें फिर से बढ़ने लगी हैं खासकर 22 सितंबर के बाद से कीमतें 20-30 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ी हैं। व्यापारियों के अनुसार गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण राज्यों द्वारा संचालित भंडार से खुले बाजार में बिक्री नहीं होना है, जो पिछले वर्षों तक कीमतें नियंत्रित करती थीं। उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘इस वर्ष अधिकांश आटा मिल मालिक और यहां तक की मैदा और सूजी निर्माता अपनी घरेलू आवश्यकता की पूर्ति के लिए पूरी तरह से निजी व्यापारियों पर उपलब्ध गेहूं पर निर्भर हैं, जो बाजार को भी समर्थन दे रहा है क्योंकि नवरात्र के दौरान गेहूं की मांग बढ़ जाती है।’
