मुख्य रूप से भारत व खाड़ी देशों के बीच उड़ानों का परिचालन करने वाली एयर इंडिया एक्सप्रेस ने सात साल में पहली बार शुद्ध नुकसान दर्ज किया है, जिसकी वजह कोविड-19 महामारी है, जिसने अंतरराष्ट्रीय सेवाओं की समयसारणी को अवरोधित किया है। विमानन कंपनी ने वित्त वर्ष 22 में 72.33 करोड़ रुपये का शुद्ध नुकसान दर्ज किया। वित्त वर्ष 21 में कंपनी ने 98.21 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया था। यह जानकारी कंपनियों के पंजीयक के पास जमा कराए गए दस्तावेजों से मिली। टाटा समूह ने एयर इंडिया व उसकी सहायक एयर इंडिया एक्सप्रेस का नियंत्रण इस साल 27 जनवरी को अपने हाथ में लिया। एयर इंडिया का टाटा समूह के स्वामित्व वाली अन्य विमानन कंपनी एयरएशिया इंडिया के साथ विलय की प्रक्रिया चल रही है। वित्त वर्ष 22 से पहले एयर इंडिया एक्सप्रेस वित्त वर्ष 2015 में घाटे में आई थी और तब उसने 61 करोड़ रुपये का शुद्ध नुकसान दर्ज किया था। विमानन कंपनी ने दस्तावेज में कहा है, चूंकि बाजार में सुधार जोर पकड़ रहा है, ऐसे में आने वासे समय में विमानन कंपनी की तात्कालिक कोशिश परिचालन व वित्तीय स्थायित्व पर ध्यान केंद्रित करने और सामान्य स्थिति की बहाली पर होगी। इसमें उड़ान के घंटों में इजाफे के लिए संसाधान तैयार करना, विमानों के औसत इस्तेमाल में बढ़ोतरी कर उसे कोविड पूर्व के स्तर पर ले जाना और क्षमता में बढ़ोतरी का आकलन शामिल होगा। वित्त वर्ष 22 के नतीजे पर विमानन कंपनी ने कहा है कि कोरोना की दूसरी व तीसरी लहर से बाजार में सुधार प्रभावित हुआ, खास तौर से क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय बाजारों में, जो एयर इंडिया एक्सप्रेस का मुख्य बाजार है। एयर इंडिया एक्सप्रेस के पास 24 बी737 विमान हैं। वित्त वर्ष 22 में उसकी कुल आय व खर्च क्रमश: 35.22 अरब रुपये व 32.51 अरब रुपये रहे। वित्त वर्ष 22 के दौरान विभिन्न देशों में आवाजाही पर पाबंदी रही और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का परिचालन वंदे भारत मिशन व एयर बबल अरेंजमेंट के तहत हुआ। महामारी के कारण भारत ने मार्च 2020 से मार्च 2022 तक अंतरराष्ट्रीय उड़ानें निलंबित रखी। दो साल की अवधि में भारत ने द्विपक्षीय एयर बबल अरेंजमेंट विभिन्न देशों के साथ किया है।
