पिछले दो महीनों में हिंदी की तीन बड़ी और महंगी फिल्में औंधे मुंह गिर गई थीं, जिससे दर्शक सिनेमा हॉल से दूर चले गए थे और खाली पड़े मल्टीप्लेक्स की कमाई चौपट हो गई थी। बॉक्स ऑफिस का यह सूखा तो ‘ब्रह्मास्त्र’ ने खत्म कर दिया। मगर सुर्खियों में चल रहा धर्मा प्रोडक्शंस का ‘ब्रह्मास्त्र’ क्या वाकई निर्माताओं के लिए बॉलीवुड की इस सबसे महंगी फिल्म से कमाई का हथियार साबित होगा? पीवीआर तो सचमुच बाग-बाग है। देश की इस सबसे बड़ी थिएटर श्रृंखला की 650 स्क्रीन पर इस सप्ताहांत में ब्रह्मास्त्र के करीब 80 फीसदी टिकट बिक गए, जबकि जुलाई-अगस्त में औसतन 30 फीसदी दर्शक ही थिएटर पहुंच रहे थे। टिकट बिक्री से संतुष्ट कमल ज्ञानचंदानी कहते हैं, ‘हमने सप्ताह के अंत में हमें टिकट बिक्री से करीब 37.5 करोड़ रुपये की कमाई हुई। कोविड के बाद पीवीआर के थिएटरों में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली तीन फिल्मों में ब्रह्मास्त्र शर्तिया शामिल होगी। पीवीआर और पूरे उद्योग के लिए वाकई यह अहम फिल्म है।’410 करोड़ रुपये के भारीभरकम बजट में यह फिल्म बनाने वाली कंपनी धर्मा प्रोडक्शंस के मालिक करण जौहर ने भी ट्विटर पर ऐलान किया कि फिल्म ने पहले दिन दुनिया भर में 75 करोड़ रुपये की कमाई की है। असल में शुद्ध कमाई इससे बहुत कम होगी और 35 करोड़ रुपये के करीब रहने का ही अनुमान है। लेकिन टिकट बिक्री से होने वाली शुद्ध कमाई पर नजर रखने वाले ट्रेड विश्लेषकों को उम्मीद है कि यह फिल्म पहले रविवार तक 100 करोड़ रुपये की शुद्ध कमाई कर लेगी। पूरे देश में 5,000 स्क्रीन पर दिखाई जा रही फिल्म ने पहले दो दिन में ही 75 करोड़ रुपये कमा लिए हैं। ट्रेड विश्लेषक कोमल नाहटा कहते हैं, ‘शुरुआत अच्छी है। देश भर के थिएटरों में औसतन 50 फीसदी सीटें भर रही हैं। इस हिसाब से हमें उम्मीद है कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कम से कम 250 करोड़ रुपये की शुद्ध कमाई करेगी। यह 300 करोड़ रुपये भी कमा सकती है।’ लेकिन फिल्म व्यवसाय से जुड़े लोग और ट्रेड विश्लेषक सवाल कर रहे हैं कि बॉक्स ऑफिस पर इतनी कमाई क्या फिल्म की लागत निकालने और मुनाफा कमाने के लिए काफी होगी? उनकी दलील है कि ब्रह्मास्त्र बनाने में आए खर्च में ब्याज तो शामिल ही नहीं किया गया है, जो फिल्म कई साल तक बनते रहने के कारण निर्माताओं को चुकाना पड़ा होगा। कुछ का कहना है कि ब्याज मिलाने पर फिल्म की कुल लागत 500 करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगी। मगर फिलहाल उसे छोड़ देते हैं। अगर बॉक्स ऑफिस पर शुद्ध कलेक्शन 300 करोड़ रुपये तक पहुंच जाता है तो निर्माता और वितरक (फॉक्स डिज़्नी के मामले में) को केवल 45 फीसदी हिस्सा यानी 135 करोड़ रुपये ही मिलेंगे। बाकी रकम थिएटर मालिक रखेंगे। एक प्रोडक्शन हाउस के शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘अगर हम फिल्म की लागत 410 करोड़ रुपये ही मानें तो भी लागत निकालने के लिए उन्हें ओटीटी, सैटेलाइट प्रसारण अधिकार, संगीत और विदेश में आय से कम से कम 275 करोड रुपये और कमाने होंगे, जो बहुत मुश्किल लग रहा है।’ ट्रेड विश्लेषकों के मुताबिक ब्रह्मास्त्र के ओटीटी अधिकार शायद डिज़्नी-हॉटस्टार को 150 करोड़ रुपये में बेच दिए गए हैं। फिर भी कुल कमाई लागत से बहुत पीछे रह जाती है। फिर भी ब्रह्मास्त्र की पहले सप्ताहांत की कमाई के आंकड़ों को जुलाई और अगस्त में नाकाम हुई फिल्मों के बनिस्बत देखना सही होगा।
