हर महीने रूस की सीक्रेट डायमंड सेल से मुंबई से न्यूयोर्क तक के हीरा व्यापर पर नकारात्मक असर पड़ा है। यूक्रेन पर रूस के हमलों के बाद और खनन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी अलरोसा पीजेएससी ( Alrosa PJSC ) पर अमेरिकी प्रतिबंध लगने के बाद, हीरा व्यापार जगत में कई रूसी रत्नों में सौदा करने से इनकार कर रहे हैं। लेकिन कुछ मुट्ठी भर भारतीय और बेल्जियम के खरीदार हैं जो आकर्षक शर्तों पर बड़ी मात्रा में इन हीरों की खरीदारी कर रहे हैं। इसका कारण यह भी है कि उन्हें अपनी ज़रूरत के हीरे देखने और चुनने को मिल रहे हैं। वहीँ कुछ ऐसे भी हैं जो इन खरीदारी से खुद को बचा रहे हैं।हालांकि, सौदे चुपचाप हो ही रहे हैं। प्रसिद्ध गोपनीय हीरे की दुनिया में भी व्यापार ज़ोरों पर है। बता दें, टिफ़नी एंड कंपनी ( Tiffany & Co. ) और सिग्नेट ज्वैलर्स लिमिटेड ( Signet Jewelers Ltd. ) जैसे दिग्गज कारोबारी रूसी हीरे नहीं खरीदना चाहते हैं, जो युद्ध शुरू होने के बाद से खनन किए गए थे। वहीं सप्लायर्स का कहना है कि Alrosa gems में व्यापर करने से उन्हें अपने महत्वपूर्ण अनुबंधों को खोने का डर है। वहीं बिक्री का बहिष्कार करने में भी समस्या आती है। एक बार जब पत्थर सप्लाई चैन में प्रवेश कर जाते हैं तो उन्हें ट्रैक करना लगभग असंभव हो जाता है। हीरे समान आकार और गुणों के पार्सल में बेचे जाते हैं - लगभग 15,000 विभिन्न श्रेणियां हैं - और सगाई की अंगूठी या पेंडेंट में समाप्त होने से पहले इसे कई बार रीट्रेड और रीमिक्स किया जा सकता है।जो लोग हीरे खरीदना चाहते हैं, उनके लिए अलरोसा असामान्य लचीलेपन सहित भत्तों की पेशकश कर रहा है। हालांकि इनके दाम न के बराबर के होते हैं। आम तौर पर, ग्राहकों से हीरों का चयन पहले से ही करवा लिया जाता था उसके बाद पार्सल भेजे जाते थे। अब, कंपनी खरीदारों को अपने पैकेट चुनने की अनुमति दे रही है। इसका मतलब है कि वे शार्ट सप्लाई वाले हीरे का चयन कर सकते हैं या फिर वो हीरे भी चुन सकते हैं जिन पर उन्हें अच्छा लाभ मिलता दिख रहा हो। उद्योग के बदलते ढांचे को देखते हुए, यह भारत में अधिक बिक्री कार्यालय बनाने पर भी विचार कर रहा है।
