आठ अफ्रीकन चीते (पांच मादा और तीन नर) 10 घंटे की लंबी हवाई यात्रा के बाद शनिवार को अपने नए घर भारत पहुंचने वाले हैं। चीतों को लकड़ी के बक्सों में रखकर एक विशेष मालवाहक विमान बोइंग 747 से नामीबिया की राजधानी विंडहोक से मध्यप्रदेश के ग्वालियर पहुंचाया जाएगा। एक पशु चिकित्सक, एक जीव विशेषज्ञ, नामीबिया में भारतीय उच्चायोग प्रशांत अग्रवाल और लॉरी बनाने वाले तथा चीता संरक्षण कोष के कार्यकारी निदेशक और उनकी टीम चीतों को लेकर भारत आएगी। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में अतिरिक्त महानिदेशक और परियोजना प्रभारी एस पी यादव कहते हैं, ‘सभी अंतरराष्ट्रीय शिष्टाचारों का पालन किया जाएगा। चीतों की आवश्यकता के हिसाब से ही लकड़ी के बक्सों को बनाया गया हैं। यात्रा के दौरान चीतों को बेहोश नहीं किया जाएगा। चीतों को भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर द्वारा ग्वालियर से कुनो राष्ट्रीय उद्यान लाया जाएगा और शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनको जंगल में छोड़ेंगे। इस परियोजना को समर्थन देने के लिए इंडियन ऑयल ने 50 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं। मोल्दोवा में स्थित एक चार्टर एयरलाइन टेरा एविया के प्रबंधक व्लादीमिर घिलन कहते हैं, ‘उड़ान के लिए पूरी तरह से तैयार रहने के लिए हमारी टीम ने बहुत अच्छा काम किया है। हमारा मुख्य काम चीतों के लिए एक आरामदायक उड़ान के लिए विमान को पूरी तरह से तैयार करना था।’ वह कहते हैं कि इसमें विमान के अंदर चीतों की जरूरत के हिसाब से तापमान बनाए रखना भी शामिल था। टेरा एविया का बोइंग 747 विमान 80 टन माल ले जा सकता है। लेकिन शुक्रवार शाम को विमान सिर्फ चीतों और साथ आने वाले अन्य अधिकारियों को लेकर आएगा। लेकिन जानवरों को अन्य सामान के साथ यात्री और मालवाहक विमानों में रखकर ले जाया जाता है। इस तरह के मामलों में एयरलाइन के अधिकारी कुछ नियमों का पालन करते है। उदाहरण के लिए जिस बक्से में जानवर को रखा जाता है, उसके पास मांस और समुद्री खाना (मछलियां और अन्य जीव) नहीं रखे जाते हैं। क्योंकि इसकी गंध जानवर को हरकत करने के लिए उकसा सकती है। अंतरराष्ट्रीय मानदंड एयर फ्रांस-केएलएम जैसी एयरलाइन जानवरों को आखिर में चढ़ाने और पहले उतारने की प्रक्रिया का पालन करती है। इसके तहत विमान में सभी समान लोड हो जाने के बाद जानवरों को विमान में चढ़ाया जाता है और सबसे पहले उतारा जाता है। हवाईअड्डों पर जानवरों को बाहरी मौसम के संपर्क में आने से बचाने के लिए बंद गाड़ियों से ले जाया जाता हैं। पेरिस और एम्सटर्डम हवाईअड्डों पर जानवरों के कार्गो को संभालने वाले एयर फ्रांस-केएलएम के कर्मचारी एक पशु चिकित्सक से वार्षिक प्रशिक्षण लेते हैं। इस क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को इस विषय का ज्ञान होना आवश्यक है। जीवित जानवरों को सुरक्षित एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए अंतरराष्ट्रीय एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने वर्ष 2018 में एक वैश्विक सर्टिफिकेट प्रोग्राम की शुरुआत की है। कैथे पैसिफिक के क्षेत्रीय कार्गों प्रमुख राजेश मेनन कहते हैं, ‘पशुधन शिपमेंट का ऑर्डर लेने से पहले हमारे कर्मचारियों के पास नियमों की एक पुस्तिका होती है, वह मालिक से जानवर से संबंधित अधिक से अधिक जानकारी लेते हैं। इसके साथ ही विमान की मालवाहन क्षमता को ध्यान में रखकर ही ऑर्डर स्वीकार करते हैं। जानवरों की सुरक्षा और आराम सुनिश्चित करने के लिए हम जो कुछ कदम उठाते हैं, उनमें से कुछ विमान के एयर कंडीशनिंग सिस्टम को विनियमित कर रहे हैं ताकि पशुओं की आवश्यकता अनुसार तापमान रख पाएं और यह सुनिश्चित हो कि जानवरों को एक तनाव मुक्त बोर्डिंग और डिस्बार्केशन प्रक्रिया प्राप्त हो सके।’ मेनन कहते हैं, ‘पिछले तीन वर्षों में हमने 12,000 बकरियां, 47 अच्छी नस्ल के घोड़े, चार अल्पाका (भेड की नस्ल का पशु) और अन्य जानवरों एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया हैं।’
