जैकसन होल सिम्पोजियम के परिणाम ने वैश्विक इक्विटी बाजारों को पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान अस्थिर बनाए रखा। आदित्य बिड़ला सन लाइफ ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य निवेश अधिकारी महेश पाटिल ने पुनीत वाधवा के साथ साक्षात्कार में कहा कि भारतीय इक्विटी बाजारों में तेजी वैश्विक और स्थानीय वृहद हालात में स्थायित्व और अनुमानों के मुकाबले लगातार आय पर निर्भर करेगी। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:क्या बाजार में हरेक तेजी को प्रतिरोध और बिकवाली दबाव का सामना करना पड़ेगा? वैश्विक इक्विटी में ताजा तेजी मुद्रास्फीति के चरम पर पहुंच जाने के अनुमान, जिंस कीमतों में नरमी, और आय संभावना के तौर पर दिखी है। कुछ हद तक यह तेजी घरेलू अर्थव्यवस्था में तेज सुधार के साथ साथ, अनुमान से कम आय डाउनग्रेड पर भी केंद्रित रही है। हालांकि अमेरिकी फेडरल रिजर्च के चेयरमैन जेरोम पॉवेल द्वारा जैकसन होल सिम्पोजियम में दिए गए भाषण से संकेत मिला कि अमेरिका में मुद्रास्फीति फेडरल के लक्ष्य से दूर बनी हुई है। इससे विदेशी संस्थागत निवेशक प्रवाह और इक्विटी बाजारों पर कुछ दबाव पड़ सकता है। बाजारों में मौजूदा स्तरों से तेजी, वैश्विक और स्थानीय वृहद हालात, और कंपनियों द्वारा अनुमानों के मुकाबले लगातार आय दर्ज किए जाने पर निर्भर करेगी। कॉरपोरेट आय के लिहाज से अप्रैल-जून तिमाही कैसी रही है? इसे लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया दिखी है। जहां राजस्व कई कंपनियों के लिए मददगार रहा है, और यह कीमत वृद्धि पर आधारित है, वहीं मार्जिन दबाव ऊंचा बना हुआ है। निफ्टी-50 कंपनियों का लाभ कुछ नीचे आया है और इसकी वजह तेल एवं गैस क्षेत्र में नुकसान और आईटी कंपनियों में मामूली सुस्ती है। कुल मिलाकर, वित्त वर्ष 2023 में आय वृद्धि पर मामूली दबाव दिखा है, मुख्य तौर पर यह दबाव निर्यात और जिंस आधारित क्षेत्रों से पैदा हुआ है। क्या आप वित्त वर्ष 2023 की अन्य तिमाहियों के लिए आय अनुमानों में कटौती की वजह देख रहे हैं? कई जिंसों की कीमतों में नरमी आने लगी है। इसके अलावा आय के लिए जोखिम भी सीमित होता दिख रहा है, खासकर तब, जब कई कंपनियां जिंसों में नरमी की मदद से दूसरी छमाही अच्छी रहने और ग्रामीण मांग में सुधार की उम्मीद कर रही हैं। कुल मिलाकर, हम आय को लेकर सकारात्मक रुख पर कायम हैं। क्या चीन में घटनाक्रम से वैश्विक वित्तीय बाजारों में स्थायित्व को नुकसान पहुंच सकता है? संपत्ति क्षेत्र का चीन की अर्थव्यवस्था पर दबाव बना हुआ है। ताजा आंकड़ों से भी अर्थव्यवस्था में व्यापक मंदी का पता चला है। चीन के इक्विटी बाजारों के साथ भारतीय बाजारों का सह-संबंध हाल के महीनों में तेजी से घटा है। प्रमुख जिंस आयातक के तौर पर भारत के दर्जे को ध्यान में रखते हुए, चीन में धीमी रफ्तार से आर्थिक मंदी वास्तव में हमारी अर्थव्यवस्था के लिए वरदान होगी। क्या रिस्क/रिवार्ड स्मॉलकैप और मिडकैप में निवेश के लिहाज से अनुकूल है? भारतीय अर्थव्यवस्था अगले तीन-पांच साल के दौरान विस्तार के दौर में रहने की संभावना है और यह दुनिया में शानदार प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होगी। चूंकि स्मॉलकैप और मिडकैप कंपनियों का लार्जकैप के मुकाबले घरेलू अर्थव्यवस्था में ज्यादा जुड़ाव होता है, इसलिए उन्हें फायदा भी अधिक मिलता है। हम दीर्घावधि के लिहाज से इस क्षेत्र में आशावादी बने हुए हैं। निवेशकों के लिए तीन से पांच साल की अवधि के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में एसआईपी के जरिये निवेश करना अच्छी रणनीति होगी। क्या आप मानते हैं कि निचले स्तर पर निवेश करने वाले घरेलू संस्थान बिकवाली करेंगे? घरेलू निवेशक अक्सर दीर्घावधि को ध्यान में रखकर निवेश करते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था अन्य प्रमुख क्षेत्रों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है और यहां आर्थिक एवं आय वृद्धि की बेहतर संभावनाएं मौजूद हैं, इसलिए घरेलू संस्थानों के लिए फिलहाल बिकवाली करने की कोई वजह नहीं दिख रही है। इक्विटी योजनाओं में क्षेत्रों के संदर्भ में पोर्टफोलियो में कुछ बदलाव देखे जा सकते हैं। घरेलू संस्थागत निवेशक मौजूदा तेजी को लेकर भी सतर्क बने हुए हैं और उन्होंने किसी गिरावट की स्थिति का लाभ उठाने के लिए 4-5 प्रतिशत नकदी स्तर बरकरार रखा है। आदित्य बिड़ला फ्रंटलाइन इक्विटी फंड पिछले साल निवेशकों के लिए अच्छा प्रतिफल देने में सक्षम नहीं रहा। क्या अब आपको बदलाव दिख रहे हैं? पिछले साल के दौरान बाजारों में उतार-चढ़ाव को देखते हुए इस श्रेणी में कई फंडों ने कमजोर प्रदर्शन किया। फंड वैश्विक चक्रीयता के मुकाबले घरेलू अर्थव्यवस्था से जुड़े शेयरों का लाभ उठाने के लिए अच्छी स्थिति में है। यह बैंक (निजी और सार्वजनिक क्षेत्र), वाहन, कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी/ड्यूरेबल्स, दूरसंचार और रियल एस्टेट पर ओवरवेट है।
