वैश्विक फंड प्रबंधक सितंबर 2001 से सर्वाधिक ऊंचे स्तरों पर शुद्ध नकदी आवंटन के साथ सितंबर में मंदी का रुख अपनाए रहे। सितंबर के लिए बोफा ग्लोबल फंड मैनेजर सर्वे में इस तथ्य का पता चला है। 2 से 8 सितंबर के बीच कराए गए इस सर्वे में 695 अरब डॉलर मूल्य की प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) के साथ 240 पैनल सदस्यों ने हिस्सा लिया था। सर्वे के निष्कर्ष में कहा गया है कि वैश्विक वृद्धि के अनुमान सर्वाधिक निचले स्तर के करीब थे और 72 प्रतिशत प्रतिभागी 2023 में कमजोर अर्थव्यवस्था की उम्मीद कर रहे थे और शुद्ध 79 प्रतिशत को अगले 12 महीनों में मुद्रास्फीति में नरमी आने का अनुमान है। सर्वे के निष्कर्ष के अनुसार, बेहद व्यस्त व्यापार अमेरिकी डॉलर था और 56 प्रतिशत वैश्विक फंड प्रबंधकों ने इस परिसंपत्ति वर्ग में अपना पूंजी आवंटन किया। वैश्विक फंड प्रबंधकों के अनुसार, वित्तीय बाजारों के लिए सबसे बड़ा जोखिम यह डर था कि केंद्रीय बैंक की सख्त नीतियों, भूराजनीतिक और वैश्विक मंदी की आशंका के बीच मुद्रास्फीति ऊंची बनी रहेगी। बोफा सर्वे के निष्कर्ष में कहा गया, 'सितंबर में, एफएमएस निवेशकों ने शेयरों में अपना शुद्ध अंडरवेट -24 प्रतिशत से बढ़ाकर -52 प्रतिशत किया है, जबकि रक्षात्मक के लिए लॉन्ग को बढ़ाकर 53 प्रतिशत किया है, जो फरवरी 2009 से सर्वाधिक है। नकदी स्तर 5.7 प्रतिशत से बढ़कर मासिक आधार पर 6.1 प्रतिशत हो गया, क्योंकि 60 प्रतिशत निवेशकों ने सामान्य से कम जोखिम उठाया।' इस बीच, अमेरिकी उपभोक्ता कीमत मुद्रास्फीति (सीपीआई) आंकड़ा बढ़कर 8.3 प्रतिशत रहने के बाद बुधवार को वैश्विक इक्विटी बाजारों में बड़ा बदलाव दर्ज किया गया, जिससे सितंबर में नीतिगत बैठक में अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा अधिक सख्ती बरतने की संभावना फिर से बढ़ी है। राबोबैंक इंटरनैशनल के विश्लेषकों ने एक रिपोर्ट में कहा, 'बाजारों में 4.25 प्रतिशत से अधिक की फेड फंड दर का असर दिखा है। इसके अलावा, वे सितंबर में न सिर्फ 75 आधार अंक वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं बल्कि 100 आधार अंक के जोखिम का भी अनुमान जता रहे हैं।' गैस कीमतों में नरमी के बावजूद अमेरिका में अनुमान से खराब सीपीआई मुद्रास्फीति आंकड़ा आश्चर्यजनक था। जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार का मानना है कि अब, बाजार को यह आशंका सता रही है कि मुद्रास्फीति गहरा सकती है और अमेरिकी फेडरल अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियां पैदा कर सकता है। उन्होंने कहा, 'हालांकि नया आंकड़ा सामने आने पर इस धारणा में बदलाव आ सकता है। 'गिरावट पर खरीदें' की रणनीति भारत में करीब एक महीने से कारगर साबित हो रही है, लेकिन 'गिरावट पर बेचें' पर फिलहाल परहेज किया जा रहा है। घरेलू अर्थव्यवस्था से जुड़े शेयरों (जैसे ऊंची गुणवत्ता के वित्त, पूंजीगत वस्तु, वाहन, एफएमसीजी और दूरसंचार) अपेक्षाकृत सुरक्षित दांव हैं। वहीं सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और धातु जैसे वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़े शेयरों पर दबाव रहने की आशंका है।' जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज में मुख्य बाजार रणनीतिकार आनंद जेम्स के अनुसार, तकनीकी तौर पर निफ्टी-50 के लिए मुख्य स्तर 17,860 है। इससे ऊपर बने रहने पर सूचकांक 18,600 की ओर जा सकता है।
