भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) सेकंडरी मार्केट यानी शेयर बाजार के लिए नई भुगतान प्रणाली पर काम कर रहा है, जिसके बाद ब्रोकर ग्राहकों के पैसे का इस्तेमाल अपनी मर्जी से नहीं कर पाएंगे। नई व्यवस्था जल्द ही लागू की जा सकती है, जो ऐप्लिकेशन सपोर्टेड बाय ब्लॉक्ड अमाउंट (आस्बा) की तर्ज पर होगी। आस्बा का इस्तेमाल आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के आवेदन के लिए किया जाता है। इसमें निवेशक के बैंक खाते से रकम तब तक नहीं निकलती, जब तक शेयर आवंटित नहीं हो जाते। सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने आज कहा कि नई प्रणाली के सामने कुछ चुनौतियां हैं मगर इसे अगले कुछ महीनों में तैयार कर लिया जाएगा। ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2022 में उन्होंने कहा, ‘हम सेकंडरी मार्केट के लिए आस्बा जैसी प्रणाली विकसित करने पर तेजी से काम कर रहे हैं। अगर आप शेयर खरीदते हैं तो सौदा पूरा होने तक पैसा आपके खाते से नहीं निकलना चाहिए।’ नई भुगतान प्रणाली और टी+1 निपटान व्यवस्था से पूंजी के प्रभावी उपयोग को बढ़ावा मिलेगा तथा भारत के पूंजी बाजार को और विकसित करने में मदद मिलेगी। मगर नई प्रणाली से ब्रोकिंग उद्योग की चिंता बढ़ सकती है क्योंकि कई ब्रोकर इसी रकम से अतिरिक्त कमाई करते हैं। इससे ट्रेडिंग की लागत भी बढ़ सकती है, जो पिछले कुछ वर्षों में काफी कम हो गई थी क्योंकि ब्रोकर वैकल्पिक आय का स्रोत तलाश सकते हैं।
