देश में लिथियम आयन बैटरी का विनिर्माण शुरू करने वाली पहली कंपनी चेन्नई की मुनोत इंडस्ट्रीज मोबाइल में अपनी बैटरी की जांच के लिए रिलायंस जियो संग बातचीत कर रही है। तिरुपति की अपनी फैक्टरी में लिथियम आयन बैटरी बना रही मुनोत इंडस्ट्रीज चीन की कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी व मोबाइल निर्माता श्याओमी के अलावा एमेजॉन से भी पावर बैंक के लिए बातचीत कर रही है। भारतीय कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी बोट से उसकी बातचीत पावर बैंक व वियरेबल्स के लिए हो रही है। एमेजॉन अपने ब्रांड बेसिक्स के तहत अपना कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद बनाती है। ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक्स व मोबाइल बनाने वाली कंपनियां आयात पर अपनी निर्भरता घटाने की कोशिश कर रही हैं। अभी तक वे चीन, दक्षिण कोरिया, वियतनाम और हॉन्ग-कॉन्ग से लिथियम आयन बैटरी का आयात कर रही हैं। विभिन्न चरणों में 799 करोड़ रुपये निवेश कर रही मुनोत इंडस्ट्रीज कुछ दिनों में लिथियम आयन बैटरी के विनिर्माण का ट्रायल शुरू करने वाली है। पहले चरण में यह फैक्टरी पावर बैंक, मोबाइल डिवाइस व वियरेबल्स आदि के लिए बैटरी बनाएगी। कंपनी को मोबाइल डिवाइस के लिए अमेरिकी स्टार्टअप एम्पिरस से तकनीक मिली है जबकि चीन की कंपनियों तिनजिन लिशेन से पावर बैंक और बीपीआई से वियरेबल्स के लिए तकनीक मिली है। तिनजिन लिशेन दुनिया की 15वीं सबसे बड़ी लिथियम आयन बैटरी बनाने वाली कंपनी है। कंपनी के वाइस चेयरमैन जसवंत मुनोत ने इस बात की पुष्टि की है कि कंपनी रिलायंस से बातचीत कर रही है। उन्होंने हालांकि कहा कि मोबाइल डिवाइस के लिए वैलिडेशन प्रोसेस में लंबा समय लगता है। उन्होंने कहा, पावर बैंक व वियरेबल्स के मामले में यह प्रक्रिया आसान है और इसके लिए तीन कंपनियों से उनकी बातचीत चल रही है। इस बारे में पूछे जाने पर रिलायंस जियो ने कोई जवाब नहीं दिया। संयंत्र के दूसरे चरण में मुनोत इंडस्ट्रीज एनर्जी स्टोरेज पर ध्यान केंद्रित करेगी। अंतिम चरण में वह इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी का विनिर्माण करेगी। मुनोत ने कहा कि कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल व पावर बैंक में इस्तेमाल के लिए आयातित लिथियम आयन बैटरी का बाजार 15,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का है। कंपनी को उम्मीद है कि वह पावर बैंक बैटरी बाजार का 60 फीसदी हिस्सा हासिल कर लेगी और उसका अनुमान है कि लिथियम बैटरी की मांग मौजूदा 0.3 जीडब्ल्यूएच से बढ़कर साल 2030 में 12 जीडब्ल्यूएच तक पहुंच जाएगी, जिसे दूरसंचार टावर, डेटा सेंटर, ग्रिड-स्केल रीन्यूएबल एनर्जी इंटिग्रेशन व छत पर लगाए जाने वाले सोलर पैनल के प्रसार से सहारा मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि तीसरे चरण के बाद कंपनी के पास सालाना 1.3 जीडब्ल्यूएच की क्षमता होगी। कंपनी के पास हालांकि अत्याधुनिक तकनीक है, लेकिन उसके पास हमेशा ही अपने साझेदारों से उन्नत तकनीक के अधिग्रहण की क्षमता होगी। मुनोत का मानना है कि उत्पादन से जुड़ाव वाली प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) लिथियम आयन बैटरी के विनिर्माण में भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए। अभी यह योजना एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल तक सीमित है, जिसका इस्तेमाल मुख्यत: इलेक्ट्रिक वाहनों में होता है। चूंकि कई कंपनियां लिथियम आयन बैटरी के विनिर्माण में उतर रही हैं, ऐसे में मुनोथ को इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है।
