भारतीय रुपये में कारोबार के निपटान के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने सार्वजनिक क्षेत्र के कर्जदाता यूको बैंक को अनुमति दे दी है। यूको बैंक को नियामक ने रूस के गाजप्रॉमबैंक के साथ एक विशेष वोस्त्रो खाता खोलने की मंजूरी दी है। नियामक ने बैंकों को जुलाई महीने में भारतीय मुद्रा में कारोबार के निपटान की अनुमति देने का फैसला किया था, उसके बाद कोलकाता का यह बैंक पहला बैंक बन गया है, जिसे रुपये में कारोबार के निपटान की अनुमति मिली है। रूस के बैंक की स्थापना विश्व के सबसे बड़े गैस उत्पादक और निर्यातक गाजप्रॉम ने की थी। यह बैंक 1990 से चल रहा है, जिसका मकसद खासकर गैस उद्योग की कंपनियों को बैंकिंग सेवाएं मुहैया कराना है। रूस के शीर्ष 3 बैंकों में से एक गाजप्रॉम इस समय 45,000 कॉर्पोरेट और 39 लाख निजी ग्राहकों को संपूर्ण बैंकिंग और निवेश सेवाएं मुहैया कराता है। पिछले सप्ताह बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में यूको बैंक के एमडी और सीईओ सोम शंकर प्रसाद ने कहा था कि उन्हें विशेष वोस्त्रो खाता खोलने के लिए कई देशों के बैंकों से तमाम आवेदन मिले हैं। प्रसाद ने कहा था, ‘वे विशेष वोस्त्रो खाते के लिए सर्कुलर लाए हैं। यह ऐसे मामलों में भी काम करेगा, जहां व्यापार संतुलन देश के पक्ष में है। यह एक अच्छी व्यवस्था है, जो रिजर्व बैंक ने पेश की है। इस व्यवस्था के तहत एक निश्चित मात्रा में रुपये में व्यापार हो सकता है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘हमें दूसरे देशों के बैंकों से विशेष वोस्त्रो खाते खोलने के लिए कुछ आवेदन मिले हैं। हम इन पर विचार कर रहे हैं।’इस साल फरवरी में रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किए जाने के बाद भारत का रूस के साथ कारोबार बढ़ा है। अप्रैल-जून तिमाही के दौरान भारत ने रूस से 9.27 अरब डॉलर का आयात किया है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 369 प्रतिशत ज्यादा है। रूस से होने वाले कुल आयात में दो तिहाई हिस्सेदारी कच्चे तेल की है। अन्य आयातित वस्तुओं में कोयला, सोयाबीन और सूरजमुखी का कच्चा तेल, उर्वरक व अन्य सामान शामिल हैं। रिजर्व बैंक ने 11 जुलाई को सर्कुलर जारी कर भारत और अन्य देशों के बीच रुपये में कारोबार निपटान की अनुमति दे दी थी, जिसमें श्रीलंका और रूस भी शामिल हैं। सर्कुलर में कहा गया है कि भारत के आयातक रुपये में कारोबार की व्यवस्था के तहत आयात कर सकते हैं। इस व्यवस्था के तहत वे रुपये में भुगतान करेंगे, जिसे साझेदार देश के संबंधित बैंक के वोस्त्रो खाते में डाल दिया जाएगा। यह विदेश से आने वाली वस्तुओं या सेवाओं के विक्रेता/आपूर्तिकर्ता से मिले बिल के आधार पर जमा किया जाएगा। रिजर्व बैंक ने कहा था कि दो व्यापारिक साझादारों के बीच मुद्राओं के विनिमय दर का निर्धारण बाजार करेगा। भारत के तमाम बैंक अन्य देशों के साथ व्यापारिक लेन-देन के निपटान के लिए इस तरह के विशेष वोस्त्रो खाते खोलने की योजना बना रहे हैं। रिजर्व बैंक की अधिसूचना में कहा गया है कि इस व्यवस्था के माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति करने वाले भारतीय निर्यातक भागीदार देशों के संबंधित बैंक के नामित विशेष वोस्त्रो खाते में रुपये में भुगतान प्राप्त करेंगे। दिलचस्प है कि केंद्र सरकार ने 2012 में यूको बैंक को ईरान से तेल आयात के लिए भुगतान बैंक के रूप में चुना था, जब अमेरिका ने शुरुआती दौर के प्रतिबंधों को सख्त कर दिया। यूको बैंक का चयन इसकी सीमित वैश्विक मौजूदगी के कारण किया गया था, जिससे ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद कारोबार करने की स्थिति में उस पर कम असर पड़ता। उस सौदे की वजह से यूको को मोटा मुनाफा हुआ था। बहरहाल हाल के वक्त में इससे कोई खास लाभ नहीं हुआ है, क्योंकि भारत अब ईरान से तेल का आयात नहीं कर रहा था। रुपये में कारोबार की राह निकालने पर विचार करने की बात करते हुए प्रसाद ने कहा था, ‘2019 की शुरुआत तक हम ईरान से तेल खरीद रहे थे। ऐसे में ईरान के बैंकों के खातों में बड़ी मात्रा में रुपया था। 2019 से हमने ईरान से तेल खरीदना बंद कर दिया, उसके बाद रुपये का बैलेंस कम हो गया।’
