मैकलॉयड रसेल इंडिया के ऋणदाता बैंकों का बकाया ऋण चुकाने और कंपनी का कार्यभार संभालने के लिए जल्द ही कार्बन रिसोर्सेज के प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए बैठक करेंगे।शुक्रवार को जालान परिवार के स्वामित्व वाली कार्बन रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड ने मैकलॉयड रसेल के ऋण समाधान और देश की सबसे बड़ी थोक चाय उत्पादक में नियंत्रित हिस्सेदारी हासिल करने के लिए एक गैर-बाध्यकारी आशय पत्र (एलओआई) भेजा।इस घटनाक्रम के करीबी सूत्रों ने कहा कि यह बैठक अगले कुछ दिनों में होने की संभावना है।इस प्रस्ताव की रूपरेखा के अनुसार 1,650 करोड़ के बकाया बैंक ऋण के लिए पेशकश किया जा रहा अग्रिम भुगतान 1,245 करोड़ है। इस राशि में कार्बन रिसोर्सेज का 300 करोड़ का इक्विटी निवेश और 945 करोड़ का ताजा ऋण शामिल है। सुरक्षित ऋणदाताओं को पूरा भुगतान किया जाएगा और शेष राशि असुरक्षित उधारदाताओं को अदा की जाएगी।कार्बन रिसोर्सेज के निदेशक अभिषेक जालान ने कहा ‘हमने एक अच्छा प्रस्ताव भेजा है, अब यह बैंकों को तय करना है।’ ताजा ऋण मैकलॉयड रसेल के बहीखातों पर लिए जाने की संभावना है। कंपनी ने जांच-परख समेत पूरा लेनदेन 60 दिनों के भीतर पूरा करने का प्रस्ताव रखा है। जालान ने कहा कि हमने इसे केवल ऊपरी तौर पर ही देखा है। हमें अन्य सभी विवरण देखने और जांच-परख करने की जरूरत है।लेकिन पिछले करीब डेढ़ महीने से जालान चाय उद्योग के संबंध में अपनी तैयारी करने में व्यस्त रहे हैं। दरअसल उन्होंने चाय उद्योग की अन्य परिसंपत्तियों पर विचार किया था, लेकिन आकार मायने रखता है।फेरो अलॉय, इस्पात और एल्युमीनियम उद्योगों के लिए इनपुट सामग्री क्षेत्र में काम करने वाली पूरी तरह से बी2बी कंपनी कार्बन रिसोर्सेज की शुरुआत वर्ष 1991 में सुरेश जालान ने झारखंड के गिरिडीह में एक इकाई के साथ की थी। हालांकि पिछले करीब एक दशक में इसने काफी विकास किया।जालान ने कहा ‘दूसरी इकाई - कैलसाइंड पेट्रोलियम कोक (सीपीसी) वर्ष 2005 में बिहार में एक अधिग्रहण रही। फिर वर्ष 2011-12 में असम में एक नई सीपीसी इकाई स्थापित की गई थी और चौथी इकाई - इलेक्ट्रोड पेस्ट वर्ष 2021 में आंध्र प्रदेश में स्थापित की गई थी।’सीपीसी और इलेक्ट्रोड पेस्ट की खपत इस्पात, ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड, एल्यूमीनियम और फेरो एलॉय धातु उद्योगों में की जाती है। कंपनी मैंगनीज अयस्क, स्टीम कोल और एन्थ्रेसाइट वगैरह का भी कारोबार करती है।पिछला साल कंपनी के लिए अच्छा साल साबित हुआ। इसकी कुल आय 2,415.96 करोड़ रुपये रही, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 183 प्रतिशत अधिक थी। आंध्र प्रदेश की इकाई में अधिक आमदनी और क्षमता विस्तार की वजह से लाभ 532 प्रतिशत तक बढ़कर 268.19 करोड़ रुपये हो गया।
