देश में सबसे ज्यादा चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र के चीनी उत्पादकों ने राज्य सरकार से एथनॉल के लिए अलग नीति बनाने की मांग की है। इसके साथ ही गन्ना पेराई के लिए 35 से 40 लाख रुपये की सब्सिडी देने की भी मांग की है। हालांकि राज्य सरकार ने चीनी उत्पादकों को दो टूक कह दिया है कि वह एथनॉल से ज्यादा गन्ना कटाई को मदद करने को प्राथमिकता देगी। चीनी उद्योग का कहना है कि राज्य सरकार एथनॉल उत्पादन में पूंजी निवेश बढ़ाए। नैशनल शुगर फेडरेशन के अध्यक्ष जयप्रकाश दांडेगावकर ने कहा कि एथनॉल, सीएनजी और ऊर्जा क्षेत्रों में अगला कदम उठाने के लिए राज्य सरकार से छह अलग-अलग मांगें की गई है । एथनॉल उत्पादन के लिए भंडारण टैंक के लिए केंद्र सरकार से लिए गए ऋण पर छह फीसदी ब्याज वापस किया जाता है, इसी तर्ज पर राज्य सरकार से भी तीन फीसदी ब्याज वापसी की मांग की है। चीनी उद्योग की मांगों पर महाराष्ट्र के सहकारिता मंत्री अतुल सावे ने कहा कि राज्य सरकार एथनॉल से ज्यादा गन्ने की कटाई को मदद करने के लिए तैयार है। केंद्र सरकार ने एथनॉल उत्पादन के लिए दरों में वृद्धि की है। आने वाले समय में गन्ना कटाई के लिए आसान कर्ज मुहैया जा सकता है। महाराष्ट्र चीनी उद्योग के मुताबिक गन्ना सीजन को सुचारू बनाने के लिए गन्ना पेराई की संख्या बढ़ानी होगी। वर्तमान में प्रदेश में 854 मशीनें हैं। एक मशीन की कीमत 1 करोड़ 25 लाख रुपये है, इसलिए कटाई के लिए सब्सिडी दी जाए। राज्य सरकार की मंत्रियों की उपसमिति को बताया गया है कि अगर 35 से 40 लाख रुपये का अनुदान मिलता है, तो गन्ना कटाई समस्या का समाधान किया जा सकता है। इस सीजन में राज्य में 138 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया है। उसमें से देश को सिर्फ 45 लाख टन चीनी की जरूरत है। शेष चीनी या उप-उत्पादों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। पेराई मौसम शुरू होने से पहले हुई बैठक में सिफारिश की गई थी कि राज्य सरकार को इस संबंध में एक कदम आगे बढ़ाना चाहिए और नीति में बदलाव की जरूरत है। देश में एथनॉल उत्पादन में राज्य की हिस्सेदारी अब 35 फीसदी तक पहुंच गई है और आने वाले सीजन में राज्य में 325 करोड़ लीटर एथनॉल का उत्पादन होने की संभावना है।
