भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) जोखिमपूर्ण डेरिवेटिव्स बाजार से छोटे निवेशकों को ज्यादा सुरक्षा मुहैया कराने पर विचार कर रहा है। चूंकि वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) सेगमेंट का कारोबार की मात्रा में बड़ा योगदान है, इसलिए इसे लेकर चिंता बढ़ी है कि भोले-भाले निवेशक जोखिम को ठीक से समझे बगैर इस सेगमेंट में कारोबार करने में जल्दबाजी दिखा सकते हैं। उद्योग संगठन फिक्की द्वारा आयोजित 19वीं सालाना कैपिटल मार्केट्स कॉन्फ्रेंस (कैपम) में सेबी अध्यक्ष माधवी पुरी बुच ने कहा कि नियामक एफऐंडओ सेगमेंट में खुदरा प्रवेश सीमित करना उचित नहीं मानता, लेकिन इस सेगमेंट में कारोबार से संबंधित खुलासों को मजबूत और पारदर्शी बनाना चाहता है। उन्होंने कहा, 'मैं नहीं मानती कि हमें किसी को प्रतिबंधित करना चाहिए। सेबी उन सूचनाओं के स्वरूप का आकलन कर रहा है जिनकी एफऐंडओ बाजार में भागीदारी के लिए खुलासा किए जाने की जरूरत होगी। जैसा कि आईपीओ में कुछ खास जोखिम जुड़े होते हैं, उसी तरह से एफऐंडओ बाजार में जोखिम होते हैं। सेबी इस संबंध में आंकड़ा-आधारित दृष्टिकोण अपनाएगा।' सेबी अध्यक्ष के ये बयान इसे लेकर बढ़ रही बहस के बीच आए हैं कि क्या छोटे निवेशकों को डेरिवेटिव सेगमेंट से दूर रखा जाना चाहिए। एक्सचेंज के अधिकारियों का कहना है कि वे एक ऐसी व्यवस्था पर काम कर रहे हैं जिसमें वे तरलता पर आधारित आंकड़ा पेश करेंगे और एफऐंडओ अनुबंध पर अधिक गहराई से विचार करेंगे। स्टार्टअप के कमजोर सूचीबद्धता प्रदर्शन के सवाल पर पुरी बुच ने कहा कि सेबी ने आईपीओ मूल्य निर्धारण को प्रभावित करने की कोई योजना नहीं बनाई है, लेकिन उम्मीद है कि कंपनियां इसे लेकर अधिक खुलासे करेंगी। उन्होंने कहा, 'जिस कीमत पर आप आईपीओ का चयन करते हैं, वह आपका व्यवसाय है। संसद ने यह अनिवार्य किया है कि हमारे पास निर्गमों के मूल्य निर्धारण पर नजरिया न हो। आप निर्गम की कीमत को लेकर स्वतंत्र हैं।' सेबी ने कंपनियों को विज्ञापनों में वह कीमत बताना अनिवार्य बनाया है जिस पर वे अपने आईपीओ खुलने से पहले निवेशक को अपने शेयर जारी जारी करती हों। पिछले एक साल के दौरान सूचीबद्ध हुईं नए जमाने की कंपनियों के शेयर 70 प्रतिशत तक गिरे हैं जिससे इसे लेकर चर्चा को बढ़ावा मिला है कि क्या सेबी को इस दिशा में कोई कदम उठाना चाहिए। उद्योग के कारोबारियों का कहना है कि निवेशकों को जोखिम से बचाने और पूंजी निर्माण को प्रोत्साहित करने की दिशा में सेबी को चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। पुरी बुच ने अर्थव्यवस्था के विकास और रोजगार सृजन में भारतीय उद्योग जगत के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि हम पूंजी निर्माण को सुगम बनाने में सफल रहेंगे, चाहे यह इक्विटी हो या डेट।' सेबी प्रमुख ने फ्रंट रनिंग, भेदिया कारोबार, सूचनाओं के गलत इस्तेमाल और शेयर कीमतों में हेरफेर जैसी समस्याओं को शेयर बाजार का 'पोलियो और स्मॉलपॉक्स' वर्सन करार दिया।
