अगले कुछ महीनों में खरीफ फसलों की कटाई शुरू होने के साथ, कुछ व्यापारिक निकाय और किसानों के समूह ने विभिन्न कृषि वस्तुओं के वायदा कारोबार पर से प्रतिबंध हटाने के लिए प्राधिकरण से संपर्क किया है।केंद्रीय तेल उद्योग और व्यापार संगठन (सीओओआईटी) और सरसों तेल उत्पादक संघ (एमओपीए) ने कुछ किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के साथ किसानों, उपभोक्ताओं, प्रोसेसरों और छोटे उद्योगों के हित में वायदा व्यापार से प्रतिबंध हटाने के लिए विभिन्न हितधारकों को पत्र लिखा था। इससे पहले, हल्दी पर उत्पाद सलाहकार समिति ने जिंस पर वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाने से इस आधार पर मना कर दिया था कि उसे जिंस की कीमत में कोई असामान्य उतार-चढ़ाव नहीं मिली है। इसी बीच, सरसों उत्पादक संघ ने अपने पत्र में कहा था कि सरसों और अन्य खाद्य तेल वायदों पर प्रतिबंध लगाने से पिछले 11 महीनों के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेज उतार-चढ़ाव के बाद भी बाजार सहभागियों को अपने जोखिम कम करने से रोक दिया है। इसमें कहा गया कि वैश्विक खाद्य तेल बाजारों में कुछ खास अवसरों पर एक दिन में 10-12 फीसदी का उतार-चढ़ाव देखा गया है। पूर्व में देखा गया है कि जब भी वैश्विक खाद्य तेल बाजार तेजी से ऊपर उठते हैं, तो घरेलू उपभोक्ताओं की कीमतों में वृद्धि नहीं की गई, क्योंकि वायदा एक बफर के रूप में कार्य करता है। पत्र में कहा गया, ‘सरकार ने सरसों वायदा को दिसंबर 2021 से मई 2022 के लिए प्रतिबंधित किया था। इससे खुले बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में कोई सुधार नहीं हुआ। इसस यह साबित होता है कि वायदा बाजार घरेलू कीमतों को स्थिर रखते हैं और इसके विपरीत चल रहे हैं।’सीओओआईटी और एमओपीए दोनों ने अपनी-अपनी प्रस्तुतियों में कहा कि, दुनियाभर में वायदा बाजारों को गंभीर प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सुचारू रूप से काम करने की अनुमति दी गई है। संघ ने कहा, ‘खाद्य तेल बाजार में भारत मूल्य निर्धारित नहीं करता है, बल्कि वह निर्धारित मूल्य का अनुकरण करता है और इसलिए खाद्य तेल वायदा पर प्रतिबंध लगाने से हाजिर कीमतों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।’ निकायों ने कहा कि मूल्य श्रृंखला में शामिल किसान अभी 80.85 लाख टन तिलहन स्टॉक कर बैठे हैं जबकि अगली खरीफ फसल करीब 1.3 करोड़ टन प्रमुख तिलहन होने की उम्मीद है।
