बीमा नियामक ने आज कहा है कि उसने राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीए) से मिले धन से सालाना एन्युटी उत्पाद लेने के लिए वरिष्ठ नागरिकों द्वारा अलग प्रस्ताव फॉर्म भरने की जरूरत में ढील दी है। नियामक ने कहा है कि इस तरह से एनपीएस से बाहर निकलने को एन्युटी उत्पाद खरीदने के प्रस्ताव के रूप में देखा जाएगा। एनपीएस के तहत जो ग्राहक सेवानिवृत्त हो जाते हैं, उन्हें किसी भी जीवन बीमा कंपनी से तत्काल एन्युटी (संशोधित मूल्य छोड़कर) खरीदना जरूरी है। इस समय बीमा कंपनियां एनपीएस से सेवानिवृत्त होने वालों से प्रस्ताव लेती हैं और उन्हें तत्काल एन्युटी योजना की पेशकश करती हैं। भारतीय पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) भी एनपीएस से सेवानिवृत्त लोगों से इस योजना से निकलने संबंधी फॉर्म एकत्र करता है, जिसमें विस्तृत ब्योरा शामिल होता है कि प्रस्ताव फॉर्म में किस बीमा कंपनी की जरूरत है। दोहराव को रोकने और कारोबार सुगमता की सुविधा देने व एनपीएस से सेवानिवृत्त होने वालों की तत्काल एन्युटी उत्पादों की प्रक्रिया सरल बनाने के लिए नियामक ने कहा है कि एनपीएस से बाहर निकलने को एन्युटी खरीद के प्रस्ताव फॉर्म के रूप में देखा जाएगा, इससे वरिष्ठ नागरिकों के साथ ही बीमाकर्ताओं का भी वक्त और श्रम बचेगा। बीमा नियामक ने यह भी कहा, ‘तकनीक की स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए बीमाकर्तों ने सुझाव दिया है कि आधार पर आधारित प्रमाणन की व्यवस्था की जाए और उसी से जीवित होने के प्रमाणपत्र की पुष्टि की जाए, जैसा कि भारत सरकार ने जीवन प्रमाण की पहल बायोमीट्रिक सक्षम डिजिटल सेवाओं के लिए की है।’ फ्यूचर जनराली इंडिया लाइफ इंश्योरेंस के कार्यकारी उपाध्यक्ष कांजीवरम भारद्वाज ने कहा, ‘एन्युटी पॉलिसी में एन्युटी की राशि तब तक ही प्रदान की जाती है, जब तक प्राप्तकर्ता जीवित रहता है, ऐसे में जीवन बीमा कंपनियां हर साल जीवित रहने का प्रमाणपत्र मांगती हैं। अब आईआरडीएआई ने साफ किया है कि जीवन प्रमाणपत्र बायोमीट्रिक पर आधारित डिजिटल साधनों से लिया जा सकेगा। दोनों स्पष्टीकरण स्वागत योग्य कदम है, जिससे एन्युटी पॉलिसी खरीदने वालों को बेहतर सेवाएं मिल सकेंगी।’
