वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज कहा कि कुछ वैश्विक और भारतीय वाहन कंपनियों पर पुर्जा निर्माताओं को देश में ही उत्पादन नहीं करने दे रही हैं और अपने पसंदीदा आपूर्तिकर्ता से पुर्जे आयात करने के लिए उन्हें मजबूर कर रही है। उन्होंने ऐसी कंपनियों को कड़ी चेतावनी दी। गोयल ने भारतीय वाहन पुर्जा निर्माताओं के संगठन एक्मा के 62वें वार्षिक सम्मेलन में कहा, ‘मुझे यह भी बताया गया है कि विदेशी कंपनियों के साथ हाथ मिला चुकी कुछ वाहन पुर्जा कंपनियां भी इसी तरह की परेशानी से दोचार हो रही हैं। साझे उपक्रम की उनकी साथी उन पर आयात का दबाव डाल रही है।’ मंत्री ने कहा कि सरकार इस मामले को बहुत गंभीर मान रही है और साझे उपक्रम का कोई भी साझेदार अगर नाखुश है तो वह नाता तोड़ सकता है। उन्होंने कहा, ‘मुझे यकीन है कि भारतीय कंपनियां उन्हें उचित तरीके से और पूरी गरिमा के साथ नाता तोड़ने का मौका देंगी।’ गोयल की टिप्पणी अहम है क्योंकि वित्त वर्ष 22 में पुर्जा कंपनियों ने 19 अरब डॉलर का माल निर्यात किया। साथ ही पहली बार इस उद्योग ने आयात से ज्यादा निर्यात किया। वाहन पुर्जा उद्योग का व्यापार अधिशेष करीब 70 करोड़ डॉलर रहा। 2021-22 में इस उद्योग ने 4.2 लाख करोड़ डॉलर का कारोबार किया, जो रिकॉर्ड है। आयात और आफ्टरमार्केट कारोबार में तेजी के कारण उसने 23 फीसदी इजाफा दर्ज किया। गोयल की बात सुनकर वाहन निर्माता और उन्हें पुर्जों की आपूर्ति करने वाली कंपनियां चकरा गईं। चूंकि मामला बहुत संवेदनशील है, इसलिए ज्यादातर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर ही प्रतिक्रिया दी। वाहन पुर्जा बनाने वाली एक बड़ी कंपनी के शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘हममें से अधिकतर के अपनी पुर्जा कंपनियों के साथ बहुत अच्छे रिश्ते हैं। वास्तव वे चाहते हैं कि हम स्थानीय पुर्जे अधिक इस्तेमाल करें और इस मामले में उनके बहुत सख्त लक्ष्य हैं।’ ज्यादातर बड़ी वाहन कंपनियां इस कंपनी की ग्राहक हैं। एक्मा के महानिदेशक विनी मेहता ने कहा, ‘उनके बयान को व्यापार में मदद और कारोबारी सुगमता की नजर से देखा जाना चाहिए। वह उद्योग के लिए बहुत उत्साह बढ़ाने वाला काम करते आ रहे हैं।’ कई वाहन पुर्जा कंपनियों के निदेशक मंडल में शामिल एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि मंत्री जो कह रहे हैं, वह आज से 6 या 8 साल पहले सच था क्योंकि उस समय स्थानीय स्तर पर पुर्जों का निर्माण किसी की प्राथमिकता नहीं थी।
