साल के शुरुआती 6 महीनों में भारत से परंपरागत चाय का निर्यात 22 फीसदी से अधिक बढ़ गया है क्योंकि इसका सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता श्रीलंका आर्थिक संकट का दंश झेल रहा है।भारतीय चाय बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार 2022 के जनवरी-जून तक भारत से 9.68 करोड़ किलोग्राम चाय का निर्यात किया गया है। जो कि पिछले साल की समान अवधि से 1.04 करोड़ किलोग्राम अधिक रहा। अधिकांश वृद्धि परंपरागत खंड से हुई, जो 89.2 लाख किलोग्राम बढ़कर 4.86 करोड़ किलोग्राम हो गया। वहीं दूसरी ओर, सीटीसी चाय के निर्यात में केवल 8 लाख किलोग्राम की वृद्धि हुई। इक्रा के उपाध्यक्ष कौशिक दास ने कहा कि परंपरागत निर्यात में वृद्धि महत्वपूर्ण है और यह श्रीलंका के घाटे के पीछे है। उन्होंने कहा, ‘सालाना आधार पर श्रीलंका के उत्पादन में 19 फीसदी की कमी आई है। यदि यह घाटा जारी रहता है तो हम पूरे साल के लिए छह करोड़ किलोग्राम कम उत्पादन की उम्मीद कर रहे हैं। और वह उत्तर भारत में कुल परंपरागत उत्पादन है।’परंपरागत चाय खुली चायपत्ती को संदर्भित करती है। इसका उत्पादन परंपागत तरीके जैसे, तोड़ना, मुरझाना, रोल करना, ऑक्सीडेशन और सुखाने के बाद होता है। सीटीसी चाय को क्रश, टियर और कर्ल विधि का उपयोग करके बनाया जाता है।श्रीलंका में परंपरागत चाय के वैश्विक व्यापार का करीब 50 फीसदी हिस्सा है। चाय बोर्ड के सूत्रों के अनुसार, दूसरी और तीसरी तिमाही में भारत से चाय के निर्यात में और तेजी की संभावना है जो उसके 24 करोड़ किलोग्राम के लक्ष्य को साल के अंत तक पूरा करने में मदद करेगा। 2021 में, भारत से कुल 19.65 करोड़ किलोग्राम चाय का निर्यात किया गया था। सूत्रों ने बताया, ‘श्रीलंका के द्वारा जो बाजार खाली किए गए हैं, वहीं हमारी चाय जा रही है। अगर मौजूदा रूझान देखें तो, परंपरागत चाय की मांग बढ़ेगी।’ वास्तव में चाय बोर्ड आगामी योजनाओं में इसे प्रोत्साहित कर परंपरागत चाय उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना बना रहा है। 2021-22 में कुल 134.44 करोड़ किलोग्राम चाय उत्पादन में 11.30 करोड़ किलोग्राम परंपरागत चाय का उत्पादन किया गया था। श्रीलंका चाय निर्यातक संघ के आंकड़े बताते हैं कि जनवरी-जुलाई 2022 तक कुल 15.30 करोड़ किलोग्राम उत्पादन किया गया, जो पिछले साल की समान अवधि 18.81 करोड़ किलोग्राम से 3.50 करोड़ किलोग्राम कम रही। इसमें उल्लेख किया गया कि 1996 के बाद यह उत्पादन सबसे कम है। कमी का फायदा भारत उठा रहा है। श्रीलंका के शीर्ष पांच बाजार हैं: इराक, संयुक्त अरब अमीरात, रूस, तुर्की और ईरान। जनवरी-जून के दौरान भारत के लिए प्रमुख लाभ संयुक्त अरब अमीरात से करीब 91 लाख किलोग्राम का आया।
