भारतीय ऋणशोधन अक्षमता और दिवालिया बोर्ड (आईबीबीआई) ने दिवालिया फर्मों का प्रतिनिधित्व करने वाले समाधान पेशेवरों के लिए 1 अक्टूबर से न्यूनतम शुल्क श्रेणी निर्धारित की है ताकि ऐसे पेशेवरों को पर्याप्त मुआवजा दिया जा सके। ये समाधान पेशेवर (आरपी) आईबीबीआई से पंजीकृत रहते हैं और किसी दिवालिया व्यक्ति या फर्म की समापन प्रक्रिया में शामिल रहते हैं। ये पेशेवर ऐसी दिवालिया कंपनियों की ओर से कार्य करने के लिए अधिकृत होते हैं।यह बदलाव ऐसे पेशेवरों की वित्तीय स्वतंत्रता सुरक्षित करने का प्रयास है, जिन्हें दिवाला प्रक्रिया के दौरान देनदारों और लेनदारों दोनों के ही हितों पर ध्यान देने के लिए महत्त्वपूर्ण फैसले लेने होते हैं। कॉर्नेलिया चैंबर्स की स्थानीय सलाहकार सिमरन नंदवानी कहती हैं कि इन पेशेवरों के लिए न्यूनतम शुल्क संरचना की शुरुआत लंबे समय से अपेक्षित थी और कंपनी कानून न्यायाधिकरणों तथा अदालतों द्वारा भी ऐसा देखा गया था। उन्होंने कहा कि इस कदम से यह सुनिश्चित होगा कि ऐसे पेशेवरों के शुल्क पर बातचीत करने में कोई समय बर्बाद न हो तथा इससे यह सुनिश्चित होता है कि दिवाला प्रक्रिया समयबद्ध तरीके से संचालित हो।
