रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण की कवायद के तहत रेल मंत्रालय ने मालगाड़ियों से सामान की ढुलाई के लिए ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य कर दिया है। नए दिशानिर्देश 1 नवंबर से लागू होंगे। सोमवार को रेल मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक डिजिटलीकरण करने, रोलिंग स्टॉक की भूमिका कम करने, और माल ढुलाई के कारोबार में लेन-देन को व्यवस्थित करने के मकसद से यह कदम उठाया गया है। सैन्य यातायात, प्राकृतिक आपदों के दौरान की गई माल ढुलाई और संबंधित प्राधिकारियों द्वारा चिह्नित अप्रत्याशित घटनाओं को छोड़कर नए दिशानिर्देश जोनल रेलवे के सभी मांगपत्रों पर लागू होंगे। नई पॉलिसी मौजूदा नियमों की जगह लेगी, जिसके तहत मालबाबू से संपर्क कर वैगन की मांग की जाती है। इसे लागू करने के लिए सेंटर फॉर रेलवे इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स (क्रिस) और फ्रेट ऑपरेशंस इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स (एफओआईएस) द्वारा डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर में बदलाव किया जाएगा। अधिसूचना में कहा गया है, ‘क्रिस/एफओआईएस द्वारा व्यवस्था में जरूरी बदलाव किए जाएंगे, जिससे कि ई-आरडी (रजिस्ट्रेशन आफ डिमांड) को वैगनों की मांग के लिए पंजीकरण हेतु स्वतः स्फूर्त विकल्प बनाया जा सके।’ एक अधिकारी ने कहा कि ज्यादा मांग वाले इलाकों में रैक की लोडिंग में देरी होती है, क्योंकि बुकिंग और लोडिंग के वक्त भौतिक पंजीककरण व पुष्टि करानी होती है। यह प्रक्रिया ऑनलाइन करने के बाद प्रक्रियाओं में लगने वाले वक्त में खासी कमी आ जाएगी।कार्गो मिशन के तहत रेलवे ने 2024 तक रिकॉर्ड 200 करोड़ टन ढुलाई का लक्ष्य रखा है। हाल में मंत्रालय ने गैर-किराया राजस्व ठेकों जैसे पार्किंग स्थल, पार्सल स्थल और वाणिज्यिक विज्ञापन के लिए आवेदन व आवंटन की पूरी प्रक्रिया का डिजिटलीकरण किया था। अब तक रेलवे ने ई-नीलामी मॉडल से 844 करोड़ रुपये प्राप्त किए हैं।
